अनुराग कश्यप पर जब से अभिनेत्री पायल घोष ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, तब से बॉलीवुड का एलीट वर्ग उन्हें बचाने के लिए जी जान से जुट गए हैं। कुछ लोग अनुराग कश्यप को निर्दोष बता रहे हैं, तो कुछ उसके चरित्र का सर्टिफिकेट दिखाते फिर रहे हैं। हालांकि, जो पीआर अभियान बॉलीवुड अनुराग के लिए चला रहा है, वो अंत में उसी पर भारी भी पड़ सकता है।
जहां स्वाति चतुर्वेदी और पंखुड़ी पाठक अनुराग कश्यप पर लगे आरोप के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा रही हैं, तो वहीं तापसी पन्नू अनुराग को नारिवाद की प्रतिमूर्ति कहती फिर रही हैं। अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में तापसी लिखती हैं, “मेरे लिए मेरे मित्र, तुम सबसे बड़े नारीवादी हो। मैं आशा करती हूँ कि फिर से मैं किसी मूवी सेट पर तुमसे मिलूँ, और फिर तुम्हें महिलाओं को सशक्त बनाते देखूँ”।
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बस, फिर क्या था। तापसी का बयान सामने आते ही अनुराग का चरित्र प्रमाण पत्र देने के लिए बॉलीवुड से कई अभिनेत्रियां आगे आई। अनुराग की फिल्म ‘चोक्ड’ में काम करने वाली सैयामी खेर ने एक लंबा चौड़ा पोस्ट सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “मैं अनुराग के बारे में रिपोर्ट्स पढ़कर यही सोचती थी कि वह व्यभिचारी है और ड्रग्स में लीन रहता था। जब उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया, तो उन्होने मुझे आश्वासन दिया कि उनके अभिभावक उनके साथ रहते हैं और उन्हे [सैयामी] को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। तब मुझे सच्चाई समझ में आई….”
सैयामी के अलावा राधिका आप्टे एवं अभिनेत्री और अनुराग की पूर्व पत्नी कल्कि केकलां भी अनुराग कश्यप के समर्थन में सामने आई। जहां राधिका ने तापसी की परिपाटी पर अनुराग के नारीवादी स्वरूप के बारे में गुणगान करने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई, तो वहीं कल्कि ने अनुराग को सोशल मीडिया के ‘सर्कस’ से दूर रहने की सलाह दी।
लेकिन इन लोगों को अनुराग के चरित्र का प्रमाण पत्र क्यों दिखाना पड़ रहा है? अनुराग पर अभी केवल आरोप लगे हैं, अभी न तो एफ़आईआर दर्ज हुई है, और न ही कोई पुलिस कार्रवाई की जा रही है? फिर ये सारा ड्रामा क्यों और किसलिए? क्या ये अनुराग की मुसीबतें कम करने के बजाए उसे और नहीं बढ़ा रहे? क्या ये पीआर कैम्पेन अन्य पीड़िताओं को अपनी व्यथा बताने से हतोत्साहित नहीं कर रहा है?
अनुराग की भांति जब गीतकार एवं लेखक वरुण ग्रोवर पर यौन शोषण के आरोप लगे, तो उन पर लगे आरोपों को झूठा सिद्ध करने में बॉलीवुड के इसी ब्रिगेड ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया, और जब नाना पाटेकर पर आरोप लगे, तो आरोपों में अनेक संदेहास्पद बातें होने के बावजूद इसी ब्रिगेड ने नाना के चरित्र हनन में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह और बात है कि कोर्ट ने इन लोगों के सारे किए कराये पर पानी फिर गया।
इसी परिप्रेक्ष्य में TFI Post के संस्थापक एवं प्रमुख संपादक अतुल मिश्रा ने एक सटीक विश्लेषण करते हुए ट्वीट किया, “जब किसी का नाम किसी अपराध से जुड़ता है, तो वो दोषी नहीं हो जाता। अभियुक्त और दोषी में अंतर है, इसलिए अगर कोई अनुराग कश्यप को बलात्कारी बता रहा है तो वो गलत है, लेकिन जो लोग उनके अच्छे चरित्र की दुहाई दे रहे हैं वो न सिर्फ गलत हैं बल्कि वे राय भी प्रभावित कर रहे हैं”।
जब किसी का नाम किसी अपराध से जुड़ता है तो वो दोषी नहीं हो जाता। अभियुक्त और दोषी मे अंतर है, इसलिए अगर कोई अनुराग कश्यप को बलात्कारी बता रहा है तो वो गलत है लेकिन जो लोग उनके अच्छे चरित्र की दुहाई दे रहे हैं वो न सिर्फ गलत हैं बल्कि वे राय भी प्रभावित कर रहे हैं।
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) September 21, 2020
दरअसल, अनुराग के बचाव में चलाया जा रहा अभियान काफी हानिकारक है। जिस प्रकार से बॉलीवुड के एलीट वर्ग से जुड़ी अभिनेत्रियां अनुराग का चरित्र प्रमाणपत्र दिखाते फिर रहे हैं, उससे ये सिद्ध होता है कि यदि बॉलीवुड में कभी भी यौन शोषण की घटना होती है, तो बॉलीवुड के अभिनेता अभिनेत्री पीड़िता का पक्ष कभी नहीं लेंगे, और उन्हें अपने हालातों से समझौता करना पड़ेगा।