जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा देने के बाद अब जापान के अगले प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा बन गये हैं। इस एक खबर ने एक बार फिर चीन की नींद उड़ा दी है क्योंकि सुगा का रुख हमेशा से ही चीन के खिलाफ रहा है। लंबे वक्त से जापान की खिलाफत झेल रहे चीन के लिए ये खबर एक नए झटके की तरह ही है। वहीं सुगा का जापान प्रमुख बनना भारत के लिए एक और सकारात्मक संदेश साबित होता दिख रहा है।
दरअसल, सोमवर को जापान की सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने शिंजो आबे के उत्तराधिकारी के रूप योशिहिदे सुगा को चुन लिया है। सुगा के सामने अन्य दो उम्मीदवार जरूर थे लेकिन उन्होंने 377 वोट प्राप्त करते हुए प्रधानमंत्री पद की रेस जीत ली, जबकि अन्य दोनों उम्मीदवार केवल 157 वोट ही हासिल कर पाए जिसके साथ लोकतांत्रिक ढंग से अब सुगा जापान के प्रधानमंत्री होंगे। गौरतलब है कि सुगा शिंजो आबे के कार्यकाल की शुरुआत से ही प्रमुख सचिव रहे हैं और विश्वासपात्र होने के चलते ही पार्टी में भी सुगा को तगड़ा समर्थन मिला है। वो सरकार के कार्यों के प्रचार से लेकर परियोजनाओं के क्रियान्वयन में हमेशा ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
शिंजो आबे हमेशा से ही चीन के आलोचक रहे हैं। जब उन्होंने इस्तीफा दिया तो चीन को आशा थी कि कोई ऐसा प्रधानमंत्री आए जो चीन के प्रति नर्म हो लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी ने उसे चुन लिया जिसका नाम सुनकर चीन के हवाई किले धराशाई हो गए हैं, क्योकि शिंजो आबे की तरह ही योशिहिदे सुगा भी चीन के प्रति काफी संख्त हैं। साउथ चाइना सी से लेकर वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस और हाल में भारत के साथ सीमा विवादों के संबंध में भी सुगा चीन के लिए आबे की तरह ही खतरा हैं क्योंकि कई बार प्रमुख सचिव तौर पर जापान का पक्ष रखते हुए वो चीन को आईना दिखा चुके हैं।
सुगा के प्रधानमंत्री बनने के बाद ये लगभग तय मान जा रहा है कि जापान की नीतियां शिंजो आबे के कार्यकाल की तरह ही एक सी होंगी जिससे जापान को वैश्विक स्तर पर अधिक फायदा तो होगा ही साथ ही चीन विरोधी देशों की ताकतों को भी अधिक बल मिलेगा। जब आबे ने इस्तीफा दिया था तो ये संशय था कि कहीं जापान द्वारा बनाए संगठन QUAD का भविष्य खतरे में न पड़ जाए जिसमें चीन को लेकर सभी चार देश भारत, अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया आक्रमक रहे हैं। लेकिन सुगा की जीत ने सभी आशंकाओं का पटाक्षेप कर दिया है
शिंजो आबे एक ऐसे नेता थे जिनका भारत सहित वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विशेष लगाव रहा था उन्होंने ही पहली बार हिंद और प्रशांत महासागर के क्षेत्र के लिए इंडो पैसिफिक जैसे शब्दों का प्रयोग किया था। ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद जब खबरें थीं कि पार्टी के नेता इशीबा पीएम की रेस में होंगे तो भारतीय कूटनीतिक खेमें में चिंताजनक दौर आया था लेकिन योशिहिदे के पीएम बनने के बाद भारत इस बात के लिए आश्वस्त हो सकता है कि चीन के खिलाफ उसका साथी जापान उसके साथ ही खड़ा होगा और दोनों का कूटनीतिक गंठजोड़ पहले की तरह सतत् चलेगा।