अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों से पहले डोनाल्ड ट्रम्प चीन पर बड़ी Digital Strike करने के मूड में आ चुके हैं। पिछले दो सालों से जिस प्रकार उन्होंने चीन के टेक सेक्टर के खिलाफ बड़े कदम उठाए हैं, वो अब इस लड़ाई को निर्णायक मोड पर ले आए हैं। हाल ही में उन्होंने एक कार्यकारी आदेश जारी कर WeChat और TikTok पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं, जो रविवार रात से लागू हो जाएंगे। भारत के बाद चीनी Apps पर एक्शन लेने वाला अमेरिका दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा। हालांकि, एक तरफ जहां भारत में यह प्रतिबंधित Apps सरकार के आदेश के सामने बेचारी दिखाई दे रही हैं, तो वहीं अमेरिका में ये सरकार के सामने डटकर खड़ी हो गयी हैं और अब इन Apps ने कोर्ट में जाने का फैसला ले लिया है।
अमेरिका WeChat और TikTok बैन करने वाला है। हालांकि, एक तरफ जहां भारत में यह प्रतिबंधित Apps सरकार के आदेश के सामने बेचारी दिखाई दे रही हैं, तो वहीं अमेरिका में ये सरकार के सामने डटकर खड़ी हो गयी हैं और अब इन Apps ने कोर्ट में जाने का फैसला ले लिया है: @VikrantThardak pic.twitter.com/2E7Qa3ABzL
— tfipost.in (@tfipost_in) September 20, 2020
बता दें कि 6 अगस्त को डोनाल्ड ट्रंप ने Apps पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। यह आदेश 45 दिनों में प्रभावी होना था और यह अवधि 20 सितंबर को पूरी हो रही है, इसलिए शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि रविवार से अमेरिका में रहने वाला कोई भी व्यक्ति TikTok और WeChat को डाउनलोड नहीं कर सकेगा। हालांकि, इस आदेश के बाद अब TikTok की पेरेंट कंपनी Bytedance ने वाशिंगटन स्थित संघीय कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है।
हैरानी की बात तो यह है कि चीन जैसे देश से संबंध रखने वाली कंपनी और CCP के हाथों की कठपुतली TikTok अमेरिकी कोर्ट में फ्री स्पीच की दुहाई दे रही है। TikTok ने कोर्ट में कहा कि “राष्ट्रपति ट्रंप ने किसी अमेरिकी कंपनी के साथ बिजनेस करने और वित्तीय लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया है। उनका यह फैसला गैरजिम्मेदारी से भरा है और फ्री ट्रेड के नियमों का उल्लंघन करता है”। साथ ही अपनी याचिका में Bytedance ने डोनाल्ड ट्रंप पर राजनीतिक फायदे के लिए TikTok पर बैन लगाने का आरोप लगाया है।
अमेरिका में Apps Ban के खिलाफ चीनी सरकार भी बेहद आक्रामक रवैये दिखा रही है। चीनी सरकार के मुताबिक वह भी अमेरिका की ही तर्ज़ पर अपने यहाँ “गैर-विश्वसनीय कंपनियों” की सूची निकालने वाली है जिसमें वह “चीन की सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाली कंपनियों” और खासकर अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर अमेरिका में ये चीनी कंपनियाँ इतनी आक्रामक कैसे? चीनी Apps को उम्मीद है कि आने वाले चुनावों में अगर ट्रम्प हार जाते हैं तो नई सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेगी और उनपर खतरा कम हो जाएगा, जबकि भारत में मजबूत मोदी सरकार के खिलाफ जाने का उनको कोई कारण ही नहीं दिखाई देता। यहाँ उनके पास इस फैसले को चुप-चाप स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है।
भारत सरकार ने विश्व में सबसे पहले चीनी Apps को प्रतिबंधित कर एक उदाहरण पेश किया है जिसे अब अमेरिका फॉलो करता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि, दुनिया के अन्य देशों के लिए उनके यहाँ चीनी Apps को बैन करना इतना आसान नहीं होगा। चीनी apps को बैन करने का मतलब सीधा CCP से पंगा लेना होगा, और इसके लिए अभी दुनिया के अधिकतर देश तैयार नहीं दिखाई देते। हालांकि, भारत में मोदी सरकार का निश्चय इतना दृढ़ है कि खुद चीनी apps भी यहाँ अपना दम तोड़ चुकी हैं।