जल्द ही चुनावी महासमर का आरंभ हो रहा है, और बिहार के चुनाव के पश्चात अब सबकी निगाहें पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनाव की ओर होगी। जहां एक ओर ममता बनर्जी अपने लगातार तीसरे सत्र के लिए जी जान से जुटी हैं, तो वहीं विपक्ष, और प्रमुख तौर से भारतीय जनता पार्टी उन्हें सत्ता से हटाकर बंगाल को आतंकवाद और कुशासन के प्रकोप से मुक्त करना चाहेगी। इसी बीच अब खबर आई है कि 2021 में बंगाल में भाजपा को जिताने का जिम्मा स्वयं वर्तमान गृह मंत्री और कद्दावर भाजपा नेता अमित शाह ने ली है।
हाल ही में वुहान वायरस को मात देकर लौटे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपनी राजनीतिक यात्राएं शुरू करने जा रहे हैं। स्वस्थ होने के बाद उनकी पहली राजनीतिक यात्रा पश्चिम बंगाल की होगी। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “वह (अमित शाह) इस महीने के अंत तक बंगाल जाएंगे और वहां पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से बात करने के दौरान अमित शाह ने संकेत दिया कि वह दुर्गा पूजा के पहले बंगाल आकर पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करेंगे”।
रिपोर्ट में आगे बताया गया, “शाह और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पश्चिम बंगाल यूनिट के सदस्यों के साथ होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति पर चर्चा की। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीज घोष की मानें तो दुर्गा पूजा 22 अक्टूबर से शुरू होनी है। वह उससे पहले ही बंगाल आकर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और चुनाव अभियान की शुरूआत करेंगे”।
अब इन गतिविधियों से इतना तो स्पष्ट है कि अमित शाह बंगाल चुनाव की कमान खुद संभालेंगे। बंगाल चुनाव भाजपा के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि इस बार आर या पार की लड़ाई है। अमित शाह ये बात भली भांति जानते हैं, और इसीलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव की भांति पश्चिम बंगाल में चुनाव अभियान की कमान अपने हाथों में ली है। इससे पहले बंगाल चुनाव के लिए अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पीयूष गोयल सहित छह केन्द्रीय मंत्रियों को चुना, जो बंगाल में विशेष रूप से चुनाव प्रचार करेंगे।
यही नहीं, अमित शाह चाहते हैं कि उनकी आवाज़ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, जिसके लिए वह बंगाली सीख रहे हैं। इसके अलावा भाजपा अपने पर्चों को भी अधिकतम बांग्ला भाषा में छपवा रही थींहै, ताकि भाजपा की आवाज़ बंगाल के कोने-कोने तक पहुंचे।
जिन्हें भी अमित शाह की प्रतिभा पर सन्देह है, वे 2014 के लोकसभा चुनावों के बारे में पढ़ लें। तब उत्तर प्रदेश को भाजपा के विजयरथ के लिए बेहद अहम मानते हुए भाजपा ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश में प्रचार की कमान सौंपी थी। अमित शाह के लिए उत्तर प्रदेश एकदम अनजान था, और चुनावी विशेषज्ञ इस निर्णय के लिए भाजपा की खिंचाई करने से बिल्कुल नहीं चूके। परंतु जिस तरह से अमित शाह ने सबकी आशाओं के विपरीत भाजपा को केवल उत्तर प्रदेश से 73 सीटें जितवाई, उससे उन्होंने सिद्ध किया कि काम बोलता है।
इसके अलावा अमित शाह बंगाल से भली भांति परिचित है, क्योंकि पिछले वर्ष लोकसभा चुनावों में इन्होंने ही चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली थी। जब ममता बनर्जी ने जय श्री राम के नारे लगाने को अपराध के तौर पर सिद्ध करने का प्रयास किया, और उनकी पार्टी के गुंडों ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए हिंसा का सहारा लिया, तो ये अमित शाह ही थे जिन्होंने ममता बनर्जी को खुलेआम चुनौती देते हुए हिन्दुत्व को अपने चुनाव प्रचार में शामिल किया और बंगाल की जनता को ममता के तानाशाही रवैयेे के विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित भी किया।
अमित शाह के आक्रामक चुनावी प्रचार के कारण जिस बंगाल में भाजपा को 4 सीट भी नहीं नसीब होती थी, वहां सभी को चौंकाते हुए 18 सीटों पर विजयी होकर भाजपा ने अपने आप को प्रमुख विपक्षी पार्टी के तौर पर स्थापित किया। ऐसे में जब अमित शाह ने आधिकारिक तौर पर बंगाल चुनाव के लिए भाजपा के अभियान की कमान संभाली है, तो बंगाल चुनाव अपने आप में काफी रोचक होने वाला है।