अफ्रीका से वापस लौट रहे चीनी मजदूर, संकेत स्पष्ट हैं- BRI अंतिम साँसे गिन रहा है

अब खुद चीन आ गया अपने वायरस के चपेट में..

BRI

कोरोना के कारण चीन का महत्वकांक्षी Belt and Road Initiative प्रोजेक्ट यानि BRI प्रोजेक्ट किस तरह धूल चाटने लगा है, उसी का एक और उदाहरण हमें अफ्रीका में देखने को मिला है। South China Morning Post यानि SCMP के मुताबिक अब बड़ी संख्या में ऐसी चीनी नागरिक वापस चीन की ओर रुख कर रहे हैं, जो कभी मजदूरी के लिए अफ़्रीका आए थे। इन सभी चीनी मजदूरों को चीन के BRI प्रोजेक्ट्स के अंतर्गत काम करने के लिए ही अफ़्रीका भेजा गया था, लेकिन अब जैसे-जैसे दुनियाभर में BRI प्रोजेक्ट्स के विकास की रफ्तार धीमी होती जा रही है, ठीक वैसे ही इन चीनी मजदूरों को भी अब वापस चीन आने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

SCMP की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 से वर्ष 2018 के बीच करीब 62 हज़ार 600 चीनी मजदूरों ने अफ्रीका छोड़ा। वर्ष 2015 में अफ़्रीका में चीनी मजदूरों की संख्या 2 लाख 63 हज़ार थी, जो अब घटकर करीब 2 लाख रह गयी है। इसका बड़ा कारण यह है कि पिछले तीन से चार सालों में अफ़्रीका में ना सिर्फ चीनी निवेश दर में कमी देखने को मिली है, बल्कि चीन के कई BRI प्रोजेक्ट्स भी सुस्त पड़ने लगे हैं।

वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2018 तक चीन ने अफ़्रीका को 148 बिलियन डॉलर का भारी-भरकम कर्ज़ दिया और यह सारा पैसा BRI प्रोजेक्ट्स पर ही खर्च किया जा रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों में बेहतर रिटर्न ना आने के कारण चीन ने अफ्रीका में पैसा निवेश करने की रफ्तार को बेहद धीमा कर दिया है। उदाहरण के लिए वर्ष 2016 में जहां चीन ने अफ़्रीका को करीब 30 बिलियन डॉलर का कर्ज़ दिया तो वहीं वर्ष 2018 में यह आंकड़ा सिर्फ 8.9 बिलियन रह गया।

अफ़्रीका में कम होती चीनी मजदूरों की संख्या के गणित को Angola देश के उदाहरण के साथ समझा जा सकता है। वर्ष 2016 में अकेले Angola को चीन ने करीब 20 बिलियन डॉलर का कर्ज़ दिया था, लेकिन वर्ष 2018 में इस अफ़्रीकी देश को चीन ने सिर्फ 80 मिलियन का ही कर्ज़ दिया। अब इसका सीधा असर इस देश में रह रहे चीनी मजदूरों की संख्या पर भी पड़ा। वर्ष 2015 में Angola में करीब 44 हज़ार चीनी मजदूर थे, जिनकी संख्या वर्ष 2018 आते-आते 27 हज़ार रह गयी। यही Algeria में देखने को मिला, जहां इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स सुस्त पड़ते ही चीनी मजदूर घर की ओर मुंह मोड़ने लगे।

चीनी कर्ज़ को लेकर कुछ अफ़्रीकी देशों में असुरक्षा की भावना भी बढ़ी है जिसके कारण भी यहाँ चीनी प्रोजेक्ट्स रेंगने को मजबूर हुए हैं। अफ्रीकी देशों को यह अहसास हुआ है कि चीनी कर्ज़ के कारण उनके लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा नहीं होते हैं, इसलिए उन्होंने खुद इनफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने के लिए चीनी कर्ज़ का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। कई जगहों पर तो इन प्रोजेक्ट्स को लोगों के गुस्से का शिकार भी होना पड़ा है। उदाहरण के लिए वर्ष 2016 में केन्या में कुछ क्षेत्रीय लोगों ने मिलकर एक चीनी प्रोजेक्ट पर धावा बोल दिया था, जिसमें 14 चीनी मजदूर बुरी तरह घायल हो गए थे।

ऐसे में अपने ऊपर हमला होने के डर के कारण भी चीनी मजदूर वापस चीन लौटने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। चीन के BRI पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं, और इसी के साथ अब अफ़्रीका में रह रहे चीनी नागरिकों की नौकरी खतरे में आ गयी है। अफ़्रीका से हो रहा चीनी नागरिकों का पलायन इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि BRI परियोजना अब आधिकारिक रूप से “Dead” यानि मृत घोषित हो चुकी है।

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