प्रशांत महासागरीय देश फिजी में चीनी दूतावास के अधिकारियों ने सभी राजनयिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ताइवान के एक अधिकारी पर जानलेवा हमला किया। ताइवान और चीन के बीच चल रही तनातनी के परिप्रेक्ष्य में ये पहली ऐसी हिंसक घटना हुई है।
इस खबर को कई मीडिया पोर्टल्स ने कवर किया है। द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी दूतावास से जुडे़ दो अधिकारी बिना किसी निमंत्रण के फ़िजी की राजधानी सुवा ग्रांड पैसिफिक ब्लू होटल पहुंचे और वहां पर मौजूद लोगों की तस्वीर और वीडियो बनाने लगे। इस दौरान लोगों में फिजी सरकार के दो मंत्री, अन्य देशों के राजनयिक, अंतरराष्ट्रीय एनजीओ और चीनी समुदाय के लोग भी शामिल थे।
इसके बाद ताइवान ने अपनी शिकायत में बताया कि कैसे फ़िजी की राजधानी सुवा ग्रांड पैसिफिक ब्लू होटल में Taiwan के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आयोजित एक भव्य समारोह में चीनी दूतावास के दो सदस्यों ने ज़बरदस्ती समारोह में प्रवेश किया और सबकी फोटो खींचने लगे। जब ताइवान के एक अफसर ने इसपर आपत्ति जताई, तो दोनों चीनियों ने उन्हें इतना पीटा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
इस घटना की पुरजोर निंदा करते हुए, Taiwan के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जोन ऊ ने कहा, “हम चीनी दूतावास की इस कायराना हरकत की कड़ी निंदा करते हैं। ताइवान ने इस घटना के साक्ष्य फ़िजी पुलिस को दिए हैं और चीन के दूतावास से इसकी शिकायत भी की गई है।”
आप इस मामले की गंभीरता को इसी बात से समझ सकते हैं कि न तो फ़िजी के विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई टिप्पणी की है, और न ही बीजिंग ने इसपर कुछ कहा है। यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब चीन ने ताइवान पर आक्रमण करने के संकेत दिए हैं।
बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और दुनिया पर अपनी वन चाइना नीति को थोपता आया है। लेकिन त्साई इंगवेन ने जब से सत्ता की बागडोर संभाली है, और जब से Taiwan ने चीन को वुहान वायरस फैलाने के लिए आड़े हाथों लिया है, तभी से चीन ताइवान की आवाज़ को कुचलने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है। दरअसल, त्साई इंगवेन चाहती हैं कि ताइवान को एक स्वतंत्र देश माना जाए, जो चीन को फूटी आँख नहीं सुहाता।
यह भी पढ़ें: भारत से हारने के बाद, अब चीन ताइवान से भी पीटने की योजना पर जुट गया है
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अब चीन ताइवान जैसे द्वीपीय देश को डरा धमका कर रखना चाहता है, ताकि एक क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में उसकी छवि एशिया में बनी रहे। इसीलिए इन दिनों Taiwan की हवाई सीमा में चीनी फाइटर जेट्स द्वारा घुसपैठ अब बहुत आम बात हो चुकी है। चीन का मूल उद्देश्य यही है कि युद्ध का माहौल बना रहना चाहिए, भले ताइवान के साथ वो वास्तव में युद्ध न करे, क्योंकि यदि वाकई में युद्ध हुआ, तो सबको ज्ञात है अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई देश ताइवान के साथ खड़े रहेंगे।
अगर देखा जाए, तो सैन्य बल के आधार पर ताइवान को कुचलना चीन के लिए बिलकुल भी आसान नहीं होगा, क्योंकि ताइवान के साथ अमेरिका मजबूती से खड़ा है। इसलिए वह ताइवान को निरंतर मोर्चे पर व्यस्त रखकर उसे थकाना चाहता है ताकि चीन का पलड़ा भारी रहे। परंतु उसकी यही नीति एलएसी पर उसके लिए भारी सिद्ध हो रही है। शायद यही वजह है कि अब चीन हाथापाई पर उतार आया है, ताकि उसके ‘वर्चस्व’ पर कोई आंच न आए।
यह भी पढ़ें: ताइवान के साथ ट्रेड डील कर भारत ने चीन की One China policy की धज्जियां उड़ा दी हैं