देश हित में किसी भी बिल को पास करने के लिए लोकसभा में प्रचंड बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार को राज्यसभा में विपक्ष का बेजा विरोध झेलना पड़ता है। अन्य घटक दलों और कुछ बाह्य सहयोगियों की मदद से ये बिल पास तो जाते हैं लेकिन इसमें समय की बर्बादी होती है। ऐसे में चुनाव आयोग ने यूपी और उत्तराखंड की राज्यसभा सीटों पर चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है। गणित के अनुसार इन चुनावों में तय जीत के बाद बीजेपी राज्यसभा में अब तक के अपने सबसे बड़े अंक पर पहुंच जाएगी और एनडीए की ताकत में भी इजाफा होगा जिससे राज्यसभा में मोदी सरकार के लिए सहूलियतें बढ़ जाएंगी।
दरअसल, चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट के लिए चुनावों का ऐलान कर दिया जो कि 9 नवंबर को होंगे। फिलहाल इन सीटों पर सपा का दबदबा था। जिसमें सपा के पास 4 बीजेपी के पास 3 कांग्रेस की 2 और बसपा की 2 सीट थी लेकिन कार्यकाल खत्म होने के साथ ही चुनाव के बाद राज्य सभा का गणित मोदी सरकार के लिए अधिक सरल और सहज हो जाएगा और बीजेपी एक नए आंकड़े पर पहुंचेगी जो कि लोकसभा की तरह ही राज्यसभा उसके प्रचंड आंकड़े की ओर ले जाएगा।
दरअसल, बीजेपी के पास फिलहाल राज्यसभा में 86 सीटें हैं जिसमें से तीन सीटें तो चुनाव बाद वो वापस ले ही लेगी, लेकिन जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन 11 सीटों के चुनाव में बीजेपी 9 से 10 सीटें आराम से जीत सकती है। जिससे बीजेपी राज्यसभा में 92-93 तक के आंकड़े तक पहुंच सकती है जो कि उसके लिए एतिहासिक होगा। राज्य सभा में पूर्ण बहुमत का आंकड़ा 123 है। फिलहाल एनडीए 112 पर जो इन चुनावों के बाद 118-119 की तरफ बढ़ जाएगी। बीजेपी के बढ़ते ग्राफ के चलते राज्यसभा में ताकत बढ़ने के साथ ही एनडीए में भी उसकी ताकत बढ़ेगी ओर ये किसी भी दल के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि गठबंधन का नेतृत्व करने वाली पार्टी की ताकत में इजाफा हो और बीजेपी इस खेल में माहिर है।
दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है। ये बात एक बार फिर साबित हुई है। उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान तीन-चौथाई सीटें जीतने के बाद बीजेपी ने राज्यसभा में भी अपनी इसी ताकत का फायदा उठाया है और स्थिति आज ये है कि यूपी की क्षेत्रीय पार्टियां जो राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए यूपीए सरकार से डीलिंग करती थीं वो अब राज्यसभा में एक-एक सीट के लिए मोहताज हैं और इस खेल में सबसे नुकसान बसपा का हुआ है जिसके एक प्रत्याशी का राज्यसभा जाना भी अब नामुमकिन हो गया है।
हाल ही में हमने देखा कि जो आजतक नहीं हुआ वो राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने लोकतंत्र बचाने के नाम पर कर दिया। क़ृषि से जुड़े बिल के विरोध के कारण राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने सारी मर्यादाएं तार-तार कर दीं। विपक्ष हर एक बिल के दौरान इसी नीति पर चलता है जिससे सदन की कार्रवाई बाधित होती है। लोकसभा में तो कई बार विपक्षी नेताओं द्वारा ये भी कहा गया है कि यहां तो बिल पास करा लोगे, राज्यसभा में पास करा के दिखाना। इसको लेकर अब ये यूपी की सीटों का राज्यसभा चुनाव बेहद अहम होगा क्योंकि कांग्रेस समेत पूरे विपक्षी दलों की सेना सदन में पहले से और छोटी हो जाएगी और ये भाजपा के लिए ये 90 पार का अंक एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।