बिहार की राजनीति दिन प्रतिदिन दिलचस्प होती जा रही है। एक तरफ केंद्र में NDA में शामिल लोजपा बिहार चुनाव में अलग हो चुकी है तो वहीं BJP के कद्दावर नेता LJP में शामिल हो रहे हैं जिसका एक ही मकसद है यानि नीतीश की JDU को हराना।
परंतु ऐसा लग रहा है कि जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार देकर बीजेपी लोजपा को नीतीश की JDU के खिलाफ मजबूत कर रही है जिससे चुनाव के बाद नीतीश को बाहर का रास्ता दिखाया जा सके। हालांकि, यह अभी अनुमान ही लगाया जा सकता है लेकिन LJP का संदेश साफ है नीतीश को हराना है।
IANS की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा की वरिष्ठ नेता उषा विद्यार्थी ने बुधवार को लोजपा का दामन थाम लिया। विद्यार्थी बिहार भाजपा की उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री भी रह चुकी हैं। लोजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद विद्यार्थी ने कहा कि वह चिराग के नीतीश पर लिए गए स्टैंड से प्रभावित हुई हैं ,बिहार को आगे ले जाने के लिए कुछ कठोर फैसले लेने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट एक विचार है।
इससे पहले मंगलवार को भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह लोजपा में शामिल हो गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वे दिनारा से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। एलजेपी में शामिल होने के बाद राजेंद्र सिंह ने कहा कि, “दिनारा सीट की जनता के दबाव में मैं इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रहा हूं। लोगों के बेशुमार प्यार को दरकिनार नहीं कर सकता हूं। मैंने हर हाल में इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। इस बारे में एलजेपी से बात भी हो गई है। बता दें कि दिनारा सीट जेडीयू के खाते में गई है। यहां से नीतीश कुमार ने मंत्री जय कुमार सिंह को टिकट दिया है।
Delhi: Bihar Bharatiya Janata Party (BJP) vice president Rajendra Singh joins Lok Janshakti Party (LJP) in presence of LJP chief Chirag Paswan. pic.twitter.com/WT7onCcEU3
— ANI (@ANI) October 6, 2020
IANS की रिपोर्ट के अनुसार भोजपुर के भाजपा नेता राम संजीवन सिंह, जहानाबाद के देवेश शर्मा, गया के रामावतार सिंह, जदयू के औरंगाबाद जिला के पूर्व उपाध्यक्ष आर एस सिंह तथा खगड़िया के पूर्व जदयू उपाध्यक्ष कपिलदेव सिंह समेत कई नेता लोजपा के संपर्क में हैं।
यानि देखा जाए तो BJP के कई दिग्गज और विजयी उम्मीदवार LJP में शामिल हो रहे हैं जिनका एक ही मकसद है नीतीश कुमार को हराना। अगर BJP उन्हें अपनी पार्टी में रखती तो उनका JDU के खिलाफ उतरना नामुमकिन हो जाता लेकिन LJP में शामिल होने के बाद उन्हें नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा।
Some folks were LOLing when I suggested that LJP with ~30 seats will help Bihar get its first BJP CM.
Some strong BJP leaders are now moving to the LJP while still swearing loyalty to the BJP.
So in a nutshell,BJP is giving LJP more winnable candidates.https://t.co/I1RBFV4e9o
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) October 7, 2020
बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ कैंडिडेट के उतारने और बीजेपी को समर्थन करने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं पहले तो LJP ने बिहार में नरेंद्र मोदी के नाम और काम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था परंतु BJP ने स्पष्ट किया था कि वह बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का नाम लेकर वोट नहीं मांग सकते हैं।
यानि अगर देखा जाए तो LJP NDA से अलग जरूर हो गयी है लेकिन अभी भी इस पार्टी को पीएम मोदी पर भरोसा है। स्वयं चिराग कई बार पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं और कह चुके हैं कि नीतीश कुमार के NDA को धोखा दिया है। यह चुनावों के बाद होने वाले गठबंधन के ही संकेत समझे जा सकते हैं।
इस बार चुनावों में एलजेपी NDA से अलग हो कर जेडीयू के सभी प्रत्याशियों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारने के लिए तैयार है। वहीं अगर NDA के गठबंधन में देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी को जहां 121 सीटें मिली हैं, वहीं जदयू को 122 सीटें।
मगर यहां जदयू के 122 सीटों में से सात सीटें जीतन राम मांझी की पार्टी HAM को दी भी जाएंगी। इस तरह से इस चुनाव में जदयू कुल 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं BJP को भी मुकेश साहनी की वीआईपी को कुछ सीटें देनी हैं। बिहार की राजनीति में यह पहली बार देखा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी, नीतीश की जदयू से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। भले ही लोकसभा में बीजेपी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े, मगर विधानसभा में नीतीश की पार्टी जदयू ही बड़े भाई की भूमिका में होती थी, मगर इस बार पासा पलटा हुआ है। ऐसे में अगर LJP अपने और BJP से आए उम्मीदवारों के दम पर 30-50 के बीच सीटों पर भी JDU के खिलाफ जीत हासिल कर लेती है तो वह सरकार बनाने में निर्णायक साबित हो जाएगा। इसके बाद नीतीश कुमार को CM पद से हटाना हटाना आसान हो जाएगा क्योंकि जब संख्या ही नहीं तो CM पद कैसा? इसके बाद BJP को LJP के साथ मिल कर सरकार बनाने और अपना मुख्यमंत्री बनाने का मौका मिल जाएगा। यह एक ऐसा मौका होगा जिसका इंतजार बिहार राज्य कई दशकों से कर रहा है।
यह तमाम राजनीतिक घटनाक्रम कहीं से भी संयोग नहीं हो सकते बल्कि यह एक सोची समझी प्लानिंग ही लगती है। यह नीतीश कुमार के लिए एक संदेश है कि अब चुनावों की बिसात बिछाई जा चुकी है और BJP तथा LJP मिल कर नीतीश को चेकमेट करने के लिए तैयार है।