चीन की नीतियां इतनी ज्यादा खतरनाक हो चलीं हैं कि अब उसके आम नागरिकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। तानाशाह चीन को लेकर पूरे विश्व के लोकतांत्रिक देश एक्शन ले रहे हैँ औऱ अपने देशों में उन चीनी नागरिकों और छात्रों का वीजा कैंसिल कर रहे हैं जो कि वहां जाकर चीन के लिए जासूसी जैसे काम करते हैं। इसके चलते भारत औऱ अमेरिका पहले ही चीनी लोगों के लिए वीजा नियमों को सख्त कर चुके हैं अब ठीक इसी दिशा में जापान भी काम कर रहा है।
दरअसल, जपान के सरकार समर्थित अखबार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान चीन से आने वाले शोधकर्ताओं औऱ छात्रों के लिए वीजा जारी करने की प्रक्रिया को और सख्त कर सकता है। यूमिउरी ने इस रिपोर्ट को लेकर किसी स्रोत का खुलासा तो नहीं किया है लेकिन अगर टोक्यो इस दिशा में कोई कदम उठाने की रणनीति बना रहा है तो ये चीन के लिए एक बड़े झटके की तरह ही है।
गौरतलब है कि चीन के शोधकर्ता और छात्र बड़ी संख्या में अमेरिका, भारत, जापान समेत पूरी दुनिया में चीन के लिए जासूसी करते पाए गए हैं जो कि चीन की जासूसी नेटवर्क का एक अहम हिस्सा बन गए हैं औऱ इसी के चलते अब अमेरिका और भारत ने इसके शोधकर्ताओं औऱ छात्रों को लेकर अपने वीजा नियमों को और अधिक सख्त कर दिया है जिससे ये लोग देश में इन्ट्री ही न कर सकें।
अखबार ने ये भी बताया है कि जब चीन के इन लोगों पर अमेरिका और भारत जाने पर रोक लगे तो ये सभी अपना लक्ष्य बदलते हुए जापान का रुख कर सकते हैं क्योंकि टोक्यो औऱ वॉशिंगटन के बीच रक्षा को लेकर बड़ी साझेदारी है जिसके चलते ये लोग जापान को अपना टारगेट बना सकते हैं। अमेरिका के ट्रंप प्रशासन के दौरान लगातार ऐसे चीनी जासूस पकड़े जा रहे हैं जो शोधकर्ता या छात्र बनकर अमेरिका में दाखिल हुए थे।
जापान औऱ अमेरिका ही नहीं बल्कि चीन के ये नागरिक जासूसी के चलते quad देशों के लिए भी मुसीबत का सबब बने हुए हैं जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया और भारत भी सख्त कदम उठा रहे है। ऑस्ट्रेलिया में सीसीपी के लोग टैलेंट औऱ टेक्नोलॉजी के नाम पर काम कर रहे हैं जिससे वहां के स्थानीय लोगों की संख्या इन क्षेत्रों में कम हो रही है औऱ इससे ऑस्ट्रेलिया को नुकसान भी हो रहा है। यही लोग सीसीपी और पीएलए के लिए जासूसी भी करते हैं। चीन भी यहां के विश्वविद्यालयों के माध्यम से क्षेत्र को प्रभावित करने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों में चीनी छात्रों के औसतन अकाउंट की तादाद 10 प्रतिशत तक है जबकि उसके शहर सिडनी में तो ये तादाद 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
इसी तरह भारत में भी चीन की जासूसी वाली गतिविधियां बढ़ती ही जा रही हैं जिसके चलते भारत सरकार ने भी चीन से आने वाले छात्रों और रिसर्चर्स को लेकर वीजा स्वीकृति के नियमों को अधिक सख्त कर दिया है। सभी को पता है कि कैसे ये तथाकथित शोधकर्ता और छात्र चीन को उस देश की खुफिया जानकारियां प्रदान करते हैं। जिसके चलते ही अब अमेरिका और भारत जैसे देशों को वीजा संबंधी नियमों पर अधिक सख्ती करनी पड़ी है।
अमेरिका और भारत की तरह ही वीजा को लेकर यदि जापान कोई सख्त कदम उठाता है तो ये चीन के लिए एक औऱ तगड़ा झटका होगा जो उसकी वैश्विक स्तर एक नई बेइज्जती कराएगा साथ ही नए नवेले प्रधानमंत्री सुगा और चीन के बीच इसको लेकर एक नया विवाद भी हो सकता है।