हाल ही में रेज़र पे नामक एक वित्तीय तकनीक [फिन-टेक]कंपनी के मूल्य में ज़बरदस्त वृद्धि हुई है, और उसका कुल मूल्य अब 1 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। ये बिलडेस्क, फ्लिपकार्ट समर्थित फोनपे [PhonePe] एवं पॉलिसी बाज़ार के बाद भारत की पाँचवी ऐसी कंपनी है, जिसने यह कीर्तिमान प्राप्त किया है। अब रेज़र पे के मूल्य में दर्ज वृद्धि के बल पर रेज़र पे कैपिटल नामक एक ऑनलाइन लेंडिंग प्लैटफ़ार्म लॉंच होगा, जो आधुनिक बैंकिंग सेवाओं में विशेषज्ञ होगा।
इस विषय पर रेज़र पे के सीईओ एवं सह संस्थापक हर्षिल माथुर ने कहा, “जीआईसी जैसे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर का साथ होना बहुत अच्छी बात है और बजाज फिंसर्व एवं बंधन बैंक में निवेश हमारा दायरा और बढ़ाएगा। इस तरह से हमारा फोकस भारतीय मार्केट की तह तक घुसने की ओर केन्द्रित होगा और हमारे उत्पादों को और बढ़ावा भी मिलेगा।
अब हर्षिल पूरी तरह गलत भी नहीं है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उच्च इन्टरनेट कनैक्टिविटी एवं सस्ते डेटा दरों की कृपा से फिन-टेक के क्षेत्र में विशेष रूप से काफी विकास हुआ है। जो कंपनियाँ प्रारम्भ में केवल ऑनलाइन पेमेंट के लिए सोल्यूशन देने तक सीमित थी, अब हर प्रकार की सुविधाएं देने को तैयार है, चाहे वो उधार देना हो, निवेश हो, बीमा हो या फिर सेविंग्स डिपॉजिट ही क्यों न हो।
इसी दिशा में काम करते हुए पेटीएम ने Paytm Money को लॉंच किया, जिससे लोग ऑनलाइन म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सके। इसके अलावा वह बीमा सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है, और अपने आप को वह एक तरह से सुपर एप की श्रेणी में लाना चाहता है, जिसमें अब रिलायंस और टाटा भी प्रवेश करने वाले हैं। वहीं दूसरी ओर रेज़र पे जैसी कंपनियाँ अपने लिए एक अलग मुकाम बना रही हैं, जिसमें वह लेंडिंग और कोर बैंकिंग सोल्यूशन्स के क्षेत्र में भी प्रवेश करने जा रही है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अक्सर ग्राहकों को एक काउंटर से दूसरे काउंटर भगाने वाले बैंक ब्रांच अब जल्द ही इतिहास का भाग बन सकते हैं।
चूंकि, भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में अधिकतर सार्वजनिक बैंकों का ही दबदबा रहा है, इसलिए वह ग्राहकों को विश्व स्तरीय सुविधाएं नहीं प्रदान कर पाये हैं, जिसके कारण अब भारतीय ग्राहक फिन-टेक कंपनियों का रुख कर रहे हैं। सार्वजनिक बैंक न क्रेडिट स्कोर का इस्तेमाल करती हैं, और न ही अन्य डेटा टूल्स का, जिसके कारण वह अपने प्रमुख सेवाओं में भी अधिकतर असफल ही सिद्ध हुई है।
आर्थिक सर्वे में आर्थिक सलाहकारों ने इस बात पर ज़ोर डाला है कि यदि सार्वजनिक बैंक तकनीकी रूप से समृद्ध नहीं हुए, तो जल्द ही वे निष्क्रिय पड़ जाएंगे, और 8 लाख कर्मचारियों का अस्तित्व राजकोष के लिए खतरा बन जाएगा।
आज Paytm, Phonepe, Razorpay जैसी कंपनियाँ धीरे-धीरे करके कई बैंकिंग गतिविधियों पर अपना नियंत्रण जमा रही है, और अब वे बैंकों के मूल काम यानि उधारी, बीमा और निवेश पर अपनी नज़र जमा रही है। ऐसे में रिलायंस और टाटा की बतौर सुपर एप मार्केट में एंट्री काफी अहम होगी, जो अलीबाबा और Tencent के बिजनेस मॉडेल के आधार पर काम कर सकती है।
भारत के 6 करोड़ MSMEs ऐसे फिन-टेक कंपनियों के लिए काफी सुनहरे अवसर प्रदान करते हैं। यदि हम MSMEs के वास्तविक क्षमता का उपयोग करें, तो आर्थिक विकास किस रफ्तार से आगे बढ़ेगा, इसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता। चूंकि, आम बैंक ब्रांच अब जल्द ही इतिहास बन सकते हैं, इसलिए इन बैंकों में अब रिक्तियाँ बहुत कम निकल रहे हैं, और इसलिए सरकारी परीक्षाओं के लिए तैयारी करने वाले विद्यार्थी भी अब आक्रोशित हो रहे हैं।
लेकिन जिस प्रकार से सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम अथवा बैंक काम करते आए हैं, अगर वे सुधार की दिशा में आगे नहीं बढ़े, तो जल्द ही वे इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे। वहीं दूसरी ओर फिन-टेक कंपनियों ने अभी शुरुआत भी नहीं की है, और तब उनके पास आर्थिक वृद्धि के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। अब सोचिए आने वाले वर्षों में इन कंपनियों के जरिये भारत किस प्रकार से वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।