जैसे-जैसे भारत में कोरोना का प्रकोप कम होता जा रहा है और जैसे-जैसे देश में दोबारा आर्थिक गतिविधियां ज़ोर पकड़ती जा रही है, ठीक वैसे ही भारत के कई सेक्टर्स अब वापस पटरी पर लौटना शुरू हो गए हैं। अर्थव्यवस्था की सेहत को अंकित करने वाले कई पैमानों पर अब भारत बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। देश में तेल की खपत से लेकर automobile सेल और एक्स्पोर्ट्स तक, हर क्षेत्र में भारत कोरोना से पहले वाली स्थिति या उससे भी बेहतर स्थिति में प्रवेश कर चुका है।
कोरोना के कारण देश में जब लॉकडाउन लगाया गया था, तब कई “विशेषज्ञों” ने दावे के साथ कहा था कि देश की इकॉनमी कभी इस झटके से उबर नहीं पाएगी। इसके बाद जब इस वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था ने 23 प्रतिशत की दर से नेगेटिव ग्रोथ दर्ज की, तो ऐसे “विशेषज्ञों” के इन दावों को और बल मिल गया और इन्होंने उम्मीद जताई कि अब भारत की इकॉनमी लंबे समय के लिए मंदी के दौर में जाने वाली है।
हैरानी की बात यह है कि मीडिया में मौजूद ऐसे कथित विशेषज्ञ आज भी इसी एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगे हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है की क्या ये लोग आंकड़ों पर नज़र डालने का कष्ट भी करते हैं, या फिर इनको सिर्फ राजनीतिक पक्ष चुनकर अपनी भ्रामक पत्रकारिता करना ही आता है। Tfipost पर हम यह पहले भी कह चुके हैं कि लॉकडाउन के दौरान देश में सभी आर्थिक गतिविधियां बंद रहने के कारण यह स्वाभाविक था कि देश की GDP में गिरावट दर्ज की गयी। ऐसे में अब जब दोबारा आर्थिक गतिविधियां शुरू हुई हैं, वैसे ही दोबारा देश की इकॉनमी भी तेजी पकड़ने लगी है।
देश की 12 लाख पंजीकृत कंपनियों से इतर अगर देश के करीब 6 करोड़ MSME यूनिट्स और कृषि सेक्टर पर नज़र डाली जाये, तो यह समझ में आएगा कि देश की इकॉनमी वाकई रफ्तार पकड़ रही है। उदाहरण के लिए अप्रैल से लेकर सितंबर महीने के दौरान देश के कृषि एक्स्पोर्ट्स में करीब 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली। भारत IT, फार्मा और कृषि सेक्टर में बेहतर प्रदर्शन करता रहा है और लॉकडाउन के दौरान भी इन सभी सेक्टर्स ने बेहतर प्रदर्शन ही किया है, जिसके कारण भारत पिछले कुछ महीनों में net exporter देश बन गया है। लॉकडाउन के बाद अब देश में MSME सेक्टर ने दोबारा तेजी पकड़ी है, जो कृषि के बाद सबसे ज़्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करता है। हालांकि, हमारे experts इस बात पर ध्यान देते ही नहीं है और या ध्यान देने की ज़रूरत ही नहीं समझते हैं।
MSME सेक्टर के बारे में आंकड़े बेशक कम ही उपलब्ध हो, लेकिन ये सेक्टर देश की इकॉनमी में 30 प्रतिशत का योगदान देता है। इस सेक्टर से जुड़ा प्रत्येक उद्योग 15 से 20 लोगों को ही रोजगार प्रदान करता है, लेकिन मिलकर यह संख्या करोड़ों में पहुँच जाती है। आइए अब इकॉनमी से जुड़े कई महत्वपूर्ण आंकड़ों पर नज़र डाल लेते हैं:
- अगस्त महीने में देश में Rail freight Traffic में 4 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली, जो इस बात का सूचक है कि देश में manufacturing सेक्टर धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ता दिखाई दे रहा है।
- देश में Composite Output Index यानि PMI भी तेजी से 50 पॉइंट यानि Positivity की ओर बढ़ रहा है। अप्रैल महीने में 10 से नीचे रहने वाले PMI अगस्त महीने में 46 तक पहुँच गया था। बता दें कि देश में manufacturing output index और service सेक्टर के activity index के weighted average को PMI कहा जाता है, और PMI 50 से अधिक होने का मतलब होता है कि सेक्टर में विकास दर्ज किया जा रहा है।
- ट्रैक्टर की बिक्री में अगस्त महीने में 75 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली, जो दिखाता है कि ग्रामीण भारत में मांग अच्छी है और ग्रामीण इकॉनमी बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
- Trade balance और विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में देश की अर्थव्यवस्था बेहद अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
ऐसे में एजेंडा पीछे छोड़कर देश के पत्रकारों और विशेषज्ञों को देश की अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर दिखाने की ज़रूरत है। आने वाले महीनों में हमें कोरोना के साथ-साथ आर्थिक पहलू पर और बेहतर आंकड़े देखने को मिल सकते हैं, ऐसे में हमें देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आशावादी रहने की ज़रूरत है।