TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

बिहार के आबाद होने से लेकर बर्बाद होने तक की यात्रा का प्रतीक है जेपी आंदोलन

देश की राजनीति की दिशा को बदलने वाला बिहार, खुद को क्यों नहीं बदल पाया?

Prashant द्वारा Prashant
14 October 2020
in मत
जेपी आंदोलन
Share on FacebookShare on X

जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो।

समाज के प्रवाह को नयी दिशा में मोड़ दो।

संबंधितपोस्ट

BJP ने नीतीश से लिए रोजगार और विकास से जुड़े मंत्रालय, बिहार के अहम मुद्दे भाजपा के जिम्मे

जानिए, कैसे बिहार में अनिच्छा वाली रणनीति से बीजेपी बना सकती है अपना मुख्यमंत्री

चिराग का राजनीतिक दांव हुआ कामयाब, खुद तो डूबे ही नीतीश को भी कहीं का नहीं छोड़ा

और लोड करें

5 जून 1974 पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक महासभा में यह नारा गूंज रहा था। यह समाज में आने वाले उस परिवर्तन की आवाज थी। जिसकी बुनियाद जयप्रकाश नारायण रख रहे थे। यह महासभा कोई आम सभा नहीं थी बल्कि इंदिरा गांधी की दमनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट हुई बिहार की जनता थी , जिसके सम्पूर्ण क्रांति के आह्वान ने केंद्र सरकार की चूलें हिला दी थी।

’’सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है |’’
– लोकनायक जय प्रकाश नारायण (pc- patrika)

बिहार में जब आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन की शुरुआत हुई तो किसी को भी ये नहीं पता था कि यह आंदोलन कहाँ जाकर खत्म होगा। इस एक आंदोलन ने बिहार की आज तक की राजनीति को बदल कर रख दिया है। यह आंदोलन उस दौर में शुरू हुआ जब बिहार में काँग्रेस की सरकार थी, क्षेत्रीय पार्टियों का उभार तब तक नहीं हुआ था। उस वक्त काँग्रेस एक मजबूत और जनाधार वाली काँग्रेस हुआ करती थी। इंदिरा गांधी के घमंड को बिहार ने ऐसा चकनाचूर किया कि तब से अब तक बिहार में काँग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों के अधीन ही रही।

उस दौर में जब काँग्रेस खत्म हो रही थी, अपने जनाधार को खो रही थी तब बिहार में एक नई राजनीतिक सुचिता आकार ले रही थी। बिहार में छात्रों के नेतृत्व में राजनीति की जमीन पर बिल्कुल एक नई पौध तैयार हो रही थी, जो आने वाले कई वर्षों तक बिहार के साथ-साथ देश को भी बदलने का माद्दा रखने वाली थी परंतु कुछ घटनाओं ने बिहार की राजनीतिक जमीन की उर्वरकता को छीन लिया।

इंदिरा सरकार को हटाने के बाद जनता पार्टी के बैनर तले जाति,पंथ की भावना से इतर जब सरकार बनी तो चंद नेताओं के निजी स्वार्थ ने उस गठबंधन को तार-तार कर दिया। उस जनता पार्टी से अनेकों नेता अलग होकर अपनी जाति को केंद्र में रखकर अपनी पार्टियों की स्थापना कर दी। जिसमें बिहार में लालू यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान जैसे नेताओं का उदय हुआ जो एक खास जाति और वर्ग के नेता बने रहें। उसके बाद भी सवर्णों का झुकाव काँग्रेस की तरफ बना रहा। बहुजन केंद्रित राजनीति ने बिहार में जाति आधारित पार्टियों को गुना भाग कर के सरकार बनाने का मौका दे दिया। यहाँ जनता दल से आए हुए सभी नेताओं को फायदा जरूर हुआ परंतु यदि नुकसान किसी का हुआ तो वह बिहार की जनता ही थी।

1961 में श्रीकृष्ण सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद 1990 तक क़रीब तीस सालों में 23 बार मुख्यमंत्री बदले और पाँच बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। क्षेत्रीय पार्टियों के उदय होने के कारण बिहार में काँग्रेस की जमीन खिसकती ही चली गई। जिन 23 मुख्यमंत्रियों की यहाँ बात हो रही है उसमें से 17 तो सिर्फ काँग्रेस के थे जो यह दिखाता है कि बिहार की राजनीति कैसे करवट ले रही थी।

वर्ष 1989 में जब केंद्र में वीपी सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में जनता दल सरकार ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया तो बिहार के नेता लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान उसके सबसे बड़े समर्थकों में से थे। इसी के बाद बिहार में लालू प्रसाद यादव का उदय होता है। जो 1990 में मुख्यमंत्री बनते हैं और लगभग 1997 तक कुर्सी उनके पास बरकरार रहती है ,जब चारा घोटाला सामने नहीं आता है। उसके बाद वे खुद हटकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप देते हैं। यह बिहार की राजनीतिक चेतना पर एक जोरदार तमाचे की तरह था, जहां जाति के आगे प्रभावी राजनीति ने घुटने टेक दिये थे।

वर्ष 1990 के आसपास एक आंदोलन और उठ रहा होता है, जिसे मंदिर आंदोलन की संज्ञा दी गई थी, यह वही आंदोलन था जिससे हिन्दी पट्टी में भाजपा का उदय हो रहा होता है। यह बिहार के लिए एक नई बात थी, बिहार जिसने राष्ट्रीय पार्टी (काँग्रेस) को नकारकर ही वर्तमान की राजनीति स्थापित की थी उस बिहार में एक अन्य राष्ट्रीय पार्टी नए कलेवर के साथ आ रही थी। साथ ही साथ बिहार में नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में आकर उसने राज्य की अगड़ी जातियों और ओबीसी के कुछ तबकों के विश्वास को जीत लिया था। काँग्रेस के वोट बैंक में यहाँ सेंधमारी हो चुकी थी। मुस्लिम और यादव जो की बिहार में तकरीबन 25% के आसपास हैं वह लालू यादव के पक्ष में चले गए थे और दलितों के नेतृत्वकर्ता के रूप में रामविलास पासवान उभर रहें थे। धीरे-धीरे बिहार जातीयता के ऐसे दलदल में फँसता चल गया जहाँ से उसे निजात 2005 के चुनावों में मिली। यहाँ आकर सुधारों की एक उम्मीद सी दिखी थी, इस बात को कई पॉलिटिकल पंडित मानते हैं परंतु बिहार वर्षों के इस बुराई से महज कुछ वर्षों में बाहर नहीं निकाल पाया। लेकिन फिर आता है 2014 का वह ऐतिहासिक चुनाव जहां बिहार ने पहली बार जातीयता से उठकर देश के लिए मतदान किया। जाति के सारे बंधनों को तोड़कर बिहार ने बाकी देश के साथ कदम से कदम मिलाकर नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुत दिलाने में अग्रिम भूमिका निभाई। उस चुनाव में बिहार के 40 सीटों में से एनडीए गठबंधन के खाते में 31 सीटें आईं। यह झटका जाति आधारित पार्टियों के लिए सबसे बड़ा झटका था, विशेषकर लालू यादव के लिए। इन सब के बावजूद  बिहार के चुनावी राजनीति को देखकर इतना तो जरूर कह सकते हैं कि बिहार में क्षेत्रीय पार्टियों के उदय ने राजनीति को और लोकतंत्र को एक नया आयाम दिया। यहाँ जातिगत समीकरण साधे गए तो उन जातियों को लोकतंत्र में भागीदारी भी मिली जो की हाशिये पर थी।

जेपी आंदोलन ने बिहार को यदि कुछ दिया है तो उसके बदले में बहुत कुछ लिया भी है। इंदिरा सरकार के चुनावों में हारने के बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी और महज कुछ वर्षों में ही बिखर गई। इसके बाद वापसी होती है फिर से इंदिरा गांधी की, जो ये मानती हैं कि उनकी सरकार को तहस-नहस यदि किसी ने किया है तो वह बिहार ही है और बिहार इसकी कीमत भी चुकाता है। इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी के बाद पंजाब में बड़े स्तर पर कृषि सुधार होते है परंतु बिहार के साथ यह नहीं होता है। न ही बिहार को वो सुविधाएं मिलती हैं जो कि पंजाब को मिली। बिहार की मिट्टी में उर्वरकता पंजाब की मिट्टी से कहीं अधिक थी। गंगा के मैदानी हिस्से में होने के कारण यहाँ संभावनाये भी अपार थी। परंतु उस दोहरे रवैये और बदले की राजनीति की चपेट में बिहार आ गया।

बिहार के मतदाताओं के बारे में अक्सर यह कहते सुना गया है कि ये देश के मूड से अलग चलते हैं। दरअसल, इसके पीछे एक गंभीर वजह है। जब भी 1990 के बाद केंद्र में कोई सरकार रही है तो वह बिहार के विरोध में ही रही है। वीपी सिंह हो या राजीव गांधी, बिहार को हमेशा केंद्र के एक विरोधी के रूप में देखा गया जिसकी कीमत बिहार ने हर मोर्चे पर अपने विकास के साथ समझौते कर के चुकाई। जब लालू मुख्यमंत्री थे तो लालू विरोधी केंद्र में थे जब 2004 में सत्ता मनमोहन सिंह के पास आई तो बिहार में नीतीश कुमार की सरकार आ चुकी थी। यदि कुल मिलाकर हम देखें तो बिहार में महज पिछले तीन वर्षों से ही केंद्र और राज्य दोनों में एक ही सरकार काम कर रही है।

आने वाले दिनों में बिहार एक बार फिर से अपने नेतृत्व को चुनने जा रहा है परंतु बिहार को यह याद हमेशा रहना चाहिए कि राजनीति के प्रति और लोकतंत्र समर्थित व्यवस्था के प्रति उसका दायित्व हमेशा से बढ़कर रहा है। जेपी आंदोलन जैसे एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व कर बिहार ने लोकतंत्र बचाने के साथ-साथ सामाजिक सुधारों को भी जन्म दिया था। आज वही सामाजिक सुधार जातीयता के व्यंग्य में कहीं छिप से गए हैं, जरूरत है तो उसे बाहर निकालने की। जेपी आंदोलन ने बिहार को बहुत कुछ दिया परंतु उतने बड़े आंदोलन की कीमत भी बिहार ने चुकाई है। आज शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सबमें पिछड़ा यह प्रदेश किसे नेतृत्व देता है यह तो वक्त ही बतयाएगा परंतु इसमें कोई शक नहीं कि एक बिहारी जब सम्पूर्ण क्रांति का नारा देता है तो वो महज एक सत्ता को नहीं ललकारता है बल्कि देश को अपने सामर्थ्य का परिचय भी देता है।

Tags: बिहार चुनाव 2020
शेयर20ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

यदि चीन को अपनी टेक इंडस्ट्री बचानी है तो माननी होंगी अमेरिका की शर्तें

अगली पोस्ट

QUAD से चीन बौखलाया, कहा, ये इंडो-पैसिफिक NATO है

संबंधित पोस्ट

जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत
इतिहास

जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

18 September 2025

बिहार की राजनीति में जब “जंगलराज” शब्द उभरा, तो यह किसी विपक्षी नेता की गढ़ी हुई परिभाषा नहीं थी। यह उस दौर की सच्चाई थी,...

रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान
चर्चित

रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

17 September 2025

भारत की राजनीति में नेताओं की चर्चा अक्सर उनके चुनावी भाषणों, जनसभाओं की भीड़ या बड़े नारों तक सीमित रहती है। लेकिन जब केंद्रीय मंत्री...

नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी
चर्चित

नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

17 September 2025

17 सितंबर—आज जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना जन्मदिन मना रहे हैं, तब यह महज़ कैलेंडर पर दर्ज़ एक तारीख नहीं है। यह तारीख...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

What Pakistan Planned After Hyderabad’s Surrender Will Shock You| Untold Story of Op Polo

What Pakistan Planned After Hyderabad’s Surrender Will Shock You| Untold Story of Op Polo

00:03:43

Inside the Waqf Case: What SC’s Interim Order Really Means?

00:19:34

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

00:05:16

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited