जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के आरोपी कन्हैया कुमार को बिहार चुनावों में कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया। बेगूसराय से लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही कन्हैया की राजनीति पर सवाल खड़े हो गए थे लेकिन अब पार्टी ने टिकट न देकर उन्हें एक औऱ राजनीतिक झटका दे दिया है। जिसके पीछे उनकी देश विरोधी छवि को बेहद अहम माना जा रहा है और अब ये भी कहा जा रहा है कि उनका राजनीतिक करियर खात्मे की ओर है।
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दल सीपीएम और सीपीआई ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुके हैं। मुख्य बात है कि इसमें इनके फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार को टिकट नहीं दिया गया है। हालांकि, पार्टी के नेताओं के द्वारा यह बात जरूर कही जा रही है कि उन्हें प्रचार समिति में शामिल किया गया है। पार्टी अपने फैसलों को लेकर 50 तरह के तर्क भी दे रही है लेकिन असल बात ये है कि इन तर्कों में राजनीतिक विश्लेषकों को कुछ खास दम नहीं दिख रहा है।
कन्हैया कुमार को लेकर ये आशंकाए होने लगी हैं कि उनको अब पार्टी धीरे-धीरे साइडलाइन कर रही है। जिसकी बड़ी वजह उनकी देश विरोधी छवि है। कन्हैया पर देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है। उन पर इसको लेकर मुकदमा भी चल रहा है। । 2019 के लोकसभा चुनावो में भी उनके एजेंडे पर उनकी ही देश विरोधी छवि भारी पड़ी थी और करारी हार हुई थी। उनकी पार्टी भी इस बात को पहले से ही समझती है।
बेगूसराय बिहार की एक ऐसी सीट थी जिसे लेफ्ट पार्टियों का गढ़ माना जाता था। उस क्षेत्र से कन्हैया का हारना इस बात का साफ संकेत है कि देश विरोधी नारों को लेकर ही कन्हैया कुमार का बोलना अब लेफ्ट को ही भारी पड़ रहा है।
शेहला रशीद सी स्थिति
कन्हैया की साथी शेहला रशीद कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही लगातार सरकार की आलोचना कर रही थीं जिसमें वो ऐसे बयान दे गई जो सेना और देश के खिलाफ ही चले गए। कश्मीर में लगातार जनता के साथ उत्पीड़न की फर्जी खबरों को सोशल मीडिया में फैलाकर वो देश को बरगला रही थीं, जिसका खंडन हर बार मोदी सरकार और मीडिया द्वारा किया गया और अंजाम ये हुआ कि उनका राजनीतिक करियर ढलान की ओर जाने लगा। उनके तथ्यों की काट के चलते शहीद दिखाने की कोशिश में शेहला ने जम्मू- कश्मीर के बीडीसी चुनाव से हटने का ऐलान कर दिया और अब स्थिति ये है कि राजनीति में वो कहीं नहीं हैं।
शेहला की तरह ही कन्हैया को देश के खिलाफ बोलने और सकारात्मक नीतियों पर भी सरकार को कोसने के चलते भारी नुकसान भुगतना पड़ा है और अब उन्हें विधानसभा चुनाव से दूर रखना लेफ्ट की नीति में कन्हैया का अनफिट होना भी माना जा रहा है। यही वजह है कि लेफ्ट की राजनीति में कुछ वर्षों पहले तक फ्रंटफुट पर खेलने वाला ये नौजवान नेता देश विरोधी नारों का स्टार बनकर अब देश की राजनीति के बिल्कुल किनारे पर पहुंच गया है,जिसका राजनीतिक करियर लगभग खत्म होने के कगार पर पहुँच चुका है।