बिहार के मुंगेर में दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन के दौरान जो हुआ वो सबने देखा। इस मामले में शुरु से ही पुलिस की कार्रवाई शक के घेरे में थी। इस बीच अब चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच के बाद डीएम और एसपी को पद से हटा दिया है। पब्लिक द्वारा लगातार एसपी को हटाने की मांग की जा रही थी। जनता से लेकर राजनीतिक पार्टियां एसपी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके थे। इस मामले की जांच के बाद CISF की रिपोर्ट में जो सामने आया है उससे साफ है कि ये सारा खेल डीएम और एसपी का ही है और जनता का इनके खिलाफ बोलना कोई गलत नहीं है।
दरअसल, मुंगेर में दुर्गापूजा में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए हिंसक मामले में शहर के डीएम राजेश मीणा और एसपी लिपि सिंह को पद से हटा दिया गया है। इस मसले पर चुनाव के दौरान प्रशासन संभालने के नाते चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले की जांच की है। इस जांच की रिपोर्ट में चुनाव आयोग ने एसपी लिपि सिंह की भूमिका को गलत पाया है जिसके कारण ये बवाल इतना ज्यादा बढ़ गया कि लोगों का आक्रोश प्रशासन के खिलाफ फूट पड़ा।
चुनाव आयोग और CISF द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट के मुताबिक पहले पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग की थी। इस रिपोर्ट में साफ है कि पहली दो गोलियां पुलिस ने ही चलाईं थीं। गौरतलब है कि ये रिपोर्ट सीआईएसएफ ने गोलीकांड के अगले ही दिन यानी 27 अक्टूबर को अपने अफसरों को भेज दिया था। रिपोर्ट कहती है, ‘मुंगेर कोतवाली थाना के कहने पर सीआईएसएफ की एक टुकड़ी को मूर्ति विसर्जन जुलूस की सुरक्षा के लिए जिला स्कूल वाले कैंप से भेजा गया था। 26 अक्टूबर की रात सीआईएसएफ के 20 जवानों की टुकड़ी को तैनात किया गया। मुंगेर की स्थानी पुलिस ने 20 जवानों को 10-10 जवानों की दो टुकड़ियों में बांट दिया। एक ग्रुप को एसएसबी और बिहार पुलिस के जवानों के साथ मुंगेर के दीनदयाल उपाध्याय चौक पर तैनात किया गया।’
CISF की रिपोर्ट में बताया गया कि ’26 अक्टूबर की रात के करीब 11:45 बजे श्रद्धालुओं और पुलिस के बीच विवाद शुरू हुआ। इसके बाद कुछ लोगों ने पुलिस और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। पथराव के दौरान मुंगेर पुलिस ने सबसे पहले हवाई फायरिंग की। फायरिंग के बाद भीड़ और ज्यादा आक्रोशित हो गई। वहीं पथराव भी तेज हो गया। हालात को बेकाबू होते देख सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया ने अपनी लाइसेंसी राइफल से 13 राउंड गोलियां हवा में चलाईं। फायरिंग के बाद आक्रोशित लोगों की भीड़ तितर-बितर हो गई। इसके बाद सीआईएसएफ, एसएसबी और लोकल पुलिस के जवान अपने कैंप में सुरक्षित वापस लौट गए।’
गौरतलब है कि जनता का लगातार इस मसले पर लिपि सिंह के खिलाफ गुस्सा फूटता जा रहा था, दूसरी ओर लिपि सिंह का कहना था कि पुलिस ने पहले गोली नहीं चलाई है। वो इस मामले में पुलिस का बचाव करती रहीं। उनका कहना था कि बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य पुसिल सख्ती बरतने का अनुरोध कर रही थी। इसी को देखते हुए उस भीड़ में कुछ असामाजिक तत्वों ने गोलियां चलाना शुरु कर दिया। एसपी पुलिस के 20 जवानों के घायल होने की बात तो कर रही थीं लेकिन अपनी गलती नहीं मान रहीं थी।
CISF की रिपोर्ट ने उन सभी बिंदुओं को साफ कर दिया है कि सबसे पहले गोली किसी भी हिन्दू श्रद्धालू ने नहीं, बल्कि पुलिस द्वारा चलाई गई, जिससे ये भी साबित होता है कि इस मामले में बिहार पुलिस का एसपी लिपि सिंह का रवैया कितना क्रूर था जिसके चलते एक शख्स की जान गई और इतने लोग घायल हुए। चुनाव आयोग द्वारा इस रिपोर्ट के आधार पर ही एसपी लिपि सिंह, और डीएम राजेश मीणा को पद से हटाया है जिससे जनता का गुस्सा कुछ शांत हो सके।