हाल ही में रूस द्वारा अपने डिफेंस बजट में बड़ी कमी की घोषणा की गयी है, जिसके माध्यम से रूस ने दुनिया को दो बड़े संदेश देने की कोशिश की है। पहला संदेश अमेरिका को और दूसरा संदेश चीन के लिए!
दरअसल, रूस के वित्त मंत्रालय ने रक्षा बजट में बड़ी कमी की घोषणा की है, जिसके तहत रूस के सुरक्षा बलों की संख्या में 10 प्रतिशत की कटौती करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह ऐलान ऐसे समय में किया गया है जब पहले ही पश्चिमी मीडिया में चीन और रूस के संभावित सैन्य सहयोग से संबन्धित रिपोर्ट्स देखने को मिल रही है।
अपने एक फैसले से रूस ने यह साफ संदेश भेजा है कि वह चीन के साथ किसी भी प्रकार के सैन्य गठबंधन के लिए तैयार नहीं है। रूस ने अमेरिका को यह संदेश भेजने की कोशिश भी की है कि वह अमेरिका के लिए अब बड़ा खतरा नहीं है, और उसे भविष्य में अमेरिका के साथ किसी प्रकार के सैन्य टकराव में कोई दिलचस्पी नहीं है। रूसी वित्त मंत्रालय के सुझाव के मुताबिक रूसी सेना में करीब 1 लाख सैनिकों की कटौती की जा सकती है। Kremlin के मुताबिक अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
जिस समय अमेरिका और चीन के बीच तनाव देखने को मिल रहा है, ऐसे समय में रूस ने अपने डिफेंस बजट में कमी कर चीन को भी यह संदेश भेजा है कि चीन को Quad के खिलाफ अपनी लड़ाई अकेले ही लड़नी होगी और उसे इस लड़ाई में रूस को अपना “साथी” समझने की भूल कतई नहीं करना चाहिए। कुल मिलाकर रूस ने यह साफ संकेत दे दिया है कि रूस चीन का साथी नहीं है और ना ही वह अमेरिका का दुश्मन है। रूस चीन के सारे विवादों से दूर रहना चाहता है और उसे अमेरिका के खिलाफ लड़ाई लड़ने में कोई रूचि नहीं है।
अब तक अमेरिका के लिए रूस सबसे बड़े खतरे के रूप में देखा जाता था, क्योंकि रूस की military posturing अमेरिका के खिलाफ ही मानी जाती थी। हालांकि, अब चूंकि सैन्य आक्रामकता के मामले में रूस ने backseat लेने का फैसला लिया है, तो इससे स्पष्ट हो जाता है कि रूस अमेरिका या अन्य किसी पश्चिमी ताकत के लिए खतरा नहीं है, बल्कि रूस ने पिछले कुछ महीने में जिस तरह अपने Far East में चीन के बॉर्डर पर अपनी सैन्य मौजूदगी को बढ़ाया है, उससे यह साफ है कि रूस भी चीन के खतरे को कम करके नहीं आंक रहा है।
चीन को लेकर रूस की रणनीति साफ दिखाई देती है। वह खुद किसी सैन्य विवाद में कूदने के लिए तैयार नहीं है, बल्कि वह चीन के खिलाफ बन रहे वैश्विक गुट के लिए भी कोई परेशानी खड़ा नहीं करना चाहता। इसी दौरान वह लगातार चीन के दुश्मनों को भी अपने खतरनाक हथियार प्रदान कर रहा है, जिसमें भारत जैसे देश शामिल हैं। चीन Quad के खिलाफ रूस को अपने साथ देखना चाहता है, लेकिन यह भी सच ही है कि रूस खुद ही Quad के सबसे अहम साझेदार भारत को हथियार सप्लाई कर रहा है और Quad के अन्य सदस्य देश जापान के साथ मिलकर अपने Far EAST में चीन के प्रभाव को कम करने के प्रयासों में जुटा है।
रूस ने अपने डिफेंस बजट में कमी कर चीन के साथ-साथ अमेरिका को बड़ा संदेश भेजा है, जो कि चीनी सरकार के लिए किसी बड़ी बुरी खबर से कम नहीं है। रूस के इस ऐलान से यह भी साफ हो चुका है कि Quad के खिलाफ इस लड़ाई में वह अकेला ही है, और इस लड़ाई में उसे रूस से किसी प्रकार के समर्थन की कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।