कोरोना के बाद चीन के खिलाफ बने माहौल में कई देशों ने चीन का बहिष्कार किया। इस बहिष्कार में चीनी टेक इंडस्ट्री को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा और आज कई चीनी टेक कंपनियां बंद होने की कगार पर हैं। ट्रम्प प्रशासन द्वारा चीनी कंपनियों को सेमी कंडक्टर बेचने पर प्रतिबंध लगाने के बाद हुवावे जैसी बड़ी चीनी तकनीक कंपनियों का काम ठप पड़ चुका है। स्मार्टफोन से लेकर उपग्रहों तक हर तरह के तकनीकी उपकरणों के लिए सेमीकंडक्टर आवश्यक होते हैं और चीन सेमीकंडक्टरों के लिए यूएस चिप तकनीक पर पूरी तरह निर्भर है। अब अमेरिका चीन की इसी निर्भरता का फायदा उठाकर, उस पर दबाव बना कर अपना काम निकलवाने में तुला हुआ है।
ट्रम्प प्रशासन ने चीन पर अपनी कार्रवाई की शुरुआत Huawei को बिना लाइसेंस वाली अमेरिकी तकनीक का उपयोग करके आपूर्ति पर बैन लगाकर की, जिससे इस चीनी कंपनी को भारी नुकसान हुआ और उसे स्मार्टफोन के क्षेत्र से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इसके बाद, अमेरिका ने सबसे बड़े चीनी सेमीकंडक्टर निर्माता SMIC को निशाना बनाना शुरू किया। अमेरिकी सेमीकंडक्टर पर निर्भरता के कारण अमेरिका के इन कदमों से चीनी तकनीकी उद्योग का बचना मुश्किल है। जब तक चीन अपना सेमीकंडक्टर का उत्पादन शुरू करेगा तब तक उसके अधिकांश तकनीकी दिग्गज कंपनियां बंद हो चुकी होंगी।
इस प्रकार, चीन के पास अमरीका के सामने घुटने टेकने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अब, यदि बीजिंग को अमेरिकी सेमीकंडक्टर की आपूर्ति को फिर से चालू करना है, तो उसे ट्रंप प्रशासन की इच्छा के अनुसार, उसकी wishlist मान कर अमेरिका को लुभाना होगा।
अमेरिका की wishlist लंबी है और इसमें चीनी विस्तारवाद, आक्रामक नीति, मानवाधिकार उल्लंघन, उचित व्यापारिक व्यवहार, अर्थव्यवस्था को खोलने और कोरोना वायरस कवर-अप को स्वीकार करने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
कोरोना के फैलने के समय से ही ट्रम्प प्रशासन शी जिनपिंग की CCP सरकार को जिम्मेदार बताकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। अब अपनी टेक कंपनियों को बचाने के लिए अगर चीन, अमेरिकी राष्ट्रपति की बात मानने को तैयार हो जाता है तो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) को कोरोना के समय में किए गए अपने कुकर्मों को स्वीकार करना होगा जो इतिहास में चीन के लिए वाटरलू क्षण के रूप में लिखा जाएगा।
वही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामक नीति के कारण सभी देश चीन के खिलाफ हो चुके हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे को अमेरिका पहले ही खारिज कर चुका है। अब, व्हाइट हाउस चाहता है कि चीन विवादित समुद्री क्षेत्र के अपने दावों से पीछे हट जाए, आसियान के सदस्यों को आतंकित करना बंद कर दे और दक्षिण चीन सागर के अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता की अनुमति दे।
वहीं, जापान और भारत के साथ विवाद में चीन को अपनी आक्रामकता को कम करना होगा। अमेरिका चाहेगा कि चीन उसके QUAD सहयोगी जापान की सेनकाकू द्वीप श्रृंखला या लद्दाख (भारतीय क्षेत्र) पर दावा करना बंद कर दे। यही नहीं अमेरिका चाहेगा कि चीन ताइवान को स्वतंत्र द्वीप देश के रूप में अपनी पहचान बनाने दे।
हालांकि, अन्य अमेरिकी मांगें चीनी कम्युनिस्ट कट्टरपंथियों के माथे पर बल ला सकती हैं। अमेरिका शिंजियांग और तिब्बत में चीनी मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ हांग कांग मामले पर भी चीन पर दबाव बनाए हुए है।
सैन्य मोर्चे पर, ट्रम्प प्रशासन चीन से अधिक पारदर्शिता और निरस्त्रीकरण की मांग कर सकता है। बीजिंग अपने परमाणु शस्त्रागार को बढ़ाने और डोंगफेंग -41, चीनी सड़क-मोबाइल अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) की संख्या में 12,000-15,000 किलोमीटर की सीमा तक वृद्धि करने के लक्ष्य की तलाश में है जिससे वह अमेरिकी जमीन पर हमले के लिए सक्षम हो सके। परन्तु अब अमेरिकी इस मौका का फायदा उठा कर चीन को निरस्त्रीकरण के लिए मजबुर कर सकता है।
आर्थिक मोर्चे पर, अमेरिका की कई मांगें हैं। जिस तरह से अमेरिका चीन पर दबाव बना रहा है उससे यही लगता है कि अमेरिका चाहता है कि चीन निष्पक्षता दिखाते हुए गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसे अमेरिकी तकनीकी दिग्गजों पर से प्रतिबंध हटाए। अगर चीन अमेरिका से मदद चाहता है तो उसे अमेरिकी कंपनियों के चीन में व्यापार को लेकर अपने बाजार को खोलना होगा । अमेरिका यह भी चाहेगा कि चीन अपने वित्तीय बाजारों और कई औद्योगिक क्षेत्रों को अमेरिकी निवेशकों के लिए खोल दे। एक तरफ चीन दुनिया भर में बाजारों का उपयोग कर रहा है, तो दूसरी तरफ चीनी अर्थव्यवस्था स्वयं बाहरी निवेशों के लिए प्रतिकूल बनी हुई है। यही नहीं अमेरिका यह भी चाहेगा कि चीन Intellectual Property की चोरी की बात भी स्वीकार करे क्योंकि कई बार यह एफबीआई की जांच में सामने आ चुका है।
सेमीकंडक्टर के रूप में अमेरिका ने चीन पर दबाव बनाने के लिए एक उपाय ढूंढ़ लिया है। अब, ट्रम्प प्रशासन आसानी से चीन को सबक सिखा सकता है।