फेसबुक का विवादों ने नाता खत्म नहीं हो रहा है। इसकी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पॉलिसी को लेकर हमेशा ही सवाल उठते रहे हैं। ऐसा ही एक बार फिर हो रहा है और भारत समेत दुनिया के 6 देश फेसबुक के एन्क्रिप्शन फीचर को कमजोर करने के साथ ही उन्हें कानून के प्रवर्तन की पहुंच में लाने को लेकर जवाब भी मांग रहे हैं। इन देशों ने इस कदम के पीछे सबसे बड़ी वजह देश में बढ़ते अपराधों और नकारात्मक रवैए को बताया है। इन सभी देशों ने यूजर्स की सुरक्षा को अपने इस कदम की सबसे बड़ी वजह बताया है।
दरअसल, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, भारत और कनाडा की सरकारों ने एन्क्रिप्शन पॉलिसी को लेकर एक साझा बयान जारी किया है। इस बयान में फेसबुक समेत इस तरह की डिजिटल कंपनियों से यह बात कही है कि वो अपनी जनता की ऑनलाइन सुरक्षा को देखते हुए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पॉलिसी को छोड़ दें क्योंकि ये सभी लोगों के लिए एक खतरा हैं।
इस मामले में यूके की गृह सचिव प्रीति पटेल ने अपन बयान में कहा, हम अपने सभी नागरिकों खासकर बच्चों और यौन उत्पीड़न का शिकार लोगों की सुरक्षा को लेकर कटिबद्ध हैं और हमारी इस मांग का मुख्य कारण भी यही है। उन्होंने ये भी कहा, कि तकनीक से जुड़ी इन कंपनियों के लिए यह जरूरी है कि वो इस समस्या से अपना मुंह ने मोड़ें और साथ ही वो इसे और सख्त बनाएं जिससे आपराधिक मानसिकता वालों पर कार्रवाई की जा सके।
गौरतलब है कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का यह मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। इस कदम के पीछे सुरक्षा और निजता का हवाला दिया जाता है और इसके Algorithm को सुरक्षा की दृष्टि से काफी अहम समझा जाता है। 7 देशों के हस्ताक्षर वाले साझा बयान को लेकर ब्रिटेन की तरफ से कहा गया है कि जब एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन लागू होता है तो फिर वो कंपनियां भी किसी गैरकानूनी काम के लिए किसी भी शख्स पर कार्रवाई नहीं कर सकती है। जापान भी इसको लेकर अपनी मुखरता दिखा चुका है। जापान इस पॉलिसी को अपने यहां बढ़ते अपराधों की वजह मान रहा है।
इसमें ये भी कहा गया है कि कई तरह के थर्ड पार्टी ऐप्स कंटेट को इंटरसेप्ट कर लेते हैं जो दिखाता है कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन असल में कारगर नहीं हैं। वहीं इस मामले में सबसे बेहतर यही होगा कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इस दिशा में काम करें कि इस पॉलिसी को डिजाइन करने के साथ ही ऐसा दरवाजा भी बनाया जा सके जो कि सुरक्षा की दृष्टि से इस कानून के पहुंच में हो और आवश्यकता के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि, पहले भी जब इसको लेकर देशों की तरफ से मांग की गई थी तो कंपनियों ने इसे असंभव बताया था।
एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को लेकर हमेशा फेसबुक की तरफ से यही बात कही गई है कि इसका प्रयोग सुरक्षा की दृष्टि से किया जाता है। दूसरी ओर इसको लेकर यह सवाल उठते रहे हैं कि इसके जरिए आपराधिक कार्रवाइंया बढ़ गई हैं और सोशल मीडिया के इन जरियों से लगातार लोगों को धमकियां मिलती रही हैं। यही नहीं इसके जरिए आतंकी संगठन लगातार अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं लेकिन सरकारों के पास इसे ट्रैक करने का कोई रास्ता नहीं है।
ऐसे में भारत समेत सात देशों की इस मुद्दे को लेकर एकजुटता सुरक्षा की दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है और क्योंकि वर्तमान समय में ऑनलाइन ठगी से लेकर अपराधिक गतिविधियां इसी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के कारण ही होती है और इसी लिए ये सभी देश मिलकर इस पर एक कानूनी पहुंच बनाना चाहते है।