USA चीन की हुवावे और ZTE का दम घोंटने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता, और अब उसने इन दोनों कंपनियों को बर्बादी की तरफ धकेलने के लिए एक और बड़ा ऐलान किया है। अमेरिका ने कहा है कि वह उन विकासशील देशों को कर्ज़ देगा, जो अपने यहाँ से हुवावे और ZTE को भगाकर “clean networks” को प्राथमिकता देंगे!
अमेरिका असल में अब दुनियाभर के देशों को चीनी टेलिकॉम कंपनियों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित कर रहा है और अब इसी कड़ी में उसने ऐसा करने वाले देशों के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराने की भी बात कही है। सिर्फ इतना ही नहीं, दुनियाभर के राजनेताओं को अपने पक्ष में करने के लिए अमेरिकी अधिकारी महत्वपूर्ण देशों के उच्चाधिकारियों से मिलकर उन्हें अमेरिका का पक्ष समझाने की भी कोशिश करेंगे। उन्हें ना सिर्फ आर्थिक सहायता दी जाएगी, बल्कि उन्हें शिक्षा, खाद्य और तकनीकी क्षेत्र में भी सहायता प्रदान की जाएगी!
अमेरिका हुवावे का मुक़ाबला करने के लिए छोटी टेलिकॉम कंपनियों को 1 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान करने का ऐलान पहले ही कर चुका है। टेलिकॉम कंपनियों के बाद अब अमेरिका साथी लोकतान्त्रिक देशों को हुवावे का बहिष्कार करने के लिए आर्थिक सहायता की बात कर रहा है, जो हुवावे के लिए दोहरी मार का काम करेगा!
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि 5G तकनीक के मामले में हुवावे और चीनी कंपनियों की तकनीक पश्चिमी कंपनियों के मुक़ाबले काफी सस्ती पड़ती है, जिसके कारण कई विकासशील गरीब देश चाहकर भी हुवावे को ना नहीं कर पाते। हुवावे तकनीक में भी बेहतर है और यह सस्ती भी पड़ती है, लेकिन इसी के साथ-साथ देशों के लिए उनकी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा भी बेहद महत्वपूर्ण है, जिसके चलते हुवावे सरकारों का विश्वास खोती जा रही है। हुवावे का चीनी सेना के साथ सीधा संपर्क है और इसी बात का फायदा उठाकर अमेरिका दुनियाभर में इस कंपनी के खिलाफ अभियान चला रहा है।
हुवावे को market में सबसे बड़ा फायदा इस बात का मिलता है कि उसे सीधे तौर पर चीनी सरकार से आर्थिक सहायता मिलती है, जिसके कारण वह कम कीमतों में भी 4G और 5G से जुड़ी तकनीक और उपकरणों को मुहैया करा पाती है, लेकिन दुनिया की बाकी प्राइवेट कंपनियों को यह फायदा नहीं मिल पाता। अब अमेरिका ने अपने इस ऐलान से इन कंपनियों की इस मुश्किल को आसान करने का फैसला लिया है। अगर भविष्य में ये छोटी कंपनियाँ अधिक ताकतवर बनती है, तो इससे हुवावे और अन्य चीनी कंपनियों के लिए मार्केट में टिक पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा!
Trade war के चलते अमेरिका पहले ही semi-conductors के एक्सपोर्ट पर रोक लगाकर हुवावे के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर चुका है। Business सप्लाई और डिमांड, दोनों पर टिका होता है और हुवावे के मामले में अमेरिका दोनों पर एक के बाद हमला कर हुवावे के बिजनेस को खत्म करने पर तुला हुआ है। अमेरिका की कार्रवाई के बाद न तो हुवावे को आसानी से सप्लाई मिल पा रही है और ना ही उसे आसानी से ग्राहक मिल पा रहे हैं। ऐसे में अब कंपनी का बर्बाद होना लगभग तय माना जा रहा है।