वियतनाम कभी चीन से पीड़ित था, अब चीन के खिलाफ मैदान में उतर गया है

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है पर अब विश्व के छोटे देश भी चीन को आँख दिखाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। इस बार वियतनाम ने चीन को उसकी दक्षिण चीन सागर में Paracel Island पर सैन्य अभ्यास को लेकर पेंच कसी है। 

रिपोर्ट के अनुसार वियतनाम ने गुरुवार को कहा कि दक्षिण चीन सागर में बीजिंग द्वारा आयोजित सैन्य अभ्यास, क्षेत्रीय समुद्री आचार संहिता यानि COC पर चल रही वार्ता के लिए घातक हो सकता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Le Thi Thu Hang ने एक ब्रीफिंग में बताया कि चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के बीच एक लंबे समय से प्रतीक्षित कोड पर बातचीत को फिर से शुरू करने के प्रयासों को मुश्किल कर सकता है। 

बता दें कि चीन ने सोमवार को अपने तट के विभिन्न हिस्सों में एक साथ पांच सैन्य अभ्यास शुरू किए, जिसमें Paracel Islands के पास के दो अभ्यास भी शामिल हैं जिस पर वियतनाम दावा करता है। इसी वर्ष अगस्त में वियतनाम ने चीन से स्पष्ट शब्दों में कहा था कि Paracel Islands पर चीनी बमवर्षकों की उपस्थिति “शांति को खतरे में डालती है”।

अब Hang ने गुरुवार को कहा कि वियतनाम ने चीन से उसकी संप्रभुता का सम्मान करने और इस क्षेत्र में ऐसे सैन्य अभ्यास को न दोहराने की बात कही है। 

बता दें कि दक्षिण चीन सागर में COC लागू करने के लिए आसियान और चीन लगभग दो दशकों से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन क्षेत्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने चीन के बढ़ते आक्रामकता के कारण हमेशा ही उस पर शक किया है कि क्या चीन के रहते कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता किया जा सकता है। कई वर्षों तक बीजिंग दक्षिण चीन सागर में सबसे बड़ी ताकत था और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के अनुरोधों के बावजूद, ड्रैगन दक्षिण चीन सागर के विवादित जलमार्गों में एक आचार संहिता (यानि Code Of Conduct) नहीं बनाना चाहता था।

अब वही चीन COC के लिए भीख माँग रहा है। कुछ दिनों पहले ही यह खबर सामने आई थी कि चीन दक्षिण चीन सागर में Code Of Conduct के लिए ASEAN देशों के साथ बातचीत में हल निकाल लेने का दावा कर रहा है। 

परंतु वियतनाम और फिलीपींस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देश चीन के आचार संहिता को समर्थन नहीं दे रहे हैं। वे जानते हैं कि बीजिंग दक्षिण चीन सागर को सुरक्षित बनाने के लिए गंभीर नहीं है और इसलिए ये दोनों देश पूरी प्रक्रिया में देर कर रहे हैं। चीन की आक्रामकता को देखते हुए वियतनाम और फिलीपींस COC को टालने का पूरा प्रबंध कर रहे हैं। दरअस, छोटे द्वीपों पर कब्जा कर लेना चीन की नियति है। चीन ने पिछले कुछ महीनों से फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई एवं वियतनाम के नौसैनिक क्षेत्रों पर भी धावा बोला है। 

इसके कारण ASEAN गुट के देश अपने ही जल संसाधनों का उपयोग नहीं कर पा रहे। द डिप्लोमेट के अनुसार चीन की गुंडई के कारण वियतनाम को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स का नुकसान हुआ है। अब वियतनाम उन देशों में से तो बिलकुल नहीं, जो अपने नुकसान पर भी मौन धारण करे। वियतनाम ने तुरंत चीन के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए चीन की दादागिरी पर उसे आड़े हाथों लिया। अपनी विचारधारा से ठीक उलट इस वर्ष ASEAN ने चीन के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि चीन के लिए ये श्रेयस्कर रहेगा कि वह जल संसाधनों के उपयोग पर UNCLOS समझौते का सम्मान करे और अपनी हद में रहे। चूंकि इस वर्ष ASEAN का अध्यक्ष वियतनाम है इसलिए ये आक्रामकता ASEAN की ओर से स्वाभाविक भी थी।

पर अभी चीन की स्थिति वैश्विक स्तर पर कमजोर है, एक तरफ जापान उसे घेर रहा है तो दूसरी ओर से भारत। वहीं अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया लगातार Indo-Pacific में उस पर दबाव बनाए हुए हैं। ऐसे में वह कोड ऑफ कंडक्ट के सहारे बचने की भरपूर कोशिश करेगा। अमेरिकी नौसेना के समर्थन और भारतीय नौसेना की उस क्षेत्र में तैनाती की रिपोर्ट के बाद अब ऐसा लगता है कि ASEAN अब दक्षिण चीन सागर में शर्तों को निर्धारित करना चाहता है। ऐसे में वियतनाम अपनी स्थिति को समझते हुए चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। ASEAN को लगता है कि वह मजबूत स्थिती में है और इसलिए वह चीन को बैकफूट पर रखना चाहता है। चीन पर दबाव बनाने में कोई भी देश पीछे नहीं है। कई देश चीन के खिलाफ अब संयुक्त राष्ट्र में diplomatic notes भी भेज चुके हैं।  COC के एजेंडे को पुश करने की लड़ाई है और वर्तमान में ASEAN इस खेल को जीतता हुआ नजर आ रहा है। अब ASEAN के लगातार चीन पर दबाव बनाने से वह कमजोर पड़ता जा रहा है।

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