भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार पटरी पर तेज गति से दोबारा लौटने लगी है और कोरोना संकट के मुश्किल दौर में भी भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) रिकॉड इसी ओर इशारा कर रहा है। इसमें अमेरिकी कंपनीयों की भूमिका भी अहम मानी जा रही है तभी तो भारत में अमेरिकी निवेश के कारण एफडीआई रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 ट्रेडिंग के मामले में अमेरिका भारत के शीर्ष सहायकों की सूची में शामिल हो गया है। यही नहीं हाल के अमेरिकी निवेश के चलते इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तालाबंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, जो दिखाता है कि अमेरिका भारत के लिए केवल कूटनीतिक लिहाज से ही नहीं, बल्कि आर्थिक लिहाज़ से भी भारत के लिए महत्वपूर्ण देश है जिससे पड़ोसी देश चीन को उसकी हद में रखा जा सके।
अमेरिकी निवेश ने किस हद तक भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, इसका उदाहरण 2020 के अप्रैल से सितंबर का आर्थिक क्वाटर ही है। द हिन्दू की एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2020 में अप्रैल से सितंबर के बीच भारत में एफडीआई के जरिए निवेश करने वाले देशों में अमेरिका दूसरे नंबर पर आता है। इसके मुताबिक 2020 में अप्रैल से सितंबर के बीच भारत में अमेरिका से 7.12 बिलियन का निवेश आया है। वहीं पहले नंबर पर सिंगापुर है जहां से करीब 8.30 बिलियन डॉलर का निवेश आया है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में अमेरिकी निवेश का बढ़ना दिखाता है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते दिन-ब-दिन दिन प्रगाढ़ता के नए मानकों को स्पर्श कर रहे हैं।
अमेरिका ने इस दौरान मॉरीशस को भी निवेश के मामले में पीछे छोड़ दिया है। मॉरीशस ने इस दौरान भारत में करीब 2 बिलियन डॉलर, सायमन आइलैंड से करीब 2.1 बिलियन, नीदरलैंड से 1.5 बिलियन, यूके से 1.35 बिलियन फ्रा़ंस से 1.14 बिलियन व साइप्रस से करीब 48 मिलियन डॉलर का निवेश किया है जो कि भारत में एफडीआई के लिहाज से एक अच्छा संकेत है। जेएनयू के अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ बिस्वजीत धर ने बताया, “अमेरिकी तकनीकी कंपनियां लगातार भारतीय कंपनियों में निवेश कर रहीं हैं जिससे निवेश बढ़ रहा है।”
इसके आलावा लॉकडाउन खत्म होने के साथ ही एक बार फिर भारत का FPI ग्राफ भी ऊपर जा रहा है। नवंबर में भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशक लगातार शुद्ध निवेशक बने रहे. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने नवंबर में भारतीय बाजार में 62,951 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया है. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (NSDL) से मिले ताजा के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने नवंबर में शेयरों में शुद्ध रूप से 60,358 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जबकि डेट बाजार में उनका शुद्ध निवेश 2,593 करोड़ रुपये रहा. 3 नवंबर से 27 नवंबर के दौरान FPI ने भारतीय बाजारों में 62,951 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया है. अक्टूबर में एफपीआई ने 22,033 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की थी. सितंबर में विदेशी निवेशकों द्वारा निवेश खत्म किए जाने के बाद एफपीआई ने अक्टूबर में जबरदस्त वापसी की है।
विश्लेषकों के अनुसार इसमें अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीदों (एडीआर) और वैश्विक डिपॉजिटरी रसीदों (जीडीआर) आदि में किया गया निवेश काफी महत्वपूर्ण रहा है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट से पता चला है कि सितंबर 2020 की तिमाही में एफपीआई द्वारा 46,900 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई।
भारत में जैसे-जैसे पिछली तिमाही के आर्थिक आंकड़ों के नतीजे सामने आ रहे हैं वैसे-वैसे अमेरिकी निवेश की महत्त्वता भी सामने आ रही है। अमेरिका आर्थिक रूप से एक संपन्न देश है। ऐसे में वहां की कंपनियां लगातार भारतीय कंपनियों और स्टार्ट-अप्स में निवेश कर रही हैं, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। इसी के चलते भारत में अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है। एफडीआई से लेकर भारत में एफपीआई में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है जिसकी एक बड़ी वजह अमेरिका भी है।
ऐसे में अर्थव्यवस्था के आंकड़े दिखाते हैं कि अमेरिका का भारतीय अर्थव्यवस्था में कितना अहम रोल है,जो जाहिर करता है कि अमेरिका कूटनीतिक लिहाज से चीन को उसकी हद में रखने में रखने के लिए तो भारत के लिए महत्वपूर्ण है ही, साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है जो कि भारत को भविष्य में एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।