चुनावों में वोटिंग शुरू होने के साथ ही विपक्ष की ईवीएम के मुद्दे पर रुदाली अब आम बात हो गई है। मध्य प्रदेश के उपचुनाव में वोटिंग के बाद फिर से ईवीएम पर उंगली उठाकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हार के बहाने तैयार कर लिए है। कांग्रेस चुनाव की अधिसूचना जारी होने से लेकर चुनाव प्रचार के दौरान तक कुछ नहीं बोलती, लेकिन जिस दिन वोटिंग होती है उसी दिन उसे ईवीएम याद आ जाती है, जो इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस ने नतीजों के पहले ही हार मान ली है।
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर वोटिंग के पहले ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर कहा, “तकनीकी युग में विकसित देश ईवीएम पर भरोसा नहीं करते, पर भारत व कुछ छोटे देशों में ईवीएम से चुनाव होते हैं। विकसित देश क्यों नहीं कराते? क्योंकि उन्हें ईवीएम पर भरोसा नहीं है। क्यों? क्योंकि जिसमें चिप है वह हैक हो सकती है।”
दिग्विजय के जवाब में फिर तुरंत ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “कांग्रेस अपनी पराजय का ठीकरा एक बार फिर EVM पर फोड़ने को तैयार है! यह वही EVM है जिससे 2018 में छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नतीजे आए, तब EVM ठीक थी लेकिन अब, जब पराजय सामने दिख रही है, तो उसे दोष देना कांग्रेस के नेताओं ने प्रारम्भ कर दिया है।
इस पूरे घटनाक्रम से साबित होता है कि कांग्रेस एक बार फिर ईवीएम को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। इस मामले पर विश्लेषकों ने ही कांग्रेस पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि कांग्रेस क्या फिर ईवीएम की आड़ में अपनी हार मान चुकी है क्योंकि कांग्रेस जब-जब हारती है, वो नतीजों से पहले ही ईवीएम को कोसती नजर आती है। कांग्रेस के लिए हार-जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण ईवीएम हो गई है। इसलिए वो इस चुनाव में भी उसी मुद्दे के साथ सामने आई है।
कांग्रेस का चुनावी गाना, हर बार हारने पर EVM को दे ताना
मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को आलाकमान की तरफ से कोई ख़ास मदद नहीं मिली है। हम आपको अपनी रिपोर्ट में बता चुके हैं कि किस तरह से प्रदेश के नेताओं ने अपने दम पर ये चुनाव लड़ा है। उसमें भी इनकी तरफ से कई बेतुके बयान दिए गए हैं जिनमें बीजेपी नेता इमरती देवी के लिए कमलनाथ द्वारा दिया गया बयान सबसे ज्यादा खतरनाक है।
कांग्रेस पहले ही अपने कुकृत्यों से राज्य में हाशिए पर जा चुकी है। इसके बावजूद उसके दिग्गज नेताओं का अब चुनाव नतीजों से पहले ही ईवीएम पर सवाल उठाना साफ संकेत देता है कि अब वो मध्य प्रदेश की सत्ता से एक बार फिर लंबे समय तक के लिए बाहर हो गई है।
अक्सर देखा जाता है कि छोटे बच्चे यदि वो कोई खेल नहीं जीत पाते हैं तो वो खेल बिगाड़ने लगते हैं। कांग्रेस भी उसी नीति पर है कि जब वो जीत को लेकर असंतुष्ट हैं तो वो चुनावी प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े कर रही है। जब ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग ने कसा था कि ईवीएम हैक करके दिखाएं तो कोई भी पार्टियां उस वक्त चुनौती देने नहीं गई थी, लेकिन कांग्रेस अब इन मुद्दों को उठाकर संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करना चाहती है।कांग्रेस ने फिर अपनी उसी नीति पर आगे जाते हुए ईवीएम को सवाल खड़े कर दिए हैं और ये भी बता दिया है कि चुनाव नतीजों से पहले ही वो हार मान चुकी है।