अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के मामले ने अब पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। अर्नब गोस्वामी के अनैतिक गिरफ़्तारी के विरुद्ध मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो न केवल अर्नब के पक्ष में लड़ रहे हरीश साल्वे ने महाराष्ट्र सरकार को धोया, बल्कि स्वयं सुप्रीम कोर्ट में मामला सुन रही न्याय पीठ, विशेषकर न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने भी उद्धव सरकार को उनकी सनक के लिए फटकार लगाई, और साथ ही साथ अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत के लिए आदेश भी दिये।
इस मामले पर जब चर्चा प्रारंभ हुई, तो हरीश साल्वे ने अर्नब गोस्वामी पर महाराष्ट्र के वर्तमान प्रशासन द्वारा ढाए जा रहे अत्याचारों के बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा कि ‘ऐसा क्या किया है अर्नब ने, जो उन्हें जमानत तक देने से बॉम्बे हाई कोर्ट इनकार कर रही है?’ उनके साथ की गई बदसलूकी पर भी सवाल उठाते हुए हरीश साल्वे ने पूछा कि ‘अर्नब कोई आतंकवादी है या कोई बड़े अपराधी हैं, जो उनके साथ ऐसी बदसलूकी की गई है?’
परंतु हरीश साल्वे इतने पर नहीं रुके। उन्होंने महाराष्ट्र प्रशासन के दलीलों की धज्जियां उड़ाते हुए कहा,
“आत्महत्या के उकसावे के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तौर पर इस अपराध को बढ़ावा देने का प्रमाण होना चाहिए। कल को यदि किसी व्यक्ति ने महाराष्ट्र में आत्महत्या की और इसका दोष सरकार पर लगाया, तो क्या मुख्यमंत्री को हिरासत में लेंगे?”
Salve: for abetment there must be direct and indirect act of the commission of the offence.
If tomorrow, a person commits suicide in Maharashtra and blames Govt, then will the Chief minister be arrested ?#HarishSalve #SupremeCourtofIndia #ArnabGoswami pic.twitter.com/Z6qr8OsEYZ
— Bar and Bench (@barandbench) November 11, 2020
इस पर प्रशासन की ओर से लड़ रहे अधिवक्ता सी यू सिंह ने अर्नब द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले को लेकर कुछ खोखली दलीलें पेश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उनकी दाल नहीं गली। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने तबीयत से महाराष्ट्र प्रशासन की धुलाई करते हुए कहा,
“यदि कोई व्यक्ति पैसे न मिल पाने के कारण आत्महत्या कर सकता है, तो उसे उकसाने के लिए आपके पास पर्याप्त साक्ष्य कहाँ है? आपने धारा 306 का उपयोग कर अर्नब को हिरासत में लिया है, पर आपके पास ऐसा एक भी साक्ष्य नहीं है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि अर्नब पर वास्तव में कोई ऐसे आरोप लगे हैं!”
परंतु जस्टिस चंद्रचूड़ वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने अर्नब गोस्वामी की अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट को भी खरी-खोटी सुनाई। उनके अनुसार,
“जमानत को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने 56 पेज का ऑर्डर तैयार किया, परंतु हाई कोर्ट ने उनमें से किसी भी पन्ने पर ये नहीं लिखा कि अर्नब का अपराध आखिर क्या है?”
"High Court was in error in rejecting the application for grant of interim bail." Supreme Court
Read more: https://t.co/Zq4QGQLiLr#SupremeCourt #RepublicTV #ArnabGoswami #AnvayNaik #Arnab pic.twitter.com/utXtzh1bFd— Live Law (@LiveLawIndia) November 11, 2020
इसके अलावा जस्टिस चंद्रचूड़ ने बड़बोले अधिवक्ता और पूर्व कांग्रेस मंत्री कपिल सिब्बल की भी क्लास लगाई। जब कपिल सिब्बल ने दलील दी कि ज़मानत FIR के आधार पर नहीं दी जानी चाहिए, तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने उन्हे लताड़ लगाई। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा,
“अगर आज हमने हस्तक्षेप नहीं किया, तो हम विनाश की ओर अग्रसर होंगे। एक संवैधानिक संस्था होने के नाते यदि हम अपने नागरिकों को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता नहीं देंगे तो फिर कौन देगा?”
Hon'ble Supreme Court
Justice Chandrachud: If we don't interfere in this case today we will walk on the path of destructionIf left to me I won't watch the channel and you may differ in ideology but constitutional courts will have to protect such freedoms #ArnabGoswami pic.twitter.com/zUuzSRM1sH
— Gaurav Bhatia गौरव भाटिया 🇮🇳 (Modi Ka Parivar) (@gauravbhatiabjp) November 11, 2020
फिर सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब को अंतरिम जमानत दी, और यह भी कहा गया कि कोई भी राज्य सरकार अपनी सीमा लांघकर मानवाधिकारों का हनन नहीं कर सकती। पीठ ने कहा,
“यदि सरकार [महाराष्ट्र प्रशासन] किसी व्यक्ति के अधिकारों का हनन करे, तो ध्यान रहे कि उनके लिए सुप्रीम कोर्ट अभी भी खड़ी है”।
निस्संदेह अर्नब गोस्वामी की अनैतिक गिरफ़्तारी महाराष्ट्र को आपातकाल की ओर घसीटने का एक नापाक प्रयास था, लेकिन हरीश साल्वे ने जिस प्रकार से लड़ाई लड़ी, और सुप्रीम कोर्ट ने जिस प्रकार से महाराष्ट्र सरकार की धुलाई की, उससे एक बार फिर ये सिद्ध होता है कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं!