दिल्ली-एनसीआर में अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है और आपका गला चोक हो रहा है तो आपको पंजाब की कांग्रेस सरकार की आलोचना करनी चाहिए। केन्द्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा किसानों ने 240 प्रतिशत ज्यादा पराली जलाई है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हरियाणा,उत्तर प्रदेश की अपेक्षा पंजाब में इस वर्ष 82 प्रतिशत तक अधिक पराली जलाई गई है जो कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का बड़ा कारण है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पराली जलाने के मामलों की संख्या 1 अक्टूबर से 23 अक्टूबर के बीच 14,326 थी। पंजाब से सबसे ज्यादा 11,796 फिर हरियाणा में 1,944 और उत्तर प्रदेश में 586 मामले सामने आए थे। ये रिपोर्ट साबित करती है कि प्रदूषण का मुख्य गढ़ केवल पंजाब ही है। ये बेहद ही आश्चर्यजनक बात है कि जब पराली जलाने के मामले हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कम हो रहे हैं तो पंजाब में ये मामले 240 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़े हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में मामले 30 प्रतिशत घटकर 2,866 से 1,944 तक आ गए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में ये आंकड़ा 33 प्रतिशत घटकर 879 से 586 पर पहुंच चुका है लेकिन पंजाब अपने ही नए रिकॉर्ड तोड़ने की ठान के बैठा है। जहां मामले घटने की जगह 4,889 से 11,796 तक पहुंचकर बढ़ गए हैं। गौरतलब है कि पंजाब के अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
केन्द्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए सारे आकड़ों को देश की सर्वोच्च अदालत के सामने सुनवाई के दौरान रखे जाने की संभावना है। पंजाब सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने में बेहद ही उदासीनता अपनाई है। इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि इस राज्य का कोई भी क्षेत्र केन्द्र सरकार के शासन के आधीन नहीं आता है।
केन्द्र सरकार किसानों को खेत से मल और गंदगी हटाने के लिए मशीनें प्रदान करवा रही है, लेकिन पंजाब सरकार द्वारा ऐसी किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं दी जा रही हैं जिसके चलते वो किसान पराली जलाने को मजबूर हैं।
पिछले दो वर्षों में किसानों को व्यक्तिगत या कस्टम हायरिंग सेंटर्स के जरिए मशीनों की आपूर्ति कराई गई हैं। जिनमें पंजाब में 51,762 हरियाणा में 36,821 और उत्तर प्रदेश में 23,579 मशीनें दी गई थीं। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार द्वारा दी गई इन मशीनों को पंजाब में सबसे कम अनुपात में वितरित किया गया हैं।
केन्द्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “पंजाब में 27,000 मशीनों के वितरण टारगेट में से 14,000 ही बांटी गई हैं जो कि कुल का केवल 53 प्रतिशत है। इससे इतर यूपी में 15,000 में से 10,000 मशीनें (69 प्रतिशत) और हरियाणा में करीब 19,700 में से 13,700 (70 प्रतिशत)मशीनें वितरित कर दी गई हैं।”
पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार का दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण पर रवैया काफी उदासीन रहा है। नासा द्वारा सामने आई तस्वीरें बताती हैं कि पंजाब में पाकिस्तान से भी ज्यादा पराली जलाई जा रही है। दिल्ली-एनसीआर में इसी पराली के जलने के कारण खूब प्रदूषण हो रहा है। इसको लेकर वहां की सरकारें पटाखों पर बैन लगा रही हैं, जबकि उन्हें पंजाब की नीतियों की आलोचना करनी चाहिए। पटाखे बैन करने का असर ये हुआ है कि उसके जरिए अपनी आजीविका चलाने वालों की कमर और ज्यादा टूट गई है।
वहीं इस मामले में पंजाब सरकार ने एनजीटी से साफ कह दिया है कि उसके राज्य में पटाखों पर किसी भी तरह का कोई भी बैन नहीं लगेगा। ये बेहद ही आश्चर्यजनक बात है कि कैप्टन अपने राज्य में पटाखा कारोबारियों की आजीविका को बचा रहे हैं लेकिन पराली के मामले में कार्रवाई न करके वो दूसरे पड़ोसी राज्यों के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं।