हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव सम्पन्न हुए हैं। वर्तमान समीकरण के अनुसार यदि सब कुछ सही रहा तो डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन का राष्ट्रपति बनना तय है। इस संभावना से कई वामपंथी फूले नहीं समा रहे हैं, और तुर्की जैसे देशों को लग रहा है कि अब बाइडन के आने से उनकी योजनाओं को आधिकारिक संरक्षण मिलेगा, लेकिन एर्दोआन को इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं है कि वे अपनी ही शामत को बुला रहे हैं।
दरअसल, अगर तुर्की के परिप्रेक्ष्य में जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रम्प की तुलना की जाए, तो बाइडन तुर्की के प्रति अधिक आक्रामक हैं। इसी बारे में प्रकाश डालते हुए ग्रीक सिटी टाइम्स ने अपने पोर्टल पर प्रकाशित एक लेख में बताया, “बाइडन के चुने जाने से तुर्की की जो चिंताएँ बढ़ी हैं, उसी का परिणाम है कि ग्रीस के विरुद्ध उसकी गतिविधियों में पिछले 24 घंटों में गिरावट दर्ज हुई है। एनालिस्ट्स का मानना है कि अंकारा फूँक-फूँक कर कदम चल रहा हैl”
लेकिन ऐसा क्यों है? दरअसल तुर्की की लाख गुंडई के बाद भी ट्रम्प एर्दोआन के विरुद्ध कोई विशेष एक्शन नहीं लेते थे। इसके विरुद्ध जो बाइडन ने अपनी आवाज भी उठाई है, और तुर्की के वर्तमान प्रशासन को डर है कि कहीं बाइडन उनकी ऐसी की तैसी न कर दे।
ये भय अकारण ही नहीं आया है। इस पर चर्चा करते हुए ग्रीक सिटी टाइम्स ने अपने लेख में आगे बताया, “अमेरिकी प्रेसिडेन्सी में बदलाव होने का मतलब है कि रूस द्वारा निर्मित एस 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए तुर्की पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इन प्रतिबंधों पर ट्रम्प ने रोक लगाई थी।”
तुर्की की पत्रकार Aslı Aydıntaşbaş ने अपने विश्लेषण में कहा कि अब काँग्रेस अंकारा के विरुद्ध एक्शन लेने को स्वतंत्र होगी। उनके अनुसार, “अंकारा को आशा थी कि वे बातचीत में एक मजबूत पक्ष रखेंगे और रूस के साथ अपने संबंधों का हवाला देंगे। लेकिन बाइडन के आने से स्थिति के और बिगड़ने का खतरा है। बिना ट्रम्प के संरक्षण के अंकारा को अमेरिकी काँग्रेस द्वारा कड़ी कार्रवाई की बहुत चिंता है।”
इन दिनों तुर्की की हालत बहुत खराब है। उसकी अर्थव्यवस्था दिन-प्रतिदिन गोते लगा रही है, बेरोजगारी रफ्तार पकड़ रही है, और तुर्की की मुद्रा लीरा के मूल्य में दिन-प्रतिदिन गिरावट दर्ज हो रही है। इतना ही नहीं, तुर्की पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं, चाहे ISIS को संरक्षण देना हो, या फिर पाकिस्तानी आतंकियों और उनकी सेना को खुलेआम समर्थन देना हो।
अब बाइडन प्रशासन को पाकिस्तानी एंगल में कोई दिलचस्पी हो या नहीं, लेकिन ISIS को लेकर उनका रुख स्पष्ट है। निस्संदेह, जो बाइडन की छवि एक उदारवादी नेता वाली रही है, लेकिन ISIS को लेकर बतौर अमेरिका के उपराष्ट्रपति उनका रुख स्पष्ट रहा है, और वे नहीं चाहते कि उनकी छवि को इस बात को लेकर नुकसान हो। ऐसे में तुर्की जिस प्रकार से ISIS को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रहा है, उससे स्पष्ट है कि बाइडेन उन्हें कतई नहीं छोड़ने वाले।
अमेरिका में जो बाइडन के सत्ता में संभावित रूप में आने से जितनी खुशी तुर्की के वर्तमान प्रशासन को हो रही थी, वो अब जल्द ही धूमिल हो सकती है, क्योंकि बाइडेन ट्रम्प के मुकाबले तुर्की के साथ कोई नरमी नहीं बरतने वाले।