पाकिस्तान एक ऐसा विचित्र देश है, जो अपने ही बयानों और कार्यों से अपनी भद्द पिटाता रहा है। जब से फ्रांस ने कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरु की है, तब से पाकिस्तान ने ऐसे कारनामें किए हैं कि वो हंसी का पात्र बन गया है। पाकिस्तान में जनता से लेकर सरकार तक ऐसे नमूने भरे पड़े हैं, जो फ्रांस निर्मित छोटी-छोटी चीजों का बहिष्कार कर रहे हैं क्योंकि वो उसे हराम मान रहे हैं, लेकिन इनके लिए फ्रांस से लिया गया कर्ज हराम नहीं हैं। बड़ी बात ये भी है कि पाकिस्तान वायुसेना के पास जो मिराज-2000 और नौसेना के पास पनडुब्बियां हैं वो भी फ्रांसीसी ही है, तो अब इस बेहद अक्लमंद देश को अपने आका चीन के दिए हुए बम बारूद से इन हराम फ्रांसीसी चीजों को भी उड़ा देना चाहिए।
फ्रांस में एक कार्टून के कारण शिक्षक की हत्या और फिर अन्य तीन लोगों की हत्या के बाद देश में कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकियों के खिलाफ फ्रांस ने कार्रवाई करना शुरु कर दिया। इसके साथ ही फ्रांसिसी राष्ट्रपति मैक्रों ने भी इस आतंकवाद के खिलाफ खुलकर बोलना शुरु कर दिया। इस प्रकरण के बाद पूरे विश्व के इस्लामिक देश फ्रांस और शार्ली हेब्दो के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरु कर दिया है। इस प्रदर्शन में पाकिस्तान सबसे आगे खड़ा था। यहां तक कि पाकिस्तानी संसद ने फ्रांस के अपने राजदूत को वापस बुलाने का प्रस्ताव भी संसद से पारित कर दिया था। पाकिस्तान के फर्जी विरोध का सिलसिला यहीं से शुरू होता है। पाकिस्तानी संसद ने अपने राजदूत को फ्रांस से वापस बुलाने की बात की जबकि असलियत ये है कि पाकिस्तान का फ्रांस में कोई राजदूत है ही नहीं।
पाकिस्तान फ्रांस से इतना नाराज है कि वहां के नेता खादिम हुसैन फ्रांस का इस दुनिया के नक्शे से नाम तक मिटा देना चाहते हैं। हमेशा की तरह भारत को परमाणु बम की धमकी देने वाला पाकिस्तान फ्रांस को भी परमाणु हथियार से उड़ाने की बात कर रहा है। वहां मैक्रों का सर धड़ से अलग करने की बात की जा रही है। सोशल मीडिया पर चल रहे कैंपेन में कहा जा रहा है “गुस्ताख-ए-नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा”
पाकिस्तान का कहना है कि अब वो France की हर एक चीज का बायकॉट करेगा। इतने निम्न स्तर की बातें करने वाला पाकिस्तान अगर खुद सोचे कि वो फ्रांस से 19.5 बिलियन का कर्ज पर कुंडली मार के बैठा है और उस फ्रांस को ही धमका रहा है, जो कि हास्यास्पद के अलवा और कुछ भी नहीं है।
पाकिस्तान में हर छोटी-छोटी चीज पर फ्रांसीसी लिखा होने पर उसे हराम करार दे दिया है लेकिन उसके इस बायकॉट कांड में भी एक घोटाला है। दरअसल, पाकिस्तान फ्रांस से निर्मित लड़ाकू विमान मिराज-2000 और पनडुब्बियों का बायकॉट नहीं कर रहा है। ये सभी विमान पाकिस्तान ने मिस्र से खरीदा था। पाकिस्तान की पत्रकार नाइला इनायत के अनुसार , ”पाकिस्तान से फ्रांस की दूरी करीब 6 हजार किलोमीटर की है। पाकिस्तान के शाहीन-3 मिसाइल की रेंज भी इतनी नहीं है कि वो फ्रांस पर परमाणु हमला कर सके।” फिर भी ये देश हमेशा लंबी-लंबी फेंकता रहता है। बायकॉट की नीति के अनुसार तो उसे अब अपने सभी फ्रांस निर्मित हथियार और लड़ाकू विमान अपने आका चीन द्वारा निर्मित तोप से उड़ा देने चाहिए, और अपनी हैसियत के अनुसार चीन से पैसा लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के मुह पर मारना चाहिए। तब उसका फ्रांस के बायकॉट का ये एजेंडा सफल होगा। पाकिस्तान कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकियों के खिलाफ बात करने वाले फ्रांस से दुश्मनी लेकर अपने लिए ही मुश्किलें खड़ी कर रहा है। इन सभी तथ्यों से न केवल ये पता चलता है कि पाकिस्तान कितना बड़ा आतंकी देश है, बल्कि इससे उसके नागरिकों और सरकारों के मानसिक स्थिति की भी गणना हो जाती है कि ये लोग बायकॉट भी अपनी सहूलियत के अनुसार ही करते हैं।