जहां एक ओर यूरोपीय यूनियन केवल यूरोप में बढ़ रहे आतंकी हमलों की निन्दा कर रहा है, तो वहीं फ्रांस न केवल कट्टरपंथ की आलोचना करता है, बल्कि कट्टरपंथी आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब भी देता है। इसी का एक प्रत्यक्ष उदाहरण अभी हाल में देखने को मिला जब फ्रेंच वायुसेना ने ताबड़तोड़ हवाई हमले करते हुए खूंखार आतंकी संगठन अलकायदा के 50 आतंकियों को मार गिराया।
माली की कार्यवाहक सरकार से बातचीत करने के बाद फ्रेंच रक्षा मंत्री फ्लोरेन्स पारली ने कहा, “30 अक्टूबर को माली में फ्रांस की बारखेन फोर्स ने एक सफल ऑपरेशन में 50 से भी ज्यादा आतंकियों को मार गिराया और कई सारे हथियार एवं अन्य उपकरणों को भी बरामद किया।” इसके अलावा फ्रांस ने तुर्की के कट्टरपंथी गुट ग्रे वुल्व्स को भी प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है।
लेकिन ये तो बस झांकी है, क्योंकि फ्रेंच सरकार ने अब कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध निर्णायक युद्ध छेड़ दिया है, और फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों ने भी स्पष्ट कहा है कि वे किसी भी स्थिति में राष्ट्रहित से कोई समझौता नहीं करेंगे। इसी दिशा में फ्रांस की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने आतंकियों को ढूँढने का अभियान तेज कर दिया है, और साथ ही उनके कट्टरपंथी समर्थकों पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है।
Read more: ‘We reject Islamo-leftism coming from the US,’ France dumps American ‘liberals’ after Paris beheading.
चाहे ल्योन हो, नीस हो या फिर पेरिस, हर आतंकी हमले को मैक्रों ने फ्रांस की संप्रभुता पर हमला माना है। इसीलिए उन्होंने अल जज़ीरा को दिए साक्षात्कार में कहा कि फ्रांस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता का सम्मान करता है, और यदि कोई इससे असहमत है, तो वो या तो फ्रांस छोड़ सकता है या फिर अपने उसूल बदल सकता है। अब फ्रांस उन लोगों की खबर ले रहा है, जो कट्टरपंथी इस्लाम को फ्रांस में बढ़ावा दे रहें हैं। चाहे ग्रे वुल्व्स संगठन पर प्रतिबंध लगाना हो, या फिर मृत शिक्षक सैमुएल पैटी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देना हो, फ्रांस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कट्टरपंथियों के किसी भी पैंतरे के सामने न डरेगा और न ही झुकेगा।
इन प्रतिबंधों और कार्रवाइयों से ये स्पष्ट होता है कि अब कट्टरपंथी इस्लाम की कम से कम फ्रांस में तो खैर नहीं। जिस प्रकार से कट्टरपंथी मुसलमान फ्रांस में आतंकी हमलों को अंजाम दे रहे हैं, उसने पूरे फ्रांस को इनके विरुद्ध एक कर दिया है, और एक सशक्त नेता की तरह फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों इस लड़ाई में सबसे आगे मोर्चा संभाले हुए हैं।
Europa trauert. Eines der Unsrigen wurde hart vom islamistischen Terrorismus getroffen. Wir sind mit unseren Gedanken bei den Opfern, ihren Familien, den zerstörten Leben. Frankreich steht Österreich zur Seite und ist bereit, Unterstützung zu leisten.
— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) November 3, 2020
मैक्रों के इसी आक्रामक स्वभाव के कारण जर्मनी जैसे कट्टरपंथी मुस्लिम समर्थक देश को भी कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध बोलने पर विवश कर दिया है। ऐसा लगता है कि अब यूरोप के नेतृत्व में एक अहम बदलाव आने वाला है, और अब जल्द ही मैक्रों कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध यूरोप के अभियान का नेतृत्व करते हुए दिखे तो किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
अब आधे से अधिक यूरोप ने मैक्रों के प्रभुत्व को स्वीकारा है, और उनके रुख एवं आतंक का सफाया करने की उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि वे आतंकवाद और कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध अपनी लड़ाई में काफी सफलता प्राप्त करेंगे। जिस प्रकार से माली में अलकायदा के आतंकियों का फ्रांस ने सफाया किया, उससे स्पष्ट है कि फ्रांस सिर्फ बोलता ही नहीं, करके भी दिखाता है।