राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों एक नए अवतार में सामने आए हैं – और वो अवतार है कांग्रेस के अनाधिकारिक राष्ट्रीय प्रवक्ता का। जिस प्रकार से एक समय अहमद पटेल पार्टी के छोटे से बड़े सभी मुद्दों पर पार्टी का बचाव करने के लिए मीडिया के समक्ष पेश हो जाते थे, आज वही काम अशोक गहलोत कर रहे हैं।
बिहार चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अब कांग्रेस पार्टी में तकरार उभरकर सामने आने लगी है। कपिल सिब्बल जैसे कद्दावर नेता ने तो आत्मवालोकन तक की सलाह दे दी और उनके अनुसार गांधी परिवार द्वारा वर्तमान स्थिति को नजरअंदाज करना पार्टी के हितों के लिए श्रेयस्कर नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार से पार्टी चल रही है, उस प्रकार से कांग्रेस को एक भरोसेमंद विकल्प के तौर पर कोई भी भारतीय नहीं स्वीकारेगा।
लेकिन सिब्बल ने इस बयान को सार्वजनिक तौर पर क्या कह दिया, मानो अशोक गहलोत की आत्मा को एक गहरी चोट पहुंची। महोदय ने आक्रामक लहजे में ट्वीट किया, “पार्टी के आंतरिक मुद्दों को इस तरह से बाहर लाने की सिब्बल जी को कोई आवश्यकता नहीं थी, ऐसा करके उन्होंने देशभर के पार्टी कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित किया है। 1969, 1977, 1989 और 1996 में पार्टी ने कई संकट देखे हैं, पर हर बार हम अपने विचारधारा, अपने नीतियों और पार्टी हाइकमान में अपने अटूट विश्वास के कारण इन संकटों से उबरने में सफलता पाई है”।
There was no need for Mr Kapil Sibal to mentioned our internal issue in Media, this has hurt the sentiments of party workers across the country.
1/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
There are various reasons for Electoral loses, . But each time rank and file of the Congress Party has shown undivided and firm belief in the party leadership and that is why we came out of it stronger and united after every crises.
4/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
लेकिन महोदय वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने दो कदम आगे बढ़ते हुए लव जिहाद की समस्या का ही उपहास उड़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने ट्वीट किया, “लव जिहाद भाजपा द्वारा निर्मित एक ऐसा शब्द है, जो इस देश को बांट सकता है और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ता है। विवाह निजी स्वतंत्रता की बात है, और इस पर रोक लगाने वाला कोई भी कानून स्वीकार नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि यह असंवैधानिक है। प्रेम में जिहाद का कोई स्थान नहीं”।
Love Jihad is a word manufactured by BJP to divide the Nation & disturb communal harmony. Marriage is a matter of personal liberty, bringing a law to curb it is completely unconstitutional & it will not stand in any court of law. Jihad has no place in Love.
1/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 20, 2020
लेकिन गहलोत यहीं पर नहीं रुके। जनाब कहते हैं, “ये लोग [भाजपा] ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जहां वयस्क लोग सरकार के रहमोकरम पर रहें। विवाह एक निजी निर्णय है, जिस पर अंकुश लगाके वे निजी स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं”।
They are creating an environment in the nation where consenting adults would be at the mercy of state power. Marriage is a personal decision & they are putting curbs on it, which is like snatching away personal liberty.
2/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 20, 2020
दरअसल, अशोक गहलोत ऐसे व्यक्ति बनने के कगार पर हैं, जो गांधी परिवार की जुबान बोलते फिरे। कॉंग्रेस, और प्रमुख तौर पर गांधी परिवार भली भांति जानता है कि यदि समय रहते स्थिति नहीं सुधारी गई, तो 2024 आते आते उनके लिए सत्ता वापसी की संभावना लगभग असंभव हो जाएगी। इसलिए जहां एक तरफ अशोक गहलोत उनकी आवाज बनेंगे, तो वहीं गांधी परिवार संभावित तौर पर ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ का कार्ड खेलेगी, क्योंकि उसे पता है कि उसका अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का फार्मूला उसे हिन्दू मतदाताओं से बहुत दूर ले जाएगा।
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सच कहें तो जब से अहमद पटेल बीमार हुए हैं, तब से अशोक गहलोत अनाधिकारिक तौर पर वो कंधा बनते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसपर गांधी परिवार अपनी बंदूक रखकर चलाना चाहती है, यानि गहलोत के जरिए वह अपना वास्तविक संदेश सबको पहुंचना चाहती है। परन्तु अशोक गहलोत के इतिहास को देखते हुए यह गांधी परिवार का ये दांव हानिकारक भी हो सकता है। अगर दांव उल्टा पड़ा तो, तो गांधी परिवार के लिए सत्ता वापसी हमेशा के लिए एक स्वप्न बनकर रह जाएगा।
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