चीन की दिग्गज टेक कंपनी हुवावे आज किस प्रकार बर्बादी की कगार पर पहुँच चुकी है, इसका एक और ताजा उदाहरण देखने को मिला है। दरअसल, अब इस कंपनी ने अपने Budget Mobile Brand “Honor” को बेचने का फैसला लिया है। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते इस कंपनी का मार्केट में वले रहना मुश्किल हो गया था और यही कारण है कि अब Honor को Huawei से पूरी तरह अलग किया जा रहा है। AP की एक रिपोर्ट के मुताबिक Shenzhen Zhixin New Information Technology Co., Ltd नामक एक अन्य चीनी कंपनी ने अब करीब 15 बिलियन में Honor ब्रांड को खरीद लिया है।
इस डील के पूरा हो जाने के बाद Huawei के पास Honor में कोई शेयर नहीं बचेगा। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि यह कंपनी अपना सामान्य व्यापार जारी रख सकती है। R&D से लेकर, सप्लाई चेन मैनेजमेंट और Honor के करीब 7 हज़ार कर्मचारी अब एक नयी शुरुआत करेंगे! हालांकि, experts इस बात को लेकर अब भी शंका में है कि क्या वाकई कंपनी को उसका पुराना बिजनेस वापस मिल पाएगा?
हुवावे की आज जो भी हालत हुई है, वह ट्रम्प प्रशासन द्वारा पिछले चार साल से की जा रही मेहनत का फल ही है। मई 2021 में हुवावे के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन लेते हुए ट्रम्प प्रशासन ने हुवावे को होने वाले सेमीकंडक्टर एक्स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। ये सेमीकंडक्टर चिप्स फोन निर्माण के साथ-साथ 5G उपकरणों के निर्माण में भी आवश्यक होते हैं। इस प्रतिबंध के बाद हुवावे के Consumer Business के CEO ने कहा था कि अब उनके पास फोन निर्माण के लिए चिप्स की कमी हो गयी है और वे हुवावे के फोन में इस्तेमाल किए जाने वाली किरीन चिप्स का निर्माण नहीं कर पा रहे हैं। कंपनी की तरफ से यह भी कहा गया कि आने वाला Huawei Mate 40 फोन आखिरी ऐसा फोन होगा जिसमें किरीन चिप्स का इस्तेमाल किया जाएगा। एक्स्पर्ट्स का मानना है कि हुवावे के पास अगले साल की शुरुआत तक के इस्तेमाल के लिए चिप्स मौजूद हो सकती हैं। अब उसके पहले ही हुवावे ने अपने phone brand को बेच दिया है, जो Huawei द्वारा अपने आप को बचाने की आखिरी कोशिश कही जा सकता है।
हुवावे Apple और Samsung के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है। ऐसे में हुवावे का मार्केट से बाहर होना इन सब के लिए बड़े अवसर पैदा कर सकता है। माना जा रहा है कि कुछ समय के लिए इसका फायदा अन्य चीनी कंपनियों जैसे Xiaomi, Oppo और Vivo को भी हो सकता है, लेकिन जैसे-जैसे चीनी उपकरणों के खिलाफ अभियान को तेजी मिलेगी, वैसे-वैसे भविष्य में बाकी चीनी ब्राण्ड्स भी सरकारों के निशाने पर आ सकते हैं। हुवावे तो बस शुरुआत भर है!