भारतीय सेना का इतना खौफ है कि बॉर्डर पर इनकी मौजूदगी ही PLA के लिए सजा बन गई है

जानिए, कैसे बिना गोली चलाए चीनियों को बे-मौत मार रही है भारतीय सेना

सेना

चीन एक ऐसा देश है जो बिना बात अपने पड़ोसी देशों को परेशान करता रहता है। विस्तारवाद की उसकी नीतियां उसके लिए ही एक मुसीबत का सबब हैं और इसी कारण से उसके सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद हैं। चीन ने अप्रैल से जून तक भारत को भी खूब परेशान करने की कोशिश की, लेकिन उस वक्त से लेकर आज तक की स्थिति ये है कि भारतीय सैनिक बिना बंदूक चलाए चीनी सैनिकों की ज़िंदगियों से खेल रहे हैं। लद्दाख की सीमा पर तैनात भारतीय सेना अब चीनी पीएलए को उनकी गलतियों की सजा दे रही है और ये सज़ा अभी लंबी चलेगी।

चीनी पीएलए के सैनिक अप्रैल के माह में लद्दाख-तिब्बत क्षेत्र के पास फिंगर 4 के आगे फिंगर दो तक अपनी जमीन होने का दावा ठोकनें लगे। लगभग दो महीने के विवाद के बाद ये सैनिक 14 जून को भारतीय सेना के जवानों से भिड़ गए, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए, हालांकि चीन के भी 45-50 सैनिकों के हताहत होने की खबरें आईं। यहीं से शुरू होती है भारतीय सेना द्वारा बिना बंदूक चलाए चीनी पीएलए को सजा देने की तैयारी। भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें पहले तो भारतीय सीमा में आने से रोका, और फिर लगातार क्षेत्र की ऊंची चोटियों  पर कब्जा जमाया। जिससे युद्ध के वक्त भारत की स्थिति अधिक मजबूत रहे।

यही नहीं 29-30 अगस्त की रात तो भारतीय सेना ने PLA को उसकी असल हैसियत ही बता दी। उन चीनी घुसपैठियों की कोशिशें तो भारतीय सेना ने नाकाम कर दीं लेकिन साथ ही, सेना ये बात अच्छे से समझ चुकी थी, कि चीनी पीएलए सजा की हकदार है। इसलिए एक रोड मैप तैयार किया गया। भारतीय सेना अब उसी रोड मैप के अनुरूप लद्दाख की सीमा पर तैनात हैं जबकि चीनी सैनिकों की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती चली जा रही है वो लोग बिना गोली या बम-बारूद के ही मरने की कगार पर हैं।

ये सभी को पता है कि अमूमन ठंडे रहने वाले लद्दाख में 6 महीने भीषण ठंड पड़ती है जिसमें आम लोगों का रहना नामुमकिन होता है। ऐसे में भारत के सीमावर्ती इलाके भी सेना की पहुंच से बाहर हो जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारत ने इन इलाकों में अपने आधारभूत ढांचे को मजबूत कर लिया है। सड़क निर्माण से लेकर एयरबेस तक भारत सरकार ने यहां सुरक्षाबलों की सुविधानुसार सारे इंतजाम कर रखे हैं। भारत का एयर डिफेंस सिस्टम भी लद्दाख में सक्रिय हैं।

इसके अलावा भारत ये बात बहुत ही अच्छे से जानता है कि चीनी पीएलए ठंड का फायदा उठाकर अपनी करामातों को अंजाम दे सकती है। इसलिए भारतीय सेना के लगभग 30-40 हजार जवान लद्दाख में तैनात हैं। वहीं इनके रहने खाने के रसद, समेत सभी तरह के गोला बारूद का इंतजाम भी भारतीय सरकार ने कर रखा है। अगले 6 महीने तक यहां इन लोगों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी, और यही कदम चीनी पीएलए के लिए मुसीबत साबित हो रहा है।

लद्दाख में एक तरफ जहां भारतीय सैनिक लगातार अपने शौर्य का परिचय दे रहे हैं और चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा रहे हैं, तो दूसरी ओर चीनी सैनिकों की हालत पतली हो गई है। ये चीनी सैनिक लद्दाख की ठंड में परेशान हो गए हैं। आए दिन भारतीय क्षेत्र से साफ दिखता है कि चीनी क्षेत्र के बंकरों में से पीएलए के सैनिक स्ट्रेचर पर जा रहे हैं। इन लोगों को दस्त समेत अनेक बीमारियों ने घेर लिया है। ठंड के मारे ये लोग खुद ठीक से नहीं खड़े हो पा रहे हैं।

भारत की दृढ़ता के आगे चीन घुटनों पर है, आए दिन वो शांति वार्ता की मेज पर आकर कोई नया प्रस्ताव देता है, जिससे उसकी बेइज्जती भी न हो, और वो इस विवाद से सफलतापूर्वक बाहर निकल जाए। लेकिन भारतीय सेना अभी 6 महीने तक तो किसी तरह की सुलह करना ही नहीं चाहती, क्योंकि इस कदम से वो चीन को सजा दे रही है। भारतीय सेना अपने बंकरों और चौकियों में तैनात है और चीनी सैनिकों की बीमारियों का तमाशा देख रही है, जो कि चीनी पीएलए के लिए एक सजा की तरह ही है क्योंकि इन पीएलए के बच्चों के पास युद्ध का तनिक भी अनुभव नहीं है, न ही इन्हें आपात स्थिति में लड़ने का कोई खास प्रशिक्षण दिया जाता है। इसीलिए इन्हें भारतीय सेना बिना बंदूक का ट्रिगर दबाए केवल अपनी तैनाती के डर से मौत के मुंह में झोंक रही है।

भारतीय सेना अब सुलह को तैयार चीनी पीएलए को सबक सिखा रही है कि असल में भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करके पीएलए ने कितनी बड़ी गुस्ताखी की है और इसीलिए भारतीय सेना उसके एक-एक सैनिक को केवल अपनी मौजूदगी के दम पर ही सजा दे रही है।

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