कहते हैं अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली और समृद्ध लोकतंत्र है, लेकिन हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव को देखकर ऐसा तो कहीं से नहीं लगता। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना अभी तक जारी है, और डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन द्वारा बनाई गई बढ़त पर कई सवाल उठने लगे हैं। वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है, जिससे स्पष्ट है कि अमेरिका के चुनाव में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली के अनुसार जनता द्वारा चुने जाने के बजाए एक विशेष इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली द्वारा वोटिंग की जाती है। जो भी उम्मीदवार इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा तय 270 के जादुई आँकड़े को पार कर लेता है, वह विजेता चुना जाता है। इस समय जो बाइडेन इस प्रक्रिया में काफी आगे चल रहे हैं, और उन्होंने 264 इलेक्टोरल वोट प्राप्त किये हैं, और वे केवल बहुमत से 6 वोट दूर हैं।
लेकिन जो दिखता है, जरूरी नहीं कि वैसा हो। विभिन्न रिपोर्ट्स से ये सामने आया है कि इस बार अमेरिकी चुनाव उतनी निष्पक्षता से नहीं हुआ, जैसे दावा किया गया था। ऐसा कहने का पीछे कई कारण हैं। चुनाव की रात, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प Wisconsin,, पेंसिल्वेनिया और Michigan जैसे राज्यों में आगे चल रहे थे। परन्तु अचानक से चुनावी नतीजों में बड़ा उलटफेर दिखा और बाइडन लीड करने लगें। Wisconsin और Michigan में नतीजे पूरे ही उल्ट गये। जहाँ पहले ट्रम्प भारी अंतर से आगे चल रहे थे। चुनावी नतीजों में आया ये बदलाव सवाल तो खड़े करता ही है।
ट्रंप के कैंपेन अधिकारी जस्टिन क्लार्क ने डेमोक्रैटिक पार्टी के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने चुनाव पर्यवेक्षकों को बाध्य किया कि वो उस जगह से 25 फीट दूर रहें जहां वोटों की गिनती हो रही है जिससे रिपब्लिकन पार्टी के चुनाव पर्यवेक्षकों को काम करने में असुविधा हुई।
अब इसके लिए रिपब्लिकन पार्टी ने क़ानूनी रास्ता अपनाने की बात कही है। आरोपों की माने तो कुछ राज्य ऐसे हैं जो किसी भी प्रकार से बाइडन को जिताना चाहते हैं। डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन ने अब कहा है कि वे तब तक नहीं रुकेंगे जब तक ‘हर वोट की गिनती नहीं हो जाती’।
इस एक बयान के कारण जो बाइडन को वामपंथी और लिबरल बुद्धिजीवियों ने पलकों पर बिठा लिया है, और उन्हें लोकतंत्र का तारणहार तक कहा जाने लगा। लेकिन कुछ राज्यों में मतगणना के आँकड़े जिस तरह से बदले हैं, उससे अब यह संदेश जा रहा है कि कहीं जो बाइडन और उनकी पार्टी जाने-अनजाने मतगणना में धांधली को बढ़ावा तो दे रहे थी।
ऐसा इसलिए क्योंकि ये कहना कि हर वोट गिनना यानि वैध हो या अवैध, सभी वोट तब तक गिनते रहो जब तक मनचाहा परिणाम ना मिल जाए। ये सुनने में हास्यास्पद अवश्य लगे, परंतु सच्चाई इससे अधिक भिन्न नहीं है। जब चुनाव की मतगणना अपने चरम पर थे, तो जो बाइडेन 223 इलेक्टोरल वोट के साथ आगे थे, जबकि ट्रम्प उनसे अधिक दूर न होकर 214 वोटों के साथ दावेदारी में बने हुए थे। कई राज्यों में ट्रम्प की अच्छी खासी बढ़त भी थी। लेकिन अचानक से पोस्टल बैलट के कारण विस्कॉन्सिन, मिशिगन, एरिज़ोना जैसे राज्यों में जहां बाइडन और ट्रम्प के मतों में करीब 4 से 5 प्रतिशत से भी अधिक का अंतर था, वहां बाइडन ट्रम्प को पछाड़ते हुए दिखाई देने लगे। पेन्सिलवेनिया में तो 64 प्रतिशत मतगणना पूरी होने पर मतगणना ही रोक दी गई।
इसके अलावा फॉक्स न्यूज़ के Tucker Carlson ने भी इस चुनाव में हुई धांधली पर कहा कि “अमेरिका के कई लोग कभी इस बार के नतीजों को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।” मतदान में हुई धांधली पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “हमारे राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम में बड़ी गड़बड़ी की गयी है। राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम मतदाताओं के हाथ से छीनकर अब वकीलों, न्यायालयों और पक्षपाती नौकरशाहों के हाथ में सौंप दिया गया है।” इन आरोपों ने मतगणना में धांधली के आरोपों को और धार दी।
शायद यही कारण है कि रिपब्लिकन पार्टी डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में इस संभावित धांधली के विरुद्ध आवाज उठा रही है। डेमोक्रेट्स को भी पता था कि देरी से किये गये मतदान उसकी जीत में बड़ी भूमिका निभाएगा और इसलिए डेमोक्रेट्स देर से आए पोस्टल बैलेट्स की गिनती पर भी जोर दे रहे हैं। कुछ डेमोक्रेट समर्थक नौकरशाहों ने तो मतगणना में धांधली की ओर इशारा भी किया है। उदाहरण के लिए पेन्सिलवेनिया के एटॉर्नी जनरल जॉश् शपीरो ने चुनाव से पहले सरेआम ट्विटर पर दावा किया, “अगर सारे मतों को जोड़ा जाए, तो ट्रम्प निस्संदेह हारने वाले हैं, इसीलिए वह उचित प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए प्रयासरत हैं” ।
If all the votes are added up in PA, Trump is going to lose. That’s why he’s working overtime to subtract as many votes as possible from this process.
For the record, he’s 0-6 against us in court. We’ve protected voting rights. Now, ignore the noise—vote!https://t.co/mN8t6TDud7
— Josh Shapiro (@JoshShapiroPA) October 31, 2020
इन सभी बातों से स्पष्ट है अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी गड़बड़ी हुई है और हो सकता है भविष्य में इसकी जांच के बाद ये धांधली सामने भी आये।