नैतिकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की धज्जियां उड़ाते हुए मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक चैनल के स्वामी और पत्रकार अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लिया और पूछताछ के लिए उन्हें रायगढ़ ले गए। इस निर्णय से पूरे देश में बवाल मचा हुआ है और अनेक लोगों ने मुंबई पुलिस के इस कायराना हरकत की निन्दा की है। लेकिन न्यू यॉर्क टाइम्स का कुछ अलग ही रुख है।
महाराष्ट्र में इस समय किसका शासन है? उद्धव ठाकरे का। मुंबई पुलिस किसके प्रति जवाबदेह है? उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली ठाकरे सरकार की। लेकिन New York Times के अनुसार अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के पीछे नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं, क्योंकि उनके राज में प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए दिन प्रतिदिन नए प्रयास किये जा रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि स्वयं New York Times ने अपने एक लेख में इस बात को विस्तार से बताया है।
अपने लेख में न्यू यॉर्क टाइम्स ने दावा किया है कि अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी नरेंद्र मोदी की सरकार में प्रेस की स्वतंत्रता के दमन के अंतर्गत हुआ है। आर्टिकल के एक अंश के अनुसार, “कुछ लोगों का मानना है कि मुंबई के अधिकारी जो भी कर रहे हैं वो मोदी सरकार द्वारा प्रगतिशील पत्रकारों पर दबाव के कारण कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई भारतीय न्यूज आउट्लेट सरकार का समर्थन करने लगे हैं। मोदी के समर्थक और शासन संभालने वाली भारतीय जनता पार्टी आलोचना करने वालों को ‘राष्ट्रद्रोही’ करार देती है, मानो देशभक्ति का अर्थ है वर्तमान सरकार का साथ देना। जो कुछ पत्रकार सरकार के मानवाधिकार, आय असमानता, बेरोजगारी को लेकर सवाल करते हैं, उन्हें दक्षिणपंथी इकोसिस्टम द्वारा डराया और धमकाया जाता है”।
New York Times
Bal Thackeray was 'Extremist Hindu Leader", Udhhav Thackeray is 'Progressive'
How alliance with Congress can completely change your image. pic.twitter.com/vDbiZqSBwx
— Ankur Singh (Modi Ka Parivar) (@iAnkurSingh) November 4, 2020
हद तो तब हो गयी जब न्यू यॉर्क टाइम्स ने इस खबर को ट्विटर पर पोस्ट करते वक्त सत्ता में बैठी शिवसेना को ‘प्रगतिशील’ राजनीतिक पार्टी कहा। [पहले इस न्यूज़ पोर्टल ने एक राजनीतिक दल द्वारा पत्रकार को प्रताड़ित करने का आरोप मोदी सरकार पर मढ़ा और फिर इसे ‘प्रोग्रेसिव’ पार्टी का तमगा भी दे दिया। ऐसी पक्षपाती और निम्न स्तर की रिपोर्टिंग न्यू यॉर्क टाइम्स ही कर सकता है।
लेकिन इसमें कोई हैरान होने वाली बात नहीं है, क्योंकि ये वही New York Times है, जो भारत को आज भी कम आंकता है। इसके निम्न स्तर की रिपोर्टिंग तभी दिख गयी थी, जब 2014 में भारत ने अपने पहले ही प्रयास में मंगलयान को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर पहुंचाया था, और न्यू यॉर्क टाइम्स ने इस अवसर पर एक बेहद आपत्तिजनक कार्टून निकालते हुए अपने नस्लभेदी स्वभाव का परिचय दिया था।
लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं हुई। तब से लेकर आजतक न्यू यॉर्क टाइम्स ने कदम-कदम पर मोदी सरकार को नीचा दिखाने का कोई अवसर अपने हाथ से नहीं जाने दिया है। चाहे पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों के लिए हिन्दू राष्ट्रवाद को दोषी ठहराना हो, या फिर जेएनयू हिंसा में उपद्रवियों द्वारा जय श्री राम के नारे लगवाने से जुड़ी फेक न्यूज़ फैलानी हो, या फिर गलवान घाटी के हमले में पर्याप्त सबूत होने के बाद भी चीन को क्लीन चिट देना हो, आप बस बोलते जाइए और न्यू यॉर्क टाइम्स ने वो सब किया।
यकीन न हो तो न्यू यॉर्क टाइम्स की गलवान पर कवरेज भी देख लीजिये जिसके शीर्षक में इसने लिखा है, “दशकों में सबसे भयानक झड़प हुई भारत चीन बॉर्डर पर, 20 भारतीय सैनिक मारे गए”। पर न्यू यॉर्क टाइम्स इतने पर ही नहीं रुका। मानो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की भाषा बोलते हुए न्यू यॉर्क टाइम्स ने इसका दोष भारत के राष्ट्रवादी नेताओं पर मढ़ा, और पूरे लेख में उसने भारत को ही आक्रामक सिद्ध करने का प्रयास किया।
ऐसे में न्यू यॉर्क टाइम्स द्वारा अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के लिए भी पीएम नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराना एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। लेकिन अब समय आ चुका है कि केन्द्र सरकार भी ऐसे झूठी वेबसाइट्स के प्रोपेगैंडा का डटकर सामना करे, अन्यथा इनका झूठ लोगों को गुमराह कर सकता है।