बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं, और इस बार दोनों गठबंधनों में काफी तगड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस समय भाजपा और जेडीयू वाला गठबंधन आगे चल रहा है, और अब त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति भी साफ नज़र आने लगी है। इस बार के विधानसभा चुनाव में यदि किसी ने सभी को धता बताते हुए अपना डंका बजवाया है, तो वे कोई और नहीं, बल्कि असदुद्दीन ओवैसी हैं। जब चुनाव के दौरान ये कयास लगाए जा रहे थे कि AIMIM महागठबंधन के प्रचंड बहुमत के सपनों को करारा झटका दे सकती है, तो कई लोगों ने इस बात का उपहास उड़ाया था, और अनेकों एक्ज़िट पोल्स ने इस बात से साफ इनकार किया था कि ओवैसी चुनाव में समीकरण बदल पाएंगे।
लेकिन चुनाव के परिणाम तो कुछ और ही बता रहे हैं। न केवल ओवैसी का डंका बजा है, बल्कि कई सीटों पर, विशेषकर सीमांचल क्षेत्र में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के वोट काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहाँ एक तरफ बिहार के सीमांचल में एनडीए आधी सीटें जीतती नजर आ रही है तो वहीं, बिहार की 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने वाली AIMIM के 14 उम्मीदवार सीमांचल इलाके की सीटों पर हैं, जो कांग्रेस के चुनाव समीकरण को बदलने का दम रखते हैं। सीमांचल में इलाके की 24 सीटों में से महागठबंधन की ओर से कांग्रेस 11 सीट पर चुनाव लड़ रही है। बता दें कि 2015 के चुनाव में सीमांचल इलाके में अकेले 9 सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि जेडीयू को 6 और आरजेडी को 3 सीटें मिली थीं। परन्तु इस बार इस पार्टी को इस इलाके में बड़ा झटका लगने वाला है।
इस समय AIMIM ने सभी की उम्मीदों को धता बताते हुए करीब 3 सीटों पर बढ़त हासिल की है जबकि दो सीटों पर ये पार्टी दूसरे नंबर पर है, जो इस विधानसभा चुनाव में इस पार्टी के लिए एक बड़ी बढ़त है। ये वही पार्टी है जिसके कारण 2019 में स्थिति में अचानक बदलाव आया था जब AIMIM के क़मरूल हूडा ने उपचुनाव में किशनगंज में जीत हासिल की और कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था।
ऐसे ही कुछ इस बार भी देखने को मिल रहा। बिहार की अमौर सीट पर एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान आगे चल रहे हैं, कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान पीछे चल रहे हैं। ये वही सीट है जहाँ वर्ष 2015 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी परन्तु इस बार निर्णय ओवैसी की पार्टी के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। गौर करें तो, सीमांचल क्षेत्र में AIMIM अच्छे खासे मुस्लिम वोट्स पाने में सफल रही है, जिसने पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया क्षेत्र में कांग्रेस को कमजोर कर दिया है। Election Commission of India (ECI) के मुताबिक AIMIM ने अब तक 1.01 प्रतिशत वोटों पर कब्जा किया है!
सीमांचल इसलिए भी बहुत अहम है, क्योंकि इनमें से अधिकतम विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर मुस्लिम जनसंख्या बहुमत में है, और यहाँ पर या तो कांग्रेस या फिर आरजेडी का ही वर्चस्व रहा है। इनके वर्चस्व को अभी तक कोई भी पार्टी ढंग से चुनौती नहीं दे पाई है, और इसीलिए बिहार में इन्हें इस क्षेत्र में सबसे अधिक लाभ प्राप्त हुआ है।
लेकिन असदुद्दीन ओवैसी के आगमन से सारे किये कराए पर पानी फिर गया। अब जिस प्रकार से महागठबंधन के चुनावी समीकरण को ओवैसी ने शान से बिगाड़ा है, उससे इतना तो पक्का है कि महागठबंधन के 180 से अधिक सीटें जीतने के जो दावे एक्ज़िट पोल्स में किये गए थे, वो AIMIM की कृपा से झूठे सिद्ध हुए हैं।