कहते हैं कि दो नावों पर पैर रखकर सफ़र करने वाले अक्सर डूब जाया करते हैं। पाकिस्तान के साथ ठीक यही होने जा रहा है। पाकिस्तान कश्मीर पर रणनीतिक पूंजी जुटाने के लिए जहां तुर्की की शरण में जा बैठा है, तो वहीं उसे अपना हुक्का-पानी चलाने के लिए अरब देशों के चरणों की धूल चाटनी पड़ रही है। फ्रांस में कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ छेड़ी गयी लड़ाई के मुद्दे पर तुर्की की जी-हुज़ूरी करने के बाद अब पाकिस्तान ने 4 बिलियन डॉलर लोन के rollover के लिए सऊदी अरब और UAE से भीख मांगी है। ऐसे में इस्लामिक जगत का नेता बनने के सपने देखने वाले पाकिस्तान को अब उसी की जेब ने उसकी औकात बता दी है।
बता दें कि वर्ष 2019 में पैसों की भयंकर कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब और UAE ने तत्काल आर्थिक मदद प्रदान की थी। नवंबर 2019, दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 में 1-1 बिलियन का लोन देकर सऊदी ने पाकिस्तान को 3 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद प्रदान की थी। जनवरी और फरवरी 2020 के बीच UAE ने भी पाकिस्तान को 2 बिलियन डॉलर की मदद प्रदान की थी। इसी साल पाकिस्तान के साथ विवाद के बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान से तत्काल 1 बिलियन डॉलर वापस मांग लिए थे, जो पाकिस्तान ने चीन से उधार लेकर चुकाए थे। अब पाकिस्तान पर बाकी के 2 बिलियन चुकाने का दबाव आ गया है। अगले साल की शुरुआत तक पाकिस्तान को UAE और सऊदी अरब को 4 बिलियन और चीन को 3 बिलियन डॉलर चुकाने हैं।
पाकिस्तान अभी किसी भी हालत में 7 बिलियन डॉलर चुकाने की स्थिति में नहीं है। 23 अक्टूबर 2020 तक पाकिस्तान के पास कुल foreign currency reserve सिर्फ 12 बिलियन डॉलर ही है। ऐसे में अगर वह 7 बिलियन डॉलर चुका देता है तो उसके पास केवल 5 बिलियन डॉलर फॉरेक्स रिजर्व बचेगा, जो पाकिस्तान को एक और आर्थिक संकट में धकेल सकता है। अभी पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि दोनों अरब देशों ने पाकिस्तान को rollover देने का फैसला ले लिया है, जिससे पाकिस्तान को बड़ी राहत मिल सकती है। पाकिस्तान को चीन से भी rollover चाहिए, लेकिन अभी पाकिस्तानी सरकार को चीन से कोई खुशखबरी नहीं मिल पाई है।
पाकिस्तान चौतरफा आर्थिक संकट में घिरने वाला है। हालांकि, वह आजकल संवेदनशील वैश्विक मुद्दों पर अपनी टांग अड़ाने से बाज़ नहीं आ रहा है, जो पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को और बड़ी मुश्किल में डाल सकता है। उदाहरण के लिए prophet muhammad के कार्टून के मुद्दे पर पाकिस्तान ने अब फ्रांस से सींग उलझा लिए हैं, जो उसे हर साल करीब आधा बिलियन यूरो की आर्थिक सहायता प्रदान करता है। फ्रांस की ओर से लिए गया एक फैसला पाकिस्तान की जेब को सीधा आधा बिलियन यूरो का झटका दे सकता है। इमरान खान को यह फैसला करना है कि पाकिस्तान के लिए अभी पेट पालना ज़्यादा ज़रूरी है या फिर “धर्म की रक्षा करना”! पेट पालने के लिए उसे अरब देशों का साथ देना ही पड़ेगा और कट्टरपंथ फैलाने के लिए उसे तुर्की का अनुसरण करना पड़ेगा, लेकिन पाकिस्तान एक साथ इन दो नावों पर पैर रखकर सफ़र भी नहीं कर सकता। इमरान खान को अपने देश के लिए जल्द ही कुछ सख्त फैसले करने पड़ेंगे!