जब से अनुच्छेद 370 निरस्त किया गया है, तब से अब जाकर राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में स्थिति सामान्य हुई है। कल ही जम्मू एवं कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के जिला विकास परिषद यानि DDC के चुनाव प्रारंभ हुए। ये चुनाव अपने आप में कई मायनों में अहम है, क्योंकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में ये पहला चुनाव है, और इसलिए भी अहम है क्योंकि पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी इस बार अपना मत डाल सकेंगे।
अब यह चुनाव कितने अहम है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रारंभ में चुनाव के बहिष्कार की घोषणा करने वाली कश्मीरी पार्टियों ने चुनाव आते आते एक खिचड़ी गठबंधन भी तैयार कर लिया। लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही है। कड़ाके की सर्द को भी मात देकर मतदाता भारी संख्या में मतदान के लिए सामने आए हैं। यही नहीं, अभी चुनाव खत्म भी नहीं हुए हैँ और अभी से ही जम्मू कश्मीर के DDC चुनाव में सत्ताधारी [केंद्र सरकार] भारतीय जनता पार्टी के लिए जन समर्थन जुटने लगा है।
पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को जिन्हें इससे पहले मतदान करने का अधिकार भी नहीं था, अब मतदान करते हुए फूले नहीं समा रहे। पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के अलावा जम्मू कश्मीर में रह रहे गुरखाओं, वाल्मीकि समुदाय इत्यादि के लोगों को भी मतदान करने का अधिकार मिलेगा। इस समय जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में डेढ़ लाख शरणार्थी निवास कर रहे हैं।
Read more: Why BJP is going to script history in Jammu and Kashmir this time
अब इतनी भारी संख्या में अगर शरणार्थी मतदान करेंगे, तो जाहिर है कि उक्त पार्टी को बहुत अधिक लाभ होगा। चूंकि, यह अधिकार मोदी सरकार के प्रयासों द्वारा ही मिला है, इसीलिए इनमें से अधिकतम शरणार्थियों ने मोदी सरकार का आभार जताया। पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी परिवारों में से एक से संबंधित मतदाता सुजीत भारती ने कहा, “हमें केवल समानता, न्याय और स्वतंत्रता जैसे शब्द सुनाए जाते थे, और आज हम उसे महसूस कर रहे हैं।’’
ऐसे ही एक अन्य मतदाता बिशन दास के अनुसार वे अब अपने कड़वे अनुभव को पीछे छोड़ आगे बढ़ना चाहते हैं, और इस बदलाव के जरिए बच्चों को अब बाहर जाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। इससे पहले अनुच्छेद 370 के होने के कारण न सिर्फ कुछ चुनिंदा पार्टियों का वर्चस्व था, बल्कि रोजगार के कोई नए अवसर नहीं उत्पन्न हो रहे थे, जिसके कारण आम आदमी कश्मीर से पलायन करने पर विवश हो रहा था।
Read more: The Gupkar Alliance knows that it will lose badly, so it is already preparing for a moral victory
ऐसे में ये तो स्पष्ट है कि जो पार्टियां राजनीतिक हित साधने के लिए क्षेत्रवाद, वैमनस्य की राजनीति और अलगाववाद की राजनीति को बढ़ावा दे रही थी, अब उनकी दाल बिल्कुल नहीं गलने वाली। वर्षों से जिन समुदायों को अनुच्छेद 370 के कारण उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा गया, अब उन्हें ससम्मान मतदान करने का अवसर भी मिल रहा है, और जिस प्रकार से समीकरण दिखाई दे रहे हैं, उस अनुसार भाजपा की प्रचंड विजय इस चुनाव में हो सकती है।