जन धन खाते, आधार और मोबाइल के माध्यम से सीधे लाभार्थियों को पैसा भेजने वाली DBT यानि डाइरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर की प्रणाली ने बिचौलियों के हाथों में पड़ने से 1.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है। यह राशि कांग्रेस काल में किए गए 2G घोटाले के लगभग बराबर है। कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तो एक बार खुद कहा था, कि केंद्र सरकार जितने पैसे देती है उसका केवल 15 प्रतिशत ही जमीनी स्तर पर पहुंच पाता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस व्यवस्था को DBT के जरीए पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। अब रुपया बिचौलियों की जगह सीधे गरीबों के खाते में पहुंच रहा है।
दरअसल, एक रिपोर्ट के अनुसार यह मोदी सरकार के 51 मंत्रालयों की 351 योजनाओं में लागू डाइरैक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर सुविधा द्वारा संभव हुआ है। जन धन-आधार-मोबाइल के JAM ट्रिनिटी ने फर्जी लाभार्थियों की पहचान कर और सरकारी योजनाओं का लाभ फर्जी लाभार्थियों के हाथ में जाने से रोकना आसान बना दिया। पिछले छह वर्षों में, डीबीटी योजना के तहत लगभग 12,95,468 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में वितरित किए गए हैं।
2020-21 में मनरेगा, पीडीएस, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं के तहत 2,10,244 करोड़ रुपये सीधे खातों में भेजे गए।
आज से 6 वर्ष पहले लागू की गई DBT योजना ने बड़ी संख्या में फर्जी लाभार्थियों को पकड़वाया। उदाहरण के लिए, जो मनरेगा नौकरी के कार्ड मजदूरों के खातों से जुड़े थे। उन्हें जब आधार से जोड़ा गया तब बड़ी संख्या में फर्जी लाभार्थी पकड़े गए। दिसंबर 2019 तक, 5.55 लाख फर्जी मजदूरों को योजना से बाहर कर दिया गया था। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि 24,162 करोड़ रुपये फर्जी हाथों में जाने से बच गए, नहीं तो यह पैसा फर्जी मजदूरों के खाते में पहुंच जाता और यह किसी भ्रष्टाचार से कम तो नहीं।
इसी तरह, डीबीटी योजना के कारण, महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत योजनाओं में 98.8 लाख फर्जी लाभार्थी पकड़े गए। फर्जी लाभार्थियों की पहचान के बाद उन्हें लिस्ट से बाहर किया गया और लगभग 1,523.75 करोड़ रुपये के संभावित घोटाले को रोका गया। आधार को जोड़ने और मोबाइल नंबर अनिवार्य करने से सरकारी राशन वितरण में 66,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि गलत हाथों में जाने से बच गई।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण अधिकारियों के अनुसार, सिस्टम से कुल 2.98 करोड़ फर्जी लाभार्थियों को हटाने के कारण कुल 66,896.87 करोड़ रुपये की बचत हुई।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 51 मंत्रालयों ने 31 दिसंबर, 2019 तक कुल 1,70,377.11 करोड़ रुपये को गलत हाथों में जाने से रोक दिया। यह राशि कांग्रेस के कार्यकाल में हुई 2G scam के 1.76 लाख करोड़ से थोड़ी ही कम है।
सरकार के अधिकारी ने IANS को बताया, “जेएएम ट्रिनिटी यानि जन-धन-आधार-मोबाइल ने बिचौलियों के जाल को लगभग समाप्त कर दिया है। भ्रष्टाचार को कैसे रोका जाता है DBT उसका एक सफल उदाहरण है। इससे पहले आधार लिंकेज के अभाव में, फर्जी मजदूर के पैसे के नाम पर सरकार से सभी योजनाओं में ठगी होती थी। इसी तरह, PDS से लेकर खाद तक, सभी योजनाओं में सरकारी धन के दुरुपयोग को रोक दिया गया है।”
बता दें कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना जनवरी 2013 से शुरू हुई। लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान, पीएम मोदी ने मिशन मोड में इसके कार्यान्वन पर जोर दिया। DBT ने सरकारी रुपयों के लीकेज पर तो रोक लगाया ही, इसका फायदा कोरोना के लॉकडाउन में भी देखने को मिला। अगर DBT नहीं होता तो आज देश के किसान से लेकर गरीब परिवार भूखमरी के कगार पर होते। रोजगार पूरी तरह से ठप पड़ा होता और घर में खाने के दाने नहीं होते। मई तक ही मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के तहत 36,659 करोड़ रुपये की रकम 16 करोड़ किसानों और लाभार्थियों के अकाउंट में ट्रांसफर कर चुकी थी। शुक्र मानना चाहिए कि मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर पर ध्यान दिया और JAM यानि जनधन, आधार और मोबाइल की तिगड़ी को घर-घर पहुंचा दिया।DBT किसी वरदान से कम नहीं जिसने 2G scam के बराबर रुपयों को तो बचा ही लिया।