कृषि संशोधन अधिनियम के विरोध के नाम पर टुकड़े-टुकड़े गैंग एक बार फिर सक्रिय हो चुकी है, और इस बार उसने जरिया चुना है कृषि संशोधन अधिनियम का विरोध कर रहे पंजाबी आढ़तियों के ‘दिल्ली कूच’ अभियान को। लेकिन जैसे-जैसे इस अभियान से जुड़ी खबरें सामने आती जा रही हैं, वैसे-वैसे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि जिन लोगों ने पूर्वोत्तर दिल्ली को दंगों की आग में झोंका था, उन लोगों ने एक बार फिर दिल्ली में आगजनी करने की व्यवस्था शुरू कर दी है।
दरअसल, ये सामने आया है कि जो किसान दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे, उनके खाने-पीने की व्यवस्था के लिए 25 मस्जिदों से बातचीत की गई, और इसका संयोजक है ‘यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट’ संगठन। जब तक पंजाब से आए ‘किसान’ दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे, तब तक वे इन लोगों को खाना-पानी प्रदान करते रहेंगे।
अब आप सोच रहे होंगे, इसका दिल्ली के दंगों से क्या संबंध है? दरअसल, ‘यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट’ से वो खालिद सैफी भी संबंधित है, जिसने पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़काने और हिंदुओं के नरसंहार की योजना बनाने में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन का साथ दिया था। चांदबाग में दंगों की साजिश रचने के लिए खालिद सैफी को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था, और फिलहाल वे जमानत पे बाहर हैं।
इसके अलावा ‘यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट’ ने शाहीन बाग में हुए अराजक प्रदर्शनों को भी बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अब जब ऐसा संगठन एक ‘किसान आंदोलन’ को बढ़ावा देने लगे, तो आप भली भांति समझ सकते हैं कि उस आंदोलन में हिस्सा लेने वाले प्रदर्शनकारियों की वास्तविक नीयत क्या होगी।
यह अभियान वास्तव में किसानों के हित के लिए कितना लड़ा जा रहा है, इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि अभी हाल ही में चल रहे इन प्रदर्शनों को Sikhs For Justice नामक उग्रवादी संगठन ने पुरजोर समर्थन दिया है, और किसानों को खालिस्तान को समर्थन देने के एवज में 1 मिलियन डॉलर की पेशकश भी की है। इसके अलावा इस आंदोलन का एक जत्था जब हरियाणा पहुंचा, तो उन्होंने आंदोलन के दौरान पाकिस्तानी समर्थक नारे भी लगाए, और इमरान खान को अपना दोस्त भी बताया।
इससे पहले हाथरस में जातिगत हिंसा भड़काने के उद्देश्य से PFI के लड़ाकों को भेजा गया था, जिन्हें विरोध के नाम पर काँग्रेस और तृणमूल काँग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा भी दिया। लेकिन SIT की जांच से ये लोग बच नहीं पाए और इस समय दंगा रचने की साजिश में 4 PFI के सदस्यों को हिरासत में लिया गया।
वैसे भी, जिस आंदोलन में खालिस्तानी सरगना जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीरों को खुलकर दिखाया जा रहा हो, नरेंद्र मोदी की हत्या की धमकियाँ दी जा रही हो, और सड़क मार्ग पर अवरोध लगाया जा रहा हो, तो वह और कुछ भी हो जाए, एक शांतिपूर्ण आंदोलन तो कतई नहीं हो सकता। इसी परिप्रेक्ष्य में वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने इसी प्रदर्शन के एक भाग पर प्रकाश डालते हुए ट्वीट किया, “बाई तरफ खालिस्तान का झण्डा है और दाई तरफ दिल्ली किसान आंदोलन का झण्डा। क्या यह महज संयोग है या कोई प्रयोग है? याद दिल दूँ किसान के नाम पर खालिस्तानियों का जत्था भी दिल्ली की तरफ कूच कर चुका है, इस धमकी के साथ कि इंडिया गेट पर खालिस्तान का झण्डा फहराया जाएगा! इस पोस्ट के आधार पर न मैंने कोई निष्कर्ष निकाल है, न आप कोई निष्कर्ष निकालिए, लेकिन कोई जानकार है तो कृपया मुझे बताएँ कि ये दिल्ली किसान आंदोलन का झण्डा किसने डिजाइन किया है और उसके पीछे क्या सोच है?”
बाई तरफ खालिस्तान का झंडा है और दाईं तरफ
#किसान_आंदोलन_दिल्ली का झंडा !
क्या ये महज़ संयोग है या कोई प्रयोग है।
याद दिला दू #किसान के नाम पर खालिस्तानियों का जत्था भी दिल्ली की तरफ कूच कर चुका है इस धमकी के साथ कि इंडिया गेट पर खालिस्तान का झंडा फहराया जाएगा ! pic.twitter.com/s95u8g8e3S— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) November 27, 2020
सच्चाई तो यही है कि ये कोई किसान आंदोलन नहीं है, बल्कि दिल्ली से होते हुए देश भर को अराजकता की आग में झोंकने की एक और साजिश है, जिसे समय रहते नष्ट करना केंद्र सरकार के लिए अवश्यंभावी है।