कट्टरपंथी इस्लाम ने यूरोप से लेकर एशिया तक में उत्पात मचा रखा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। स्थिति ये है कि अब असम में कट्टरपंथी मुसलमानों ने खुलेआम पाकिस्तानियों का समर्थन करना शुरू कर दिया है। परंतु असम प्रशासन भी आर या पार की लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार है। असम के गृह मंत्री एवं कद्दावर भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने एक सशक्त और संशोधित एनआरसी की ओर इशारा किया है।
हाल ही में असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर असम के एनआरसी के पुन: निरीक्षण की बात की है, और संभव है कि स्वीकृति मिलने पर एनआरसी में कुछ संशोधन भी हो। इसी बारे में बात करते हुए हिमन्ता बिस्वा सरमा ने कहा, “देखिए, आधुनिक मुगलों ने असम के हर क्षेत्र में सेंध लगाई है, और इनके प्रभाव को खत्म करने के लिए एक लंबी राजनीतिक लड़ाई लड़नी पड़ेगी। यदि हमें 5 और वर्ष मिले, तो हम इन मुगलों को ऐसा सबक सिखा सकते हैं, जिससे वो फिर असम पर बुरी नज़र नहीं डाल पाएंगे, जिसके लिए डीलिमिटेशन और एनआरसी बेहद आवश्यक है”।
परंतु हिमंता बिस्वा सरमा वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने एनआरसी के वर्तमान स्वरूप के संशोधन के विषय पर इस बात को भी दोहराया कि अभी इसमें सुधार की आवश्यकता है। दरअसल, एनआरसी की अंतिम सूची में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशियों के नाम निकलकर सामने आए हैं। इसके बाद असम सरकार ने इस सूची में शामिल नामों का फिर से सत्यापन करने और 10% नामों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी है। उन्होंने पूर्व एनआरसी कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला को भी आड़े हाथों लिया, जिनके द्वारा तैयार एनआरसी का ड्राफ्ट विवादों के घेरे में था। उन्होंने तत्कालीन एनआरसी राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला पर आरोप लगाया है कि प्रतीक हजेला ने एनआरसी की पूरी प्रक्रिया गलत तरीके से संचालित किया और इसके लिए दी गयी धन राशि में भी बड़ा हेर-फेर किया।.
बता दें कि इस समय असम एक बहुत बड़े बदलाव से गुजर रहा है। पश्चिम बंगाल की भांति ये राज्य भी अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की समस्या से जूझ रहा है, जिनमें उपस्थित असामाजिक तत्वों को सेक्युलरिज्म के नाम पर कांग्रेस और AIUDF जैसी पार्टियां खुलकर बढ़ावा दे रही हैं। लेकिन जब से भारतीय जनता पार्टी ने शासन संभाला है, उन्होंने भी स्पष्ट कर दिया है कि अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कारण लव जिहाद, आतंकवाद या किसी अन्य प्रकार के अपराध को बढ़ावा दिया गया, तो उसपर कठोरतम कार्रवाई होगी।
इसी दिशा में अभी कुछ ही हफ्तों पहले हिमंता बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया था कि वे लव जिहाद जैसे अपराधों को असम में कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे। बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार असम में लगभग 34 प्रतिशत मुसलमान है, जबकि 61.4 प्रतिशत से अधिक हिन्दू निवास करते हैं। यहाँ अवैध बांग्लादेशियों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जो राज्य को अस्थिर करने के पूरे प्रयास करते हैं।
ऐसे में हिमंता बिस्वा सरमा ने एनआरसी पर अपने विचारों से स्पष्ट कर दिया है कि असम को भयमुक्त बनाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, चाहे कैसी भी चुनौती हो। इसके अलावा जिस प्रकार से हिमंता बिस्वा सरमा ने पाकिस्तान प्रेमी कट्टरपंथियों को आधुनिक मुगलों की संज्ञा दी है, उससे उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से एक संदेश भी दिया है – कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे।