इस बार के जम्मू-कश्मीर के स्थानीय चुनावों में भाजपा रच सकती है इतिहास

पहली बार कश्मीर घाटी में गूंज रहे हैँ राष्ट्रवादी नारे

कश्मीर

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने और उसके केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां जिला विकास परिषद का पहला चुनाव होने वाला है। बीजेपी इन चुनावों में राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ ही अपने अल्पसंख्यक नेताओं की भी पूरी ताकत झोंकते हुए चुनावी अभियान चला रही है। बीजेपी का ये चुनावी अभियान जम्मू-कश्मीर की गुपकार गठबंधन वाली पार्टियों को चुभ रहा है, वो बीजेपी पर बेजा आरोप लगा रही हैं। वहीं बीजेपी का कश्मीर में बढ़ता जनाधार आतंकियों को रास नहीं आ रहा है जिसका नतीजा ये है कि आए दिन बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं। बीजेपी के सशक्त अभियान के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता और आतंकियों की खींझ, जाहिर कर रही है कि बीजेपी इन चुनावों में एक एतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए जम्मू-कश्मीर में अपना प्रभुत्व जमाने वाली है।

बीजेपी कश्मीर की अल्पसंख्यक आबादी के सामने अपने अल्पसंख्यक नेताओं के साथ ही डीडीसी के चुनावी अभियान में जुटी है, जिसमें मोदी सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी समेत एनडीए 1 के पूर्व केन्द्रीय मंत्री शाहनवाज़ हुसैन और राज्य सभा सांसद जफर इस्लाम शामिल हैं। ये सभी कश्मीर में घूम-घूम कर बीजेपी के लिए चुनावी ज़मीन तैयार कर रहे हैं। शाहनवाज़ हुसैन को तो पार्टी ने चुनाव समिति का सह-प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है, जो कि अनुराग ठाकुर के नेतृत्व में बेहतरीन काम कर रहे हैं। शाहनवाज़ घाटी में जनसभाओं के दौरान कश्मीर से अनुच्छेद-370 की बहाली को नकारने के साथ ही राज्य के विकास का एजेंडा रखते रहे हैं। प्रेसवार्ता से लेकर अपने प्रत्येक बयान में हुसैन की जुबान पर केवल राज्य का विकास और आतंकवाद का खात्मा ही रहता है। शाहनवाज़ का ये अंदाज़ अब वहां के स्थानीय लोगों को भी खूब पसंद आ रहा है।

शाहनवाज़ के चुनावी अभियानों का असर ये है कि जिस बीजेपी को यहां लोग पसंद नहीं करते थे, उसी बीजेपी के समर्थन में अब नारे लगने लगे हैं। अनुराग ठाकुर और शाहनवाज़ की बडगाम की ऐसी ही एक जनसभा में बीजेपी के समर्थन में नारे लगने लगे, और लोग नरेंद्र मोदी ज़िंदाबाद के भी नारे लगाने लगे। इन सभी का राज्य के अलग-अलग इलाकों में जोरदार स्वागत हो रहा है। इसके अलावा बीजेपी ने इस चुनावी अभियान में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (जम्मू-कश्मीर में उधमपुर से सांसद), स्मृति ईरानी, कृष्ण पाल गुर्जर, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को भी उतार रखा है। बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोश और स्वागत बता रहा है कि बीजेपी का राज्य में जनाधार तेजी से बढ़ रहा है और लोगों का यही समर्थन बीजेपी के लिए राज्य की सत्ता के दरवाजे खोलने में मदद करेगा।

बीजेपी के इस बढ़ते जनसमर्थन से विपक्षी गुपकार गठबंधन के नेताओं की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई है। ये लोग आवाम को सरकार के खिलाफ भड़काने के साथ ही आतंकियों के समर्थन की हवा चला चुके हैं, लेकिन इन्हें बदले में लोगों से दुत्कार ही मिली है। इसीलिए ये लोग अब बीजेपी को ही निशाने पर ले रहे हैं।  हम आपको अपनी एक रिपोर्ट में बता चुके हैं कि गुपकार के ये नेता केंद्र सरकार पर हमलावर होते हुए राज्य में सुरक्षाबलों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं। ये लोग समझ चुके हैं कि बीजेपी की जीत की रुपरेखा कश्मीरी जनता ने लिखनी शुरू कर दिया है और इसके साथ ही इन लोगों का हुक्का-पानी बंद हो जाएगा, जिसके चलते ये नेता अब बहाने बनाने लगे हैं।

गौरतलब है कि बीजेपी का बढ़ता जनाधार केवल गुपकार गठबंधन की पार्टियों के लिए ही नहीं बल्कि आतंकियों के लिए भी एक मुसीबत का सबब है, जिसके चलते बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंकियों का गुस्सा और खींझ निकल रही है। इस बिंदु की बानगी कश्मीर में लगातार हो रही बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याएं हैं। पिछले एक साल में अनेकों बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत की खबरें सामने आईं हैं। बीजेपी इसे कश्मीर के लिए बलिदान बता रही है। इसका असर ये हुआ है कि कश्मीरी लोगों का बीजेपी से भावनात्मक जुड़ाव भी मजबूत हो रहा है। इन मृत कार्यकर्ताओं के परिजनों के प्रति कश्मीरियों ने अपनी जो संवेदना दिखाई है वो सकारात्मक है और ये राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए बड़ा फायदा है।

बीजेपी का डीडीसी चुनाव को लेकर चल रहा चुनाव अभियान एक तरफ जहां गुपकार गठबंधन को डरा रहा है तो वहीं आतंकियों को आक्रोशित भी कर रहा है। इसके बावजूद जिस तरह से बीजेपी को यहां जनसमर्थन मिल रहा है वो दिखाता है कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी एतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाली है।

Exit mobile version