किसी भी देश के राजदूत और राजनयिक अपने देश के आधिकारिक प्रतिनिधि होते हैं और उनके हाव-भाव और प्रवृत्ति को उनके देश से जोड़कर देखा जाता है। चीन के मामले में भी यह एकदम सटीक बैठता है। जिस प्रकार दुनियाभर में चीन (China) के राजदूत गुंडागर्दी, मार-पीट करने और गाली-गलौच देने का रास्ता अपना रहे हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि ये राजदूत वाकई चीन (China) का प्रतिनिधित्व ही कर रहे हैं। हाल ही के उदाहरण में चीन के विदेश मंत्रालय ने Five Eyes गठबंधन के लिए अब ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया है, जैसी भाषा शायद ही कभी आधुनिक विश्व की कूटनीति में इस्तेमाल की गयी हो!
दरअसल, हाल ही में Five Eyes देशों यानि अमेरिका, UK, कनाडा, New Zealand और ऑस्ट्रेलिया ने Hong-Kong में लोकतन्त्र समर्थकों पर हो रही कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हुए एक बयान जारी किया था। इसके जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Zhao Lijian ने कहा “हमें फर्क नहीं पड़ता कि तुम्हारे पास कितनी आंखे हैं। लेकिन ध्यान रहे कि अगर तुम चीन की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए कोई चुनौती खड़े करोगे, तो तुम अंधे कर दिये जाओगे, तुम्हारी ये आँखें निकाल ली जाएंगी।” आमतौर पर इस प्रकार की भाषा गली-नुक्कड़ के गुंडों के मुंह से सुनने को मिलती है, लेकिन अफसोस है कि अब चीन (China) का विदेश मंत्रालय इससे ज़्यादा नहीं रह गया है।
#China's Foreign Ministry Spokesman Zhao Lijian said, “It doesn’t matter whether they have 5 eyes or 10 eyes, if they dare to damage china’s sovereignty, security and development, they should be careful or their eyes will be plucked out.”
— Stephen McDonell (@StephenMcDonell) November 19, 2020
Hu Xijin calls Five Eyes a mafia-like organization.
Zhao Lijian: Hold my beer! pic.twitter.com/yb2Ebv3SJq
— Vikrant Singh (@VikrantThardak) November 19, 2020
चीनी विदेश मंत्रालय तो छोड़िए, पिछले दिनों खुद चीन के विदेश मंत्री ने अपनी बेहद निकृष्ट भाषा का प्रदर्शन करते हुए चेक गणराज्य की सीनेट के अध्यक्ष को धमकी दी थी। वांग यी ने कहा था कि अगर चेक के नेता ताइवान की यात्रा करने की हिमाकत करते हैं, तो उन्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
चीनी राजदूत सिर्फ गाली-गलौच करने में ही नहीं, बल्कि हिंसा करने में भी कोई आनाकानी नहीं करते हैं। हाल ही में फ़िजी में ताइवान के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर किए जा रहे एक कार्यक्रम को लेकर चीनी राजदूत अपना आपा खो बैठे। झल्लाए चीनी राजनयिकों ने ताइवान के राजदूतों पर शारीरिक हमला बोल डाला, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती तक कराने की नौबत आ गयी!
इसके अलावा चीनी पत्रकार और Global Times जैसे अखबार तो समय-समय पर इस प्रकार की निंदनीय भाषा का इस्तेमाल करते ही रहे हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में चीनी मीडिया ने ऑस्ट्रेलिया के लिए लिखा था “ऑस्ट्रेलिया चीन (China) के जूते पर चिपकी chewing gum के समान है।” बाद में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने चीनी मीडिया की निंदा भी की थी।
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन होने वाली है और अगर ट्रम्प कानूनी लड़ाई हार जाते हैं तो बाइडन का अगला राष्ट्रपति बनना तय है। हालांकि, अभी से चीन पर बाइडन-इफैक्ट दिखना शुरू हो गया है। चीन (China) की विफल Wolf Warrior Diplomacy दोबारा दिखाई दे रही है। चीन अब ऐसे बिगड़ैल बच्चे की तरह बर्ताव कर रहा है, जो वाद-विवाद करने के लायक नहीं बचा हो! चीन हिंसक कूटनीति के कीचड़ में धँसता जा रहा है, जहां से निकल पाना और फिर एक वैश्विक ताकत बनना उसके लिए मात्र एक सपना ही रहने वाला है।