अभी कुछ दिन पहले ही TFI ने विश्लेषण में बताया था कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए तीसरे मोर्चे को लाने की तैयारी में हैं, लेकिन अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से कृषि कानूनों के मुद्दे पर 11 दलों का प्रतिनिधिमंडल ममता के लिए मुसीबत बन गया है, क्योंकि ममता जिन को साथ लाने की कोशिश कर रही थीं वो सारे नेता कांग्रेस के नेतृत्व वाले तीसरे मोर्चे के साथ खड़े दिख रहे हैं।
ऐसे में बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी को विपक्ष के मुख्य नेता की कुर्सी मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।
कांग्रेस के अध्यक्ष पद की राह देख रहे राहुल गांधी के नेतृत्व में 11 दलों के हस्ताक्षर किया हुआ प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला। इस गठबंधन में एनसीपी, डीएमके की भूमिका भी अहम थी। ये सभी केन्द्र में कांग्रेस को पूर्ण रूप से समर्थन देते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ममता बनर्जी के लिए कुछ अलग ही प्लान तैयार कर रही है।
कांग्रेस के नेता और बंगाल से आने वाले अधीर रंजन चौधरी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस अगला चुनाव लेफ्ट के साथ लड़ेगी। ये ममता के लिए बहुत बड़ी मुसीबत का सबब होगा।
ममता बनर्जी की प्लानिंग थी कि वो बीजेपी को हराने के लिए अपनी रैलियों में एनसीपी नेता शरद पवार को बुलाएंगी। इसके अलावा ममता बनर्जी ने डीएमके नेता एमके स्टालिन और अरविंद केजरीवाल के साथ बंगाल में विधानसभा चुनाव प्रचार की प्लानिंग की थी। जिसके जरिए बीजेपी को एक महागठबंधन बनाकर हराया जा सके, लेकिन कांग्रेस एक अलग ही प्लानिंग करके ममता बनर्जी की योजनाओं को ध्वस्त करने में लग गई है।
कांग्रेस एनसीपी डीएमके जैसी पार्टियों के नेताओं को साथ रखकर यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वो बंगाल विधानसभा चुनाव में लेफ्ट के साथ है, और अन्य सभी राजनीतिक पार्टियों का समर्थन उसे प्राप्त है। ममता बनर्जी अब कांग्रेस की रणनीति में फंसती नजर आ रही हैं। पश्चिम बंगाल में बीजेपी के जनाधार को देखकर साफ हो रहा है कि इस बार बीजेपी की सरकार बनना तय है।
इसी के चलते पश्चिम बंगाल में टीएमसी के नेता ममता बनर्जी का साथ छोड़ बीजेपी का रुख कर रहे हैं जिसके चलते ममता की हार तय हो गई है। ऐसे में ममता को कुछ विपक्षी दलों से उम्मीद थी लेकिन अब इस मुद्दे पर कांग्रेस टीएमसी के खिलाफ साजिश रचने लगी है।
कांग्रेस अब तीसरे मोर्चे के तहत रणनीति बना रही है जिसके वजह से अब ममता बनर्जी के लिए विधानसभा में विपक्ष की कुर्सी भी नहीं बचेगी क्योंकि कांग्रेस समेत लेफ्ट और एनसीपी जैसी पार्टियों के साथ एक तीसरा मोर्चा बना रही हैं जोकि ममता बनर्जी को राजनीतिक संन्यास की ओर ले जाएगा।