दिलजीत दोसांझ इन दिनों काफी सुर्खियों में है। कंगना रनौत से ट्विटर पर भिड़ने के बाद अब जनाब सिंघु बॉर्डर पधारे, जहां पर उन्होंने न केवल ‘किसान आंदोलन’ को बढ़ावा दिया, अपितु इस आंदोलन को एक करोड़ रुपये की सहायता भी दी।
हाल ही में दिलजीत दिल्ली के निकट स्थित सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे ‘किसानों’ की हौसलाफजाई के लिए वहाँ पहुंचे। उन्होंने कहा, “आज आपने [किसानों] वो कर दिखाया है जो इतिहास में कोई न कर पाया। अब लोगों को पता चल गया है कि किसानों की समस्या को नजरअंदाज करना गलत है। हमारी सरकार से बस इतनी अपील है कि वे किसानों की बात को सुने और उनकी तकलीफों को दूर करे।”
इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने सद्भाव का प्रदर्शन करते हुए एक ट्वीट किया, जिसमें वे लिखते हैं, “प्यार की बात करिए, कोई भी धर्म लड़ना नहीं सिखाता। हिन्दू, सिख, मुस्लिम, ईसाई, जैन और बौद्ध सब एक दूसरे के पूरक है। भारत इन्हीं के सहयोग से चलता है, और मैं चाहूँगा कि सब प्यार से मिल जुलकर रहें” –
https://khabar.ndtv.com/news/bollywood/diljit-dosanjh-photo-shared-of-singhu-border-says-religion-does-not-teach-fight-tweet-viral-2334889
तो इसमें समस्या क्या है? इस ट्वीट से आप स्पष्ट देख सकतें हैं कि कैसे दिलजीत आपसी सद्भाव और वात्सल्य की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में कंगना रनौत से जब ट्विटर पर उन्होंने बहस की, तो न केवल उन्होंने कंगना से अभद्र भाषा में बात की, बल्कि उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर शाहीन बाग के देशद्रोहियों का भी समर्थन करने का प्रयास किया गया, जिससे उनपर पाकिस्तानी प्रेमी, खालिस्तानी जैसे कई टैग सोशल मीडिया पर लगाए गए। इन ट्वीट्स और सिंघु बॉर्डर पर दिए व्याख्यान से दिलजीत अपनी छवि बचाना चाहते थे।
लेकिन आंदोलनकारियों को दिए गए एक करोड़ रुपये ने उनके सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। यदि दिलजीत शांतिपूर्ण आंदोलन को बढ़ावा दे रहे थे, और उनका किसी से कोई द्वेष नहीं था, तो उन्होंने इस ‘किसान आंदोलन’ को 1 करोड़ रुपये की सहायता क्यों प्रदान की-
ये जानते हुए भी कि अब किसान आंदोलन एक अराजक वामपंथी आंदोलन बन चुका है, जिसका प्रमुख लक्ष्य है दिल्ली NCR के क्षेत्र में हिंसा करना और केंद्र सरकार पर कृषि कानून को हटाने का दबाव बनाना, दिलजीत ने इस आंदोलन को 1 करोड़ रुपये की सहायता दी। ऐसे में इसका एक ही मतलब निकलता है – दिलजीत भी उसी अराजक सोच को बढ़ावा दे रहे हैं जो भारत का विध्वंस चाहता है।
जिस प्रकार से उन्होंने एक अराजक और उग्र आंदोलन का महिममंडन करने का प्रयास किया, और इन अराजकतावादियों को एक करोड़ रुपये प्रदान किए, उससे स्पष्ट पता चलता है कि कहीं न कहीं वे भी अलगाववादी विचारधारा के समर्थक हैं, जैसे इस आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अन्य अराजकतावादी हैं।
लेकिन शायद दिलजीत ये भूल रहे हैं कि जब लाख अराजकता फैलाने और दिल्ली में दंगे भड़काने के बावजूद नागरिकता संशोधन अधिनियम वापिस नहीं लिया गया, तो भला केंद्र सरकार किसानों के नाम पर अराजकता फैलाने वालों को क्यों अपनी मनमानी करने देगी?
केंद्र सरकार अभी भी किसानों से ससम्मान बातचीत के लिए तैयार है और वह ऐसा ही कर भी रही है, लेकिन अब धीरे-धीरे इन आंदोलनकारियों की असलियत खुलकर सामने आ रही है, और साथ ही साथ दिलजीत दोसांझ की भी पोल चुकी है, जो कहने को एक उभरते सितारे थे, परंतु इस आंदोलन ने उनके अंदर का अराजकतावादी सबके समक्ष प्रस्तुत किया।