‘Scam 1992’ में एक संवाद वर्तमान परिस्थितियों में एकदम सटीक बैठता है, “जब किसी का काम न खराब सको ना, तो उसका नाम खराब करो!” विपक्ष और भारत विरोधी तत्व झूठी अफवाहों के जरिए ये काम कर रहे हैं, लेकिन ये अभियान केवल ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकता को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं है। अभी ये अफवाह फैलाई गई कि वुहान वायरस के वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग की स्वीकृति केंद्र सरकार ने रद्द कर दी, जिस पर केंद्र सरकार ने भी आक्रामक होते हुए ऐसी अफवाह फैलाने वालों की धुलाई की।NDTV पर अभी हाल ही में ये खबर प्रकाशित हुई कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक द्वार निर्मित वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग के लिए याचिका दायर की गई, जिसे केंद्र सरकार ने ठुकरा दी। इसके पीछे कारण ये दिया गया कि इन वैक्सीनों को लेकर पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है –
बता दें कि वुहान वायरस से निपटने के लिए दुनिया भर में वैक्सीन का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है, जिनमें से अमेरिका निर्मित फ़ाइज़र वैक्सीन, इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा निर्मित एस्ट्रा ज़ेनेका उपयोग किये जाने के लिए पूरी तरह तैयार है, और भारत में भी सीरम इंस्टीट्यूट के साथ साझेदारी में बनाई गई एस्ट्रा ज़ेनेका का भारतीय संस्करण एवं भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सिन भी उपयोग के लिए तैयार है।
अब ऐसे में इस अफवाह से क्या संदेश जाता है? इस अफवाह के जरिए वामपंथी ये भ्रम फैलाना चाहते हैं कि केंद्र सरकार इतनी निष्ठुर है कि वह किसानों के साथ न्याय करना तो दूर, समय पर वैक्सीन भी नहीं उपलब्ध कराना चाहती। लेकिन इससे पहले कि यह भ्रामक अभियान भारत भर में फैल पाता, केंद्र सरकार ने इसे तुरंत फेक न्यूज करार दिया।
इस बार स्पष्ट रूप से NDTV इंडिया को आड़े हाथों लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जो NDTV पर प्रसारित हो रहा है, वो फेक न्यूज है –
#FAKENEWS
The news running on @ndtvindia is Fake News. pic.twitter.com/VZv7uwW5z7— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) December 9, 2020
यहाँ पर संदेश स्पष्ट था – अब NDTV का झूठ और नहीं चलेगा। हालांकि, NDTV ऐसा अकेला चैनल नहीं था, जिसने ये भ्रामक खबर फैलाई। सीएनबीसी हो या फिर इंडिया टुडे, कई मीडिया चैनलों ने इस खबर को अपने चैनल पर प्रसारित किया –
दिलचस्प बात यह है कि इनमें से किसी भी रिपोर्ट में कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश किया गया, और किसी भी प्रकार के साक्ष्य को नहीं प्रसारित किया गया। हर जगह केवल यही लिखा था कि ये खबर विश्वसनीय सूत्रों से मिली है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब NDTV ने इस स्तर पर फेक न्यूज को बढ़ावा दिया हो।
जब तनिष्क का विवादित एड सुर्खियों में था, तब NDTV ने ये अफवाह फैलाई थी कि गुजरात में गांधीधाम में स्थित एक तनिष्क शोरूम पर हमला हुआ है, और वहाँ के कर्मचारियों को माफीनामा लिखने को बाध्य किया गया है। लेकिन ये खबर सरासर झूठ निकली, जिसकी पुष्टि स्वयं शोरूम के प्रबंधक ने की। फलस्वरूप गुजरात सरकार ने क्रोधित होकर NDTV के विरुद्ध FIR दर्ज करवाई, क्योंकि ऐसी भ्रामक खबरों के जरिए वह [NDTV] गुजरात में अशान्ति का माहौल फैलाना चाहता था।
The news of an attack on a showroom in Gandhidham, Kutch by @ndtv is TOTALLY FAKE. This is a motivated attempt to adversely impact the law & order & incite violence in Gujarat. I have asked to register a case & take strict action against those who spread this fake news.
— Pradipsinh Jadeja (Modi Ka Parivar) (@PradipsinhGuj) October 14, 2020
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि NDTV अब धीरे-धीरे राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मिता के लिए खतरा बनता जा रहा है, जिसपर कठोरतम कार्रवाई करके केंद्र सरकार को एक उदाहरण पेश करना ही होगा, अन्यथा NDTV के झूठ कब देश के लिए एक विपदा ले आए, पता भी नहीं चलेगा।