क्या आपने कभी सोचा था कि भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों से होते हुए थाईलैंड और वियतनाम तक एक रेल लाइन हो जिससे इन देशों की यात्रा सुगम हो जाए? अब शायद यह वास्तविकता में बदलने वाला है। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में ये बात कही। उन्होंने कहा कि भारत का उत्तर पूर्वी इलाका दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के लिए भारत का गेटवे बनेगा। भारत के साथ दक्षिण-पूर्व एशिया के संबंध दो स्तम्भों पर टिके हैं। पहला- नेबर फर्स्ट, दूसरा- एक्ट ईस्ट।
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरुआत से ही उत्तर पूर्वी राज्यों में विकास की एक ऐसी श्रृंखला शुरू की जिससे अब यह क्षेत्र न सिर्फ पूरे भारत से बल्कि दक्षिण एशिया से भी जुड़ने जा रहे हैं। श्रृंगला ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में कहा कि भारत के पास इस क्षेत्र के लिए 3 सी विज़न यानि कनेक्टिविटी, कॉमर्स और कल्चरल कॉमनलिटीज़ पर केन्द्रित है और इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सरकार ने ठोस पहल की है।
श्रृंगला ने कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर प्रकाश डाला, जिन्हें भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ उत्तर पूर्व में लिया है और उनमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे वो बांगलादेश के साथ शुरू की गयी पाँच रेल लिंक तथा इनलैंड वॉटरवे ही क्यों न हो। यही नहीं श्रृंगला ने बताया कि भारत ने म्यांमार के साथ क्षेत्रीय संपर्क बनाने वाली परियोजनाओं को उच्च प्राथमिकता दी है। श्रृंगला ने कहा, “कनेक्टिविटी बढ़ाने की भविष्य की योजनाओं में भारत को म्यांमार के माध्यम से थाईलैंड से जोड़ने वाला एक चार-लेन त्रिपक्षीय राजमार्ग शामिल है, जिसका विस्तार लाओस, कंबोडिया और वियतनाम तक होगा।”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और म्यांमार और आगे थाईलैंड, लाओस, सिंगापुर, कंबोडिया, वियतनाम और बांग्लादेश को जोड़ने वाली रेलवे भविष्य में संभव है।
यानि भारत के उत्तर पूर्वी राज्य सीधे थाईलैंड, लाओस, सिंगापुर, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों से जुड़ जाएंगे। यह परियोजना इन देशों में न सिर्फ भारत का प्रभाव बढ़ाएंगे बल्कि, इससे चीन के आग बबूला होने की पूरी उम्मीद है। इससे दक्षिण एशिया में चीन के BRI को ऐसा झटका लगेगा कि वह उबर भी नहीं पाएगा। म्यांमार पहले ही BRI के प्रोजेक्ट्स को अब बंद करना शुरू कर चुका है अब भारत की इन सभी देशों को रोड और रेल से जोड़ने की परियोजना BRI पर भारी पड़ने वाली है।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि जापान भी इन देशों में अपने प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। इसके साथ ही वो भारत के साथ समन्वय भी बना रहा है जिससे इन देशों की चीन पर आर्थिक निर्भरता काफी हद तक कम हो जाए।
उन्होंने कहा, “एक स्तर तक हम पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय आधार पर संबंध बढ़ाएंगे। इसके बाद ये बहुपक्षीय हो जाएंगे। तब बिम्सटेक के जरिये संबंध विकसित किए जाएंगे। इसी आधार पर बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल का समूह बनाकर संबंध विकसित किए जाएंगे। बहुपक्षीय लाभ वाले कार्य किए जाएंगे। “
उन्होंने आगे बताया कि, “इस दृष्टिकोण से,पड़ोसियों के साथ संबंध विकसित करने के लिए उत्तर-पूर्वी राज्य गेटवे का कार्य करेंगे। यह हमें हमारे कुछ सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसियों के साथ जोड़ता है। यह हमारे पड़ोसियों के अलावा दुनिया के सबसे आर्थिक रूप से गतिशील और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों में से एक से भी जोड़ता है यानि आसियान और इंडो-पैसिफिक। यहीं से आसियान देशों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जाने का मार्ग विकसित करने की योजना है।”
स्पष्ट है भविष्य में दक्षिण पूर्व एशिया के बाज़ार सीधे तौर पर भारतीय बाज़ार से जुड़ेगा और भारत के पूर्वोत्तर में व्यापारिक गतिविधि और टूरिज़म में बढ़ावा मिलेगा। आर्थिक विकास के जरिये अलगाववाद और अतिवाद की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी। भारत की यह परियोजना भारत के पूर्वोत्तर के लिए तो वरदान है ही है, इससे चीन की समस्या से निपटने में भी बड़ी मदद मिलेगी।