जब से जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ हुआ है, तब से रूस में पुतिन प्रशासन ने अपने स्वभाव और अपनी सोच में काफी बदलाव किया है। इसीलिए इन दिनों रूसी राष्ट्रपति पुतिन चीन के प्रति काफी नरम रुख दिखा रहे हैं, जो एक तरह से अमेरिका को स्पष्ट संदेश है – रूस के विरुद्ध कोई गलत कदम उठाया, तो परिणाम अच्छा होगा।
इन दिनों रूस और चीन के बीच काफी निकटता बढ़ी है। दोनों देशों के विदेश मंत्री एक दूसरे के परस्पर सहयोग की बात कर रहे हैं, तो वहीं दोनों देशों के फाइटर जेट्स संयुक्त रूप से पेट्रोलिंग में हिस्सा लेते हैं। इतना ही नहीं, चीन के तर्ज पर कुछ रूसी राजनयिक इंडो पेसिफिक पर अमेरिका की नीतियों की निन्दा भी करते हैं। परंतु पुतिन प्रशासन इसलिए ये सब नहीं कर रहा है क्योंकि उन्हें चीन प्रिय है, बल्कि वह एक तरह से अमेरिका को चेतावनी दे रहे हैं।
इसकी पुष्टि स्वयं चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने जाने अनजाने अपने लेख में किया है, जिसका शीर्षक ही है “चीन और रूस के मजबूत होते रिश्ते असल में नए अमेरिकी सरकार को एक स्पष्ट संदेश है”।
अपने लेखों में आम तौर पर चीनी प्रशासन का गुणगान करने वाले ग्लोबल टाइम्स ने इस बात पर स्पष्ट प्रकाश डाला है कि कैसे रूस अमेरिका और चीन की लड़ाई में बलि का बकरा नहीं बनना चाहता और इसलिए वह चीन से निकटता बढ़ाकर अमेरिका को एक स्पष्ट संदेश देना चाहता है। रूस भली भांति जानता है कि ट्रम्प के जाने से अब रूस और अमेरिका के संबंध अधर में लटके हुए हैं। ऐसे में रूसी राष्ट्रपति को कोई ऐसा देश चाहिए जो अमेरिका द्वारा NATO के नए स्वरूप को चुनौती दे सके, और चीन से बेहतर कौन हो सकता है?
लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि रूस को चीन से कोई हमदर्दी है, क्योंकि रूस अपने निजी हितों से समझौता करके चीन को गले नहीं लगा सकता। इसलिए पुतिन द्वारा भेजे जा रहे संदेशों पर शी जिनपिंग भले ही अपने बुद्धि विवेक का इस्तेमाल न करे, और रूस की ओर दौड़े चले जाएँ, लेकिन अमेरिका को भेजे जा रहे संदेश नकली नहीं है, और रूस का उद्देश्य स्पष्ट है – बाइडन की सनक में रूस की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती।