जब इंसान अपनी हार देखता है, तो वो जीतने की कोशिश में साम दाम दंड भेद सब कुछ करने को तैयार हो जाता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है, जो अब केंद्र सरकार से संवैधानिक लड़ाई करने को तैयार हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 3 आईपीएस अधिकारियों की दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार का विरोध करते हुए ममता सरकार ने आईपीएस अफसरों को दिल्ली भेजने से साफ इनकार कर दिया है। ममता का यह फैसला अब आर या पार की लड़ाई जैसा दिखाई दे रहा है। इस फैसले पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि वो केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए विवश कर रही हैं जिसका वो चुनावी समर में लाभ उठा सकें।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पर हुए जानलेवा हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा में चूक पाई, जिसके बाद बंगाल के 3 जिम्मेदार आईपीएस अफसरों की सजा के तौर पर दिल्ली में प्रतिनियुक्ति कर दी गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ये फैसला पसंद नहीं आया है। बंगाल सरकार द्वारा फैसला किया गया है कि वो किसी भी कीमत पर बंगाल के इन तीन आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली नहीं भेजेगी।
आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली बुलाने के मुद्दे पर टीएमसी नेता मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का यह कदम पूर्णतः असंवैधानिक है। टीएमसी नेता ने मुखरता से कहा, “हम उन्हें (3 आईपीएस अधिकारी) प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजेंगे। ज्यादा से ज्यादा यही होगा कि केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लगा देगी। हम इसका स्वागत करते हैं। यदि केंद्र के पास यह करने की शक्ति है तो वह ऐसा कर सकती है।” स्पष्ट है कि ममता सरकार को अब राष्ट्रपति शासन लगने का भी कोई भय नहीं रहा है। ऐसा लगता है कि वो केंद्र सरकार को उकसा रही हैं राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए जिससे उन्हें इस मुद्दे को जरिये जनता के बीच चुनावों में सहानुभूति कार्ड खेलने मौका मिल जाये। पहले ही पार्टी में अपने वफादारों के साथ छोड़ने से ममता के सामने चुनौतीयां बढ़ गईं हैं।
इस मामले पर गृहमंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को बताया है कि किसी भी विवाद की स्थिति में आईपीएस काडर नियमों में केंद्र आदेश जारी कर सकता है, जिसे राज्य सरकार को मानना होगा। इसके बाद ममता सरकार के मंत्री ने केंद्र सरकार पर अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। सुब्रत मुखर्जी ने कहा, “यह असंवैधानिक है और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। हम केंद्र के हस्तक्षेप को अनुमति नहीं देंगे। केंद्र सरकार आइपीएस कैडर नियमावली 1954 के कुछ प्रावधानों का गलत इस्तेमाल कर देश के संघीय ढांचे को बर्बाद करने का प्रयास कर रही है।”
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीजेपी अध्यक्ष के काफिले पर हुए हमले के बाद बंगाल के तीन प्रमुख IPS अफसरों को प्रतिनियुक्ति के लिए दिल्ली बुला लिया है। माना जाता है कि ये तीनों अधिकारी टीएमसी और ममता बनर्जी के सिपहसालार हैं, जिसके चलते ममता इन्हें बचाने में राष्ट्रपति शासन लगवाने से भी परहेज नहीं कर रही हैं, बल्कि राष्ट्रपति शासन के जरिए वह एक नया चुनावी लाभ लेने की रणनीति में है।
बता दें कि ममता का अधिकारियों के मुद्दे पर केन्द्र से विवाद होना कोई नई बात नहीं है। 2019 में पहले भी सीबीआई के अधिकारियों को बंदी बनाने का मामला सामने आ चुका है। ऐसे राष्ट्रपति शासन को लेकर जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद ममता बनर्जी जब विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए जाएंगी, तो बीजेपी पर राष्ट्रपति शासन लगाने का आरोप मढ़कर सहानुभूति कार्ड खेलने की कोशिश करेंगी। बीजेपी की सकारात्मक हवा के चलते ममता डरी हुई हैं इसलिए ममता साम दाम दंड भेद की सारी रणनीतियां अपना रही हैं जिनसे बंगाल में उनकी खिसक रही सीएम पद की कुर्सी बच जाए। अब उनकी ये रणनीति सफल होती है या नहीं ये आने वाला वक्त ही बतायेगा।