कभी जो शिवसेना राम मंदिर के निर्माण में हो रहे विलंब के लिए भाजपा को जी भर के कोसती थी, आज वही शिवसेना पूर्णतया एक छद्म धर्मनिरपेक्ष पार्टी बन चुकी है। बात इस हद तक पहुंच चुकी है कि अब शिवसेना टुकड़े टुकड़े गैंग की तर्ज पर भारत को टुकड़ों में बांटने की बातें भी करने लगी है, जिसकी पहल पार्टी के ही बड़बोले प्रवक्ता संजय राउत कर रहे हैं।
शिवसेना के मुखपत्र सामना के जिस लेख में कांग्रेस की शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने खिंचाई की थी, उसी में राउत लिखते हैं कि जिस प्रकार से पीएम मोदी राज्य सरकारों को ‘अस्थिर करने में दिलचस्पी रखते हैं’, उससे आगे चलकर भारत सोवियत रूस की तरह बिखर जाएगा। राउत के अनुसार, “सरकार के पास पैसा नहीं है, लेकिन उसके पास चुनाव जीतने के लिए, सरकारें गिराने-बनाने के लिए पैसा है। यदि हमारे प्रधानमंत्री को इस स्थिति में रात में अच्छी नींद आ रही है, तो उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए। भाजपा नेता विजयवर्गीय ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विशेष प्रयास किया था”।
लेकिन महोदय यहीं पर नहीं रुके। जनाब आगे कहते हैं, “यदि हमारे प्रधानमंत्री राज्य सरकारों को अस्थिर करने में विशेष रुचि ले रहे हैं तो क्या होगा? राजनीतिक अहंकार के लिए मुंबई की `मेट्रो’ को अवरुद्ध कर दिया। अगर केंद्र सरकार को इस बात का एहसास नहीं हुआ कि हम राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो जैसे रूस के राज्य टूटे वैसा हमारे देश में होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा”।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि संजय राउत ने अप्रत्यक्ष तौर पर पीएम मोदी को निशाना लेने की आड़ में देशद्रोह को बढ़ावा दिया है। जिस प्रकार के बयान संजय राउत दे रहे हैं, वो बयान कभी पाकिस्तान के शहरों से जुल्फिकार अली भुट्टो दिया करते थे। इससे शर्म की बात कुछ और हो ही नहीं सकती कि जिस पार्टी के संस्थापक कभी देशद्रोहियों के लिए ‘शूट एंड साइट’ जैसे प्रावधानों की बातें करते थे, उसी का एक प्रवक्ता भारत को तोड़ने वालों का साथ दे रहा है।
लेकिन संजय राउत का बड़बोलापन यहीं पर नहीं रुका। जनाब ने चीन के विषय पर भ्रामक प्रचार करते हुए कहा, “चीनी सैनिक 2020 में हिंदुस्तानी सीमा में घुसे। उन्होंने अपनी जमीन पर कब्जा कर लिया। चीनी सैनिकों को हम पीछे नहीं धकेल सकते थे, लेकिन संकट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए राष्ट्रवाद की एक नई छड़ी का इस्तेमाल किया गया। चीनी वस्तुओं और चीनी निवेश के बहिष्कार का प्रचार किया गया। चीनी निवेश पर अंकुश लगाने की बजाय चीन की सेना को यदि पीछे धकेला गया होता, तो राष्ट्रवाद तीव्रता से चमकता दिखाई देता”।
या तो संजय राउत अपने कुएं से बाहर नहीं निकले है, या फिर वे ये बात पचाने में असमर्थता महसूस कर रहे हैं कि भारतीय सेना ने चीन को जोरदार जवाब है, क्योंकि उनके सफेद झूठ के ठीक उलट भारतीय सेना ने चीन की हालत LAC पर काफी खस्ता कर दी है। लेकिन जो आदमी रूस के तर्ज पर भारत को तोड़ने के सपने देखता हो, उसे सच बताने से क्या लाभ?