यदि भारत को वुहान वायरस की महामारी में भीषण संकट नहीं झेलने पड़ा तो इसके पीछे एक सरल सा कारण है – भारत का डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रति झुकाव। डिजिटल इंडिया के अभियान के अंतर्गत जिस डिजिटल अर्थव्यवस्था को पीएम मोदी ने बढ़ावा देने का प्रयास किया था, वह आज इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि स्वयं टेक जगत के जाने माने हस्ती बिल गेट्स इसका प्रचार कर रहे हैं।
सिंगापुर फिनटेक फेस्टिवल को संबोधित करते हुए बिल गेट्स ने भारत के डिजिटल अर्थव्यवस्था प्रणाली की प्रशंसा करते हुए कहा, “इस देश ने मनी ट्रांसफर और विश्वसनीय पहचान पत्र हेतु सशक्त प्लेटफॉर्म का निर्माण किया है, जिससे गरीबों को दिए जाने वाले धन में आने वाली अड़चनें बहुत हद तक कम हुई हैं, और यह ऐसे विकट समय [वुहान वायरस] में भी बहुत काम आया है”।
बिल गेट्स ने आगे बताया, “अगर कोई एक ऐसा देश है, जिसपर चीन के अलावा ध्यान दिया जाना चाहिए, तो वह निश्चित रूप से भारत ही है। वहाँ चीजें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं और वहां के सिस्टम में इनोवेशन गजब है। भारत के प्रणाली को विश्व भर में लागू किया जाना चाहिए”।
भारत में डिजिटल भुगतान को 2016 से युद्धस्तर पर चालू किया गया, जब देश में उच्च मूल्य के बैंकनोट का मोदी सरकार ने विमुद्रीकरण [demonetization] कराया। फलस्वरूप स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग और सस्ते डेटा दरों के कारण UPI पेमेंट सिस्टम आज विश्व भर के लिए एक आदर्श उदाहरण बना हुआ है।
इतना ही नहीं, भारत ने ये भी सुनिश्चित कराया है कि सभी कंपनियां इस सिस्टम का इस्तेमाल करे, ताकि पेमेंट भेजने में आसानी हो, चाहे वो फ़ेसबुक हो, एमेजॉन हो या फिर वालमार्ट ही क्यों न हो, जिसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं लगेगा। यूं ही नहीं गूगल ने इस पेमेंट सिस्टम का अनुसरण कराने की इच्छा जताई थी।
जब पीएम मोदी ने कहा था कि डिजिटल इंडिया ही नए भारत को समृद्धि की ओर ले जाएगा, तो अर्थशास्त्र के स्वघोषित विशेषज्ञों और कई विपक्षी नेताओं ने उनका खूब मज़ाक उड़ाया था। लेकिन इसी डिजिटल अर्थव्यवस्था के कारण जहां भारत को वुहान वायरस के दौरान भीषण आर्थिक संकट नहीं झेलना पड़ा, तो वहीं अब गूगल से लेकर बिल गेट्स फाउंडेशन तक इस प्रणाली का प्रचार कर रहे हैं, वो भी मुफ़्त में। शायद इसी को कहते हैं, “काम बोलता है।