सुपर स्टार रजनीकांत ने अभी राजनीतिक रूप से अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन उन्होंने 31 दिसंबर को नई पार्टी की घोषणा की बात कही है। लोगों का मानना है कि तमिलनाडु की राजनीति में रजनीकांत के उतरने से बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे क्योंकि कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता है कि रजनीकांत का तमिलनाडु में विशेष प्रभाव है। इसीलिए खास से लेकर आम नागरिक तक रजनीकांत के इस फैसले और बाद के घटनाक्रमों के पूर्वानुमान लगाने लगे हैं, क्योंकि वो 2021 का विधानसभा चुनाव भी जरूर लड़ेंगे।
2018 में अभिनेता से नेता बने कमल हसन ने रजनीकांत की भावी पार्टी के साथ गठजोड़ के संकेत देने लगे हैं। इसका सीधा नुकसान डीएमके और कांग्रेस गठबंधन को होगा, जो अति उत्साह में बयान दे रहे हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में उन्हें कोई भी गठबंधन नहीं हरा सकता है। इसके इतर ये दोनों पार्टियां जानती हैं कि कमल हसन और रजनीकांत का साथ आना इनके लिए एक झटका होगा।
इस गठबंधन में रजनीकांत की भूमिका अहम होगी। कमल हसन का मानना है कि रजनीकांत की पार्टी से उनका गठबंधन बस एक फोन कॉल की दूरी तक का ही है। कमल हसन ने प्रेस वार्ता में कहा, “अगर हमारे बीच वैचारिक मतभेद नहीं है तो हमें साथ आने में कठिनाई नहीं होगी। राज्य की सत्ता में बदलाव अब जरूरी हो गया है। हम दोनों के बीच गठबंधन के लिए बस एक फोन कॉल की दूरी है क्योंकि हमारी विचारधाराएं समान हैं।” गौरतलब है कि 13 दिसंबर को कमल हसन ने अपनी पार्टी मक्कल नीधी माईम का चुनावी कैंपेन शुरू कर दिया है।
रजनीकांत के मुताबिक उनकी पार्टी राज्य की 234 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। इस पूरे घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने आरोप लगा दिया है कि डीएमके और कांग्रेस के वोट काटने के लिए बीजेपी ने रजनीकांत को तमिलनाडु की राजनीति में सेट करने की योजना बनाई है। वहीं इससे इतर बीजेपी और एआईडीएमके ने सुपरस्टार रजनीकांत के फैसले का स्वागत किया है।
कांग्रेस की बातों से अलग डीएमके का कहना है कि उसे तमिलनाडु की राजनीति में रजनीकांत के आने, या विधानसभा चुनाव के लिए कमल हसन और रजनीकांत के बीच होने वाले गठजोड़ से कोई फर्क नहीं पड़ता है। डीएमके नेता टीकेएस इलांगोवन ने कहा है कि उन्हें किसी भी तरह का राजनीतिक रूप से कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, “डीएमके की स्थिति मजबूत है, हम विपक्ष में हैं। हम मजबूत हैं और हमने अच्छा प्रदर्शन किया है। 20 वर्षों से हमने तमिलनाडु की जनता के लिए बहुत काम किया है और लोग ये सारी बातें अच्छे से जानते हैं।”
वोट काटने के मामले में यह माना जा रहा है कि रजनीकांत और कमल हसन बीजेपी और एआईडीएमके को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। वहीं डीएमके और कांग्रेस जैसे गठबंधन को इससे झटका लगेगा। रजनीकांत को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मूर्ति का प्रशंसक माना जाता है। रजनीकांत को बेशक इन चुनावों में बड़ा फायदा होने वाला है। जिसके चलते कमल हसन भी रजनीकांत के साथ गठबंधन बनाने को आतुर हैं जो कि तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन लाने वाला है।