चीन चाहे जितने दावे ठोके, परंतु सच तो यही है कि वुहान वायरस की महामारी के बाद से वैश्विक समीकरण हमेशा के लिए बदल चुके हैं, जो विशेष रूप से एशिया के लिए लागू होती है। जापान के उप रक्षा मंत्री की माने, तो इस समय एशिया का केंद्र चीन नहीं बल्कि भारत है, और वही एशिया का भविष्य भी है।
जापान के उप रक्षा मंत्री Yasuhide Nakayama ने WION से अपनी बातचीत में आशा जताई कि भारत जल्द ही QUAD समूह में अपनी सक्रियता को और अधिक बढ़ाएगा। उनके अनुसार, “जिस प्रकार से चीन की सेना अपने आसपास के देशों की सीमा में घुसपैठ कर रहा है और जल क्षेत्रों पर दावा ठोक रहा है, उससे ये आवश्यक है कि समान विचारधारा वाले लोकतान्त्रिक देश [जैसे QUAD समूह] मिलकर इस समस्या का निस्तारण करे”।
भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए Yasuhide Nakayama ने बताया, “मैं निजी तौर पर भारत की पोजीशन को जानता हूं और मैं निजी तौर पर भारत से आवेदन करूंगा कि वे इंडो पेसिफिक क्षेत्र को चीन के प्रभाव से मुक्त रखने हेतु और अधिक सक्रिय हो। हम एक सशक्त और मजबूत भारत चाहते हैं। भारत एशिया की राजनीति का केंद्र है और उनका सर्किया होना बहुत आवश्यक है। हम सभी भारत को चाहते हैं और हम चाहेंगे कि भारत QUAD में अपनी सक्रियता को और अधिक बढ़ाए”।
इसके अलावा जापानी उप रक्षा मंत्री ने चीन को वुहान वायरस फैलाने के लिए आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “चीन अपनी करतूतों के लिए दुनिया के प्रति जवाबदेह है और उसके साथ साथ डबल्यूएचओ को भी कठघरे में खड़ा किया जाने”। लेकिन भारत को एशिया का प्रमुख केंद्र कहकर जापान क्या संदेश देना चाहता है?
दरअसल, वुहान वायरस के पश्चात वैश्विक समीकरणों में काफी बदलाव आया है, और चीन का प्रभाव काफी हद तक कम भी हुआ है। ऐसे में जापान इन बदले हुए समीकरणों का फायदा उठाते हुए एक नए वैश्विक ऑर्डर का हिस्सा बनना चाहता है। लेकिन जापान ये भी जानता है कि इस बदले हुए वैश्विक ऑर्डर में भारत की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, विशेषकर तब जब भारत तिब्बत ऑर्डर पर चीन के आक्रमण की कोशिश को भारत ने बुरी तरह ध्वस्त किया है।
इसीलिए जापान ने भारत को एशिया का केंद्र कहकर उसे एक विशिष्ट स्थान दिया है, क्योंकि वह भली भांति जानता है कि यदि कोई चीन को खुलेआम चुनौती देकर उसे उसकी औकात बता सकता है, तो वह केवल भारत ही है। ऐसे में भारत की बढ़ाई कर जापानी उप रक्षा मंत्री ने केवल वैश्विक भारत की अहमियत को एक बार फिर रेखांकित किया है, और ये भी आशा जताई है कि भारत और जापान के बीच की मित्रता यूं ही फलती फूलती रहेगी।