North Pole या कहिए आर्कटिक में global warming बढ़ने के साथ-साथ भू-राजनीतिक तापमान भी बढ़ता जा रहा है। रूस यहाँ एक के बाद एक मिसाइल टेस्ट किए जा रहा है, जिसके माध्यम से वह क्षेत्र में अपने प्रभुत्व का प्रदर्शन कर रहा है। अमेरिकी स्पेस कमांड के मुताबिक 15 दिसंबर को ही रूस ने स्पेस में एक और anti-satellite टेस्ट किया है। रूस ने यह टेस्ट तब किया है जब पिछले ही हफ्ते चीन ने Arctic में trading routes के बारीकी से अध्ययन के लिए एक नई विशेष satellite लॉन्च करने का ऐलान किया है। इसके अलावा भी दिसंबर और नवंबर में रूस Arctic में एक के बाद Hypersonic और Ballistic मिसाइल्स का टेस्ट करता आया है। रूस इस क्षेत्र में चीन को एक बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में देखता है, और ऐसे में हो सकता है कि रूस बार-बार मिसाइल परीक्षण कर चीन को एक कड़ा संदेश देना चाहता है।
दरअसल, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अपना ट्रेड बढ़ाने के लिए चीन जहां एक तरफ अपने BRI प्रोजेक्ट को विकसित कर रहा है, तो वहीं उसकी नज़र Arctic के Northern Sea Route पर भी है। Global Warming के कारण हर साल यह रूट व्यापार के लिए और ज़्यादा सुगम होता जा रहा है, क्योंकि यहाँ की बर्फ पिंघल रही है। मौजूदा परिस्थितियों में सिर्फ 5 हज़ार कंटेनर की क्षमता वाले जहाजों को ही यहाँ से गुज़ारा जा सकता है, जबकि आमतौर पर जहाजों की क्षमता 20 हज़ार कंटेनर होती है। Northern Sea Route अलास्का से लेकर बाल्टिक देशों तक जाता है। रूस भविष्य में इस रूट के माध्यम से अपनी गैस और अपने तेल को दुनिया के बाकी देशों में export करना चाहता है। इस अहम ट्रेडिंग रूट पर अपना प्रभुत्व बढ़ाकर रूस अपने देश में आर्थिक क्रांति लाना चाहता है।
हालांकि, चीन यहां रूस के रास्ते में सबसे बड़ी समस्या बन सकता है। Arctic में चीन अपने नए trade route को खोजने की भी कोशिश कर रहा है, ताकि उसकी मलक्का स्ट्रेट की समस्या हल हो सके। Arctic पर अपना दावा मजबूत करने के लिए, चीन अपने आप को एक “Near-Arctic state” कहता है, जबकि Arctic से उसका दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। चीन के इन मंसूबों को रूस भी भली-भांति जानता है। यही कारण है कि एक तरफ जहां चीन Arctic में अपना प्रभाव जमाने और ट्रेडिंग routes के अध्यन्न के लिए satellite लॉन्च करने की योजना बना रहा है, तो वहीं अब रूस ने anti-satellite मिसाइल टेस्ट कर उसे कड़ा संदेश भेजा है।
Arctic में रूस के अन्य मिसाइल tests पर भी नज़र ड़ाल लेते हैं। नवंबर महीने में ही रूस ने यहां एक hypersonic मिसाइल का परीक्षण किया था। इसके बाद दिसंबर महीने में रूस ने Arctic में मौजूद अपनी एक न्यूक्लियर सबमरीन से लगातार चार Intercontinental ballistic missiles का परीक्षण किया था। Arctic में वह लगातार परीक्षण कर चीन को ही कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहा है।
रूस को अपने यहां Far East में और Arctic में चीनी प्रभाव की सबसे ज़्यादा चिंता है। नवंबर महीने में ही रूस ने अपने Far East के कुरिल द्वीपों पर भी S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को तैनात किया था, जिसका जापान ने कड़ा विरोध किया था। हालांकि, रूसी मीडिया में इसको लेकर बार-बार “Far East” का शब्द का प्रयोग किया गया था, जिसे रूस में भू-राजनीतिक चर्चाओं में अक्सर चीन के संदर्भ में ही इस्तेमाल किया जाता है। चाहे ज़मीन पर Northern Sea Route में sailings को बढ़ाना हो, या फिर बार-बार मिसाइल टेस्ट करना हो, रूस का चीन को एक ही संदेश है- मेरे Arctic से दूर रहो!